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बजट 2024

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बजट FAQ's

वोट ऑन अकाउंट (Vote on Account) किसे कहते हैं?
जवाब- अंतरिम बजट और वोटऑन अकाउंट दोनों ही कुछ हीमहीनों के लिए होतेहैं, लेकिन दोनों के पेश करनेके तरीकों में तकनीकी अंतरहोता है. वोट-ऑन-अकाउंट (Vote on Account) को हिंदी मेंलेखानुदान कहा जाता है. इसका प्रावधान संविधान के आर्टिकल 116 मेंशामिल है. जब केंद्रसरकार पूरे साल कीबजाय कुछ ही महीनोंके लिए संसद सेजरूरी खर्च के लिएमंजूरी लेनी होती है, तो वह वोट ऑनअकाउंट पेश करती है. इसमें सरकार को अपने जरूरीखर्चों के लिए कंसॉलिडिटेडफंड के इस्तेमाल कीइजाजत मिलती है.
कैसे तैयार होता है बजट, इसे बनाने के लिए किन बातों पर फोकस होता है?
जवाब- आम बजट बनाने मेंसबसे बड़ा योगदान वित्तमंत्रालय, नीति आयोग औरदूसरे मंत्रालयों का होता है. लेकिन, बजट बनाने मेंवित्त मंत्रालय इंडस्ट्रीज, कॉरपोरेट और आम आदमीसे भी सुझाव मांगताहै. अलग-अलग सुझावोंको देखकर अधिकारियों के साथ बैठकके बाद बजट डॉक्यूमेंटतैयार किया जाता है. बजट बनाने की प्रक्रिया मेंकरीब 100 लोगों की टीम कामकरती है. बजट आनेसे 10 दिन पहले इनलोगों को नॉर्थ ब्लॉकऑफिस (वित्त मंत्रालय का मुख्यालय) मेंही रहना होता है. बजट बनाते वक्त सरकार किसानों, युवाओं और मध्यम वर्गके लोगों की हितों काध्यान रख सकती है. बजट में सरकार कोराजकोषीय घाटे के लक्ष्यको कम करने केउपाय पर भी विचारकरना होता है.
बजट का क्या मकसद होता है?
जवाब- इनकम के साधन बढ़ातेहुए अलग-अलग स्कीमके लिए फंड रिलीजकरने का काम बजटमें होता है. इसमेंदेश की इकोनॉमिक ग्रोथरेट को गति देनेके लिए योजनाएं तैयारकी जाती हैं. देशनागरिकों की आर्थिक स्थितिमें सुधारने के लिए गरीबीऔर बेरोजगारी को कम करनेके लिए योजनाएं बनाईजाती हैं. साथ हीदेश में आधारभूत ढांचेके निर्माण के लिए फंडजारी करना, जिसमें रेल, बिजली, सड़कजैसे सेक्टर शामिल हैं.
आम आदमी के लिए बजट क्यों है जरूरी, इससे क्या फर्क पड़ता है?
जवाब- आम आदमी के लिएभी बजट उतना हीजरूरी होता है, जितनादेश की सरकार केलिए. जैसे किसी भीपरिवार का बजट बनायाजाता है, जिससे उनकेघर खर्च का पताचल सके. ऐसे हीदेश का बजट बनताहै. देश के बजटसे ही घर काबजट तय करने मेंभी मदद मिलती है. हर साल पेश होनेवाले बजट में सरकारउन हिस्सों पर खास फोकसकरती है, जहां सेरोजगार और अर्थव्यवस्था कोरफ्तार देने में मददमिल सकती है. ऐसेसेक्टर्स के लिए आवंटनहोता है. बजट बनानेका सबसे अहम मकसदये होता है किआवंटित होने वाला पैसावहां तक पहुंचे जहांउसकी सबसे ज्यादा जरूरतहै. आम आदमी केलिए कल्याणकारी योजनाएं शामिल होती हैं. साथही बजट में इनकमटैक्स या पर्सनल टैक्सका प्रावधान होता है. इससेपता चतला है पब्लिकको टैक्स के मोर्चे परकहां राहत मिली याकहां बोझ बढ़ा है.
बजट में चीजें सस्ती या महंगी होती हैं?
जवाब- GST लागू होने के बादज्यादातर प्रोडक्ट्स पर रेट GST काउंसिलतय करती है. बजटमें इन प्रोडक्ट्स मेंकिसी तरह का बदलावनहीं होता. लेकिन, बजट में कुछसंकेत जरूर दिए जासकते हैं. फिर भीअंतिम निर्णय काउंसिल का ही होताहै. वित्त मंत्री GST पर उपकर (Cess) लगासकती हैं. इससे भीचीजें सस्ती या महंगी होसकती हैं. इसके अलावा, कस्टम ड्यूटी या एक्साइज ड्यूटीमें बदलाव करके भी कुछचीजों की कीमतों परअसर पड़ता है.

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