केंद्रीय बजट, जिसे हम यूनियन बजट कहते हैं, देश की सालाना रिपोर्ट होती है. एक वित्तीय वर्ष (1 अप्रैल से 31 मार्च) में सरकार की कुल कितनी कमाई हुई और कहां उसने खर्च किया, इसका पूरा लेखा-जोखा बजट में पेश किया जाता है. केंद्रीय बजट सरकार के वित्त का सबसे विस्तृत बहीखाता होता है, जिसमें सभी स्रोत से आने वाला राजस्व और आने वाले साल में सभी प्लानिंग पर खर्च का पूरा ब्योरा होता है. ये राजस्व बजट और कैपिटल बजट का मिश्रण होता है. सरकार बजट के जरिए एक रोडमैप बताती है कि आने वाले वर्ष में किस मद पर कितना खर्च करने की योजना है.
बजट कैसे बनता है, इसे बनाने के लिए किन बातों पर फोकस होता है?
बजट बनाने में सबसे बड़ा योगदान वित्त मंत्रालय, नीति आयोग और दूसरे मंत्रालयों का होता है. लेकिन, बजट बनाने में वित्त मंत्रालय इंडस्ट्रीज, कॉरपोरेट और आम आदमी से भी सुझाव मांगता है. अलग-अलग सुझावों को देखकर अधिकारियों के साथ बैठक के बाद बजट डॉक्यूमेंट तैयार किया जाता है. बजट बनाने की प्रक्रिया में करीब 100 लोगों की टीम काम करती है. बजट आने से 10 दिन पहले इन लोगों को नॉर्थ ब्लॉक ऑफिस (वित्त मंत्रालय का मुख्यालय) में ही रहना होता है. बजट बनाते वक्त सरकार किसानों, युवाओं और मध्यम वर्ग के लोगों की हितों का ध्यान रख सकती है. बजट में सरकार को राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को कम करने के उपाय पर भी विचार करना होता है.
बजट का क्या मकसद होता है?
इनकम के साधन बढ़ाते हुए अलग-अलग स्कीम के लिए फंड रिलीज करने का काम बजट में होता है. इसमें देश की इकोनॉमिक ग्रोथ रेट को गति देने के लिए योजनाएं तैयार की जाती हैं. देश नागरिकों की आर्थिक स्थिति में सुधारने के लिए गरीबी और बेरोजगारी को कम करने के लिए योजनाएं बनाई जाती हैं. साथ ही देश में आधारभूत ढांचे के निर्माण के लिए फंड जारी करना, जिसमें रेल, बिजली, सड़क जैसे सेक्टर शामिल हैं.
आम आदमी के लिए बजट क्यों है जरूरी, इससे क्या फर्क पड़ता है?
आम आदमी के लिए भी बजट उतना ही जरूरी होता है, जितना देश की सरकार के लिए. जैसे किसी भी परिवार का बजट बनाया जाता है, जिससे उनके घर खर्च का पता चल सके. ऐसे ही देश का बजट बनता है. देश के बजट से ही घर का बजट तय करने में भी मदद मिलती है. हर साल पेश होने वाले बजट में सरकार उन हिस्सों पर खास फोकस करती है, जहां से रोजगार और अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने में मदद मिल सकती है. ऐसे सेक्टर्स के लिए आवंटन होता है. बजट बनाने का सबसे अहम मकसद ये होता है कि आवंटित होने वाला पैसा वहां तक पहुंचे जहां उसकी सबसे ज्यादा जरूरत है. आम आदमी के लिए कल्याणकारी योजनाएं शामिल होती हैं. साथ ही बजट में इनकम टैक्स या पर्सनल टैक्स का प्रावधान होता है. इससे पता चतला है पब्लिक को टैक्स के मोर्चे पर कहां राहत मिली या कहां बोझ बढ़ा है.
बजट में चीजें सस्ती या महंगी होती हैं?
GST लागू होने के बाद ज्यादातर प्रोडक्ट्स पर रेट GST काउंसिल तय करती है. बजट में इन प्रोडक्ट्स में किसी तरह का बदलाव नहीं होता. लेकिन, बजट में कुछ संकेत जरूर दिए जा सकते हैं. फिर भी अंतिम निर्णय काउंसिल का ही होता है. वित्त मंत्री GST पर उपकर (Cess) लगा सकती हैं. इससे भी चीजें सस्ती या महंगी हो सकती हैं. इसके अलावा, कस्टम ड्यूटी या एक्साइज ड्यूटी में बदलाव करके भी कुछ चीजों की कीमतों पर असर पड़ता है.
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