Russia-Ukraine War Analysis: रूस-यूक्रेन युद्ध का भारत पर कितना होगा असर, आपके घर का बजट बिगड़ेगा? समझिए
Russia-Ukraine War Analysis: रूस-यूक्रेन युद्ध की आंच भारत तक पहुंचेगी. अर्थव्यवस्था पर भी फर्क पड़ेगा. आशंका जताई जा रही है कि तेल की कीमतों में उछाल से भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए चुनौतीपूर्ण स्थितियां बन रही हैं.
Russia-Ukraine War Analysis: रूस ने यूक्रेन पर हमला बोल दिया है. पिछले 48 घंटों में काफी तेजी से पूरी दुनिया के लिए घटनाक्रम में बदलाव हुआ है. रूस ने गुरुवार सुबह यूक्रेन के कई इलाकों में हमला बोल दिया है. रूस ने यूक्रेन में विद्रोहियों के कब्जे वाले इलाके दोनेत्स्क और लुहान्स्क को मान्यता दे दी है. वहीं, रूस के इस कदम से अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी जैसे देशों ने रूस पर सीमित प्रतिबंध लगा दिए हैं. आशंका जताई जा रही है कि रूस-यूक्रेन के युद्ध (Russia-Ukraine War crisis) से पैदा हुआ संकट कई दिनों तक यूं ही बना रहे. लेकिन, अगर भारत में रह रहे लोग ये सोच रहे हैं कि 5 हजार किलोमीटर दूर, रूस-यूक्रेन के बीच जो कुछ चल रहा है उसका असर भारत पर नहीं होगा, तो ऐसा भी नहीं है. इससे भारत भी अछूता नहीं रहेगा. आइये समझते हैं कैसे...
दोनों देशों से भारत का रिश्ता (India relation with Russia-Ukraine)
दरअसल, भारत का रूस और यूक्रेन दोनों के साथ व्यापारिक रिश्ता है. साथ ही भारतीय नागरिक इन दोनों ही देशों में रहते हैं. यूक्रेन में ज्यादातर स्टूडेंट्स हैं. वही, रूस में स्टूडेंट्स के साथ-साथ नौकरीपेशा भी हैं. रूस में भारतीय दूतावास के मुताबिक, करीब 14 हजार भारतीय रूस में रहते हैं. इनमें करीब 5 हजार छात्र हैं. वहीं, 500 बिजनेसमैन हैं. यूक्रेन में सबसे ज्यादा संख्या मेडिकल स्टूडेंट्स की है. करीब 18 से 20 हजार स्टूडेंट्स यहां पढ़ते हैं.
तेल कीमतों ने मारा उछाल (Crude oil price hits record high)
रूस-यूक्रेन युद्ध की आंच भारत तक पहुंचेगी. अर्थव्यवस्था पर भी फर्क पड़ेगा. आशंका जताई जा रही है कि तेल की कीमतों में उछाल से भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए चुनौतीपूर्ण स्थितियां बन रही हैं. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी इस बात को मान चुकी हैं कि सीधे तौर पर व्यापार में कोई फर्क नहीं होगा. लेकिन, वैश्विक तनाव की वजह से बढ़ती तेल कीमतें का असर भारत की अर्थव्यवस्था के लिए चुनौतीपूर्ण है. कच्चे तेल का भाव 100 डॉलर प्रति बैरल पहुंच चुका है.
पूरी दुनिया पर होगा बढ़ती कीमतों का असर (Crude price 8 year high)
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एक्सपर्ट्स की मानें तो भारत अपनी जरूरत का 85 फीसदी तेल इंपोर्ट करता है. इसमें से ज्यादातर इंपोर्ट सऊदी अरब और अमेरिका से होता है. इसके अलावा भारत, ईरान, इराक, ओमान, कुवैत, रूस से भी तेल लेता है. दुनिया का सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश अमेरिका है. यहां करीब 16-18 फीसदी तेल उत्पादन होता है. वहीं, रूस और सऊदी अरब में 12-12 फीसदी का उत्पादन होता है. 3 में से 2 बड़े देश युद्ध जैसी स्थिति में आमने-सामने होंगे तो तेल की सप्लाई पूरी दुनिया में प्रभावित होगी. यही वजह है कि तेल की कीमतें 8 साल की ऊंचाई पर हैं.
भारत में असर (Crude oil price impact on India)
तेल की कीमतों का सीधा असर महंगाई से भी है. पेट्रोल-डीजल के भाव (Petrol-Diesel price today) में एकदम से तेजी आएगी. सब्जी और जरूरत की चीजों के भाव भी सीधे तौर पर प्रभावित होंगे. एनर्जी एक्सपर्ट नरेंद्र तनेजा के मुताबिक, डेढ़ महीने से पेट्रोल की कीमतें नहीं बढ़ी हैं. लेकिन, इस बीच अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चा तेल 15-17 फीसदी का उछाल मार चुका है. अनुमान के मुताबिक, कच्चे तेल की कीमत में 1 डॉलर प्रति बैरल के इजाफे से इंडियन इकोनॉमी पर करीब 8000-10,000 करोड़ का बोझ बढ़ता है. अब जल्द ही भारत में भी तेल की कीमतें रिवाइज होंगी. ऐसे में पेट्रोल-डीजल का भाव 6-10 रुपए प्रति लीटर (Petrol-Diesel price per litre) बढ़ना तय है.
प्राकृतिक गैस की कीमतें
एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की कुल ईंधन खपत में प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी लगभग 6 फीसदी है. इस 6 फीसदी का 56 फीसदी भारत इंपोर्ट करता है. ज्यादातर ये इंपोर्ट कतर, रूस, ऑस्ट्रेलिया, नॉर्वे जैसे देशों से होता है. रूस, पश्चिम यूरोप प्राकृतिक गैस का बड़ा निर्यातक है और इसी इलाके में पाइप लाइन बिछी हैं. अगर इस पाइप लाइन को कुछ होता है तो सप्लाई बाधित हो सकती है और कीमतें पर असर पड़ेगा. रूस 40 फीसदी तेल और प्राकृतिक गैस यूरोप को बेचता है. अगर ये बंद हुआ तो स्थिति और बिगडे़गी. अमेरिका कोशिश कर रहा है कि दूसरे देश जैसे कतर से यूरोप को सप्लाई हो सके. कतर- भारत, चीन और जापान को LNG सप्लाई करता है. ऐसे में यूरोप में LNG देने के लिए कतर तैयार होता है तो जाहिर है भारत का हिस्सा भी कुछ कटेगा.
और किन चीजों से पड़ सकता है भारत पर असर
- दुनिया में सबसे ज्यादा रिफाइंड सूरजमुखी यूक्रेन से एक्सपोर्ट होता है. यूक्रेन के बाद रिफाइंड सप्लाई में रूस का नंबर है. दोनों देशों के बीच युद्ध लंबे समय चला तो घरों में इस्तेमाल होने वाले सूरजमुखी तेल की किल्लत हो सकती है.
- भारत के लिए यूक्रेन का बाजार फर्टिलाइजर के लिए भी बड़ा है. यहां से बड़ी मात्रा में फर्टिलाइजर भारत आता है. साथ ही इंडियन नेवी के कुछ टर्बाइन भी यूक्रेन बेचता है.
- रूस से मोती, कीमती पत्थर, धातु का इंपोर्ट होता है. काफी धातुओं का इस्तेमाल तो स्मार्टफोन और कंप्यूटर बनाने के लिए किया जाता है.
शिपिंग इंश्योरेंस की कॉस्ट बढे़गी
युद्ध की स्थिति में अब रूस-युक्रेन के अलावा NATO देश भी सक्रिय हो रहे हैं. अमेरिका ने अपनी सेना लताविया में भेज दी है. लताविया भी नैटो का सदस्य देश है. NATO के इसमें आने से शिपिंग कारोबार पर असर पड़ेगा. क्योंकि, पूर्वी और पश्चिमी देश कोई युद्ध से अछूता नहीं रहेगा. ज्यादातर देशों में व्यापार समुद्र के जरिए होता है. ऐसे हालात में शिपिंग इंश्योरेंस की कीमतें भी बढ़ती है, जिनका असर भी आयात और निर्यात होने वाले सामान की कीमतों पर पड़ता है. ऐसा तब होता है जब समुद्री जहाज़ उन तनाव युक्त क्षेत्रों के समुद्री रास्ते में पड़ता हो या फिर उन देशों पर प्रतिबंध लगा दिए गए हों.
रूस-यूक्रेन वॉर: एनर्जी मार्केट पर असर
- OPEC+ का सदस्य, दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उत्पादक
- रोजाना करीब 50 लाख बैरल का एक्सपोर्ट
- यूरोप में रूस से 40-50% का गैस एक्सपोर्ट
- दुनिया में नेचुरल गैस का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक
- रूस के पास दुनिया का सबसे बड़ा 1,688 TcF गैस का भंडार
रूस का गैस एक्सपोर्ट
यूरोप 83%
पूर्व सोवियत संघ 12%
चीन 2%
अन्य 3%
रूस और क्रूड ऑयल
रूस 12%
rest of the world 88%
रूस का क्रूड ऑयल एक्सपोर्ट
यूरोप 53%
एशिया 39%
अन्य 8%
मेटल मार्केट क्या होगा असर
- रूस दूसरा बड़ा एल्युमीनियम उत्पादक
- रूस का 6% ग्लोबल एल्युमीनियम उत्पादन
- रूस में दुनिया का 10% कॉपर का भंडार
- रूस निकेल, पलेडियम और प्लाटिनम का भी उत्पादक
- रूस दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा निकेल उत्पादक
- रूस से 43% पलेडियम की ग्लोबल सप्लाई
- LME एल्युमिनियम कीमते रिकॉर्ड स्तर पर
- निकेल की कीमते 15 साल की ऊंचाई पर
एग्री कमोडिटीज पर कितना असर?
- सालाना 4 करोड़ टन गेहू का एक्सपोर्ट
- गेहूं के ग्लोबल ट्रेड में करीब 24% हिस्सा
- यूक्रेन का ग्लोबल गेहूं ट्रेड में करीब 9% हिस्सा
- गेहूं के ग्लोबल ट्रेड में यूक्रेन और रूस का 31% हिस्सा
- यूक्रेन सूरजमुखी का सबसे बड़ा उत्पादक
- यूक्रेन मक्के, बार्ली का बड़ा उत्पादक
- 2021 में भारत में करीब 74% सूरजमुखी तेल यूक्रेन से इंपोर्ट
- गेहूं इस साल अब तक 12 परसेंट ऊपर
- मक्का इस साल अब तक 14.5 परसेंट ऊपर
03:39 PM IST