कम बारिश और चावल व दालों की कम बुआई से बढ़ी कीमतें, धान की खेती का रकबा 6.1% घटा
Paddy-Pulses Sowing: मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज ने एक रिपोर्ट में कहा कि इसका मुख्य कारण चावल और दालों की कम बुआई है. धान की खेती का रकबा पिछले साल के मुकाबले अब भी 6.1% कम है.
कम बारिश व चावल और दालों की कम बुआई से कीमतें बढ़ीं. (Image- Freepik)
कम बारिश व चावल और दालों की कम बुआई से कीमतें बढ़ीं. (Image- Freepik)
Paddy-Pulses Sowing: कम बारिश की वजह से चावल और दालों की कम बुआई के कारण कीमतें बढ़ गई हैं. 14 जुलाई तक खरीफ की बुआई पिछले साल की तुलना में 1.6% कम थी. मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज ने एक रिपोर्ट में कहा कि इसका मुख्य कारण चावल और दालों की कम बुआई है. धान की खेती का रकबा पिछले साल के मुकाबले अब भी 6.1% कम है. दलहन का रकबा पिछले साल से 13.3% कम है. तिलहन, जूट और कपास का उत्पादन भी कम है. दूसरी ओर, मोटे अनाज (+18.1% सालाना) और गन्ना (+4.7% सालाना) अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रमुख चावल उत्पादक राज्यों (49% हिस्सेदारी के साथ) में मानसून की कमी, जैसे पश्चिम बंगाल (सामान्य से 12% कम), उत्तर प्रदेश (सामान्य से 2% कम), आंध्र प्रदेश (सामान्य से 15% कम), ओडिशा (सामान्य से 28% कम), तेलंगाना (सामान्य से 26% कम), छत्तीसगढ़ (सामान्य से 23% कम), बिहार (सामान्य से 31% कम) और असम (सामान्य से 7% कम) ने चावल की बुआई पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है. हालांकि, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना जैसे उच्च सिंचाई कवर वाले राज्य कम प्रभावित होंगे.
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मानसून की कमी का दलहन की बुआई पर असर
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प्रमुख दलहन उत्पादक राज्यों (33% हिस्सेदारी के साथ) में मानसून की कमी, जैसे महाराष्ट्र (सामान्य से 12% कम), कर्नाटक (सामान्य से 2% कम), आंध्र प्रदेश (सामान्य से 15% कम), झारखंड (28% सामान्य से कम) दलहन की बुआई पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है.
दालों का उत्पादन करने वाले सभी प्रमुख राज्यों में सिंचाई कवर कम होने से दालों के उत्पादन पर अधिक असर पड़ेगा. पिछले पांच महीनों में दालों की महंगाई लगभग दोगुनी हो गई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि जून में यह 6.6 प्रतिशत थी.
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कम बारिश और इसके परिणामस्वरूप चावल और दालों की कम बुआई के कारण कीमतें ऊंची हो गई है. समग्र सीपीआई बास्केट में चावल का हिस्सा लगभग 4.4% और दालों का भार 6% है. 15 जुलाई तक संचयी वर्षा सामान्य के बराबर थी, जबकि 9 जुलाई को 2% सरप्लस और पिछले वर्ष सामान्य से 14% अधिक थी. हालांकि, वर्षा का वितरण असमान रहता है.
उत्तर पश्चिम क्षेत्र (सामान्य से 49% अधिक) और मध्य भारत (सामान्य से 1% अधिक) के अलावा अन्य सभी क्षेत्रों में सामान्य से कम बारिश हुई है. दक्षिणी प्रायद्वीप में वर्षा सामान्य से 22% कम है. पूर्वी और पूर्वोत्तर क्षेत्रों में 19% की कमी देखी गई है.
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08:20 PM IST