New Education Policy: बदल जाएगा शिक्षा का पैटर्न, जानें पढ़ाई में क्या-क्या होंगे बदलाव
बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुए कैबिनेट की बैठक में नई शिक्षा नीति (New Education Policy) को मंजूरी दी गई.
नई शिक्षा नीति के तहत कोई छात्र एक कोर्स के बीच में अगर कोई दूसरा कोर्स करना चाहता है तो पहले कोर्स से ब्रेक ले सकता है. (Photo-ANI)
नई शिक्षा नीति के तहत कोई छात्र एक कोर्स के बीच में अगर कोई दूसरा कोर्स करना चाहता है तो पहले कोर्स से ब्रेक ले सकता है. (Photo-ANI)
मोदी सरकार ने देश के एजुकेशन सिस्टम में बड़ा बदलाव किया है. बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) की अध्यक्षता में हुए कैबिनेट की बैठक (Cabinet Metting) में नई शिक्षा नीति (New Education Policy) को मंजूरी दी गई. नई शिक्षा नीति के लागू होने से देश का वर्तमान एजुकेशन सिस्टम पूरी तरह से बदल जाएगा. सरकार ने डिग्री-डिप्लोमा कोर्स में बड़े बदलाव किए हैं. सबसे अहम बदलाव तो यह है कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय अब शिक्षा मंत्रालय के नाम से जाना जाएगा.
कैबिनेट की बैठक के फैसलों से मीडिया को अवगत कराते हुए केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर (Prakash Javadekar) और रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि मंत्रिमंडल की बैठक में 21वीं सदी की नई शिक्षा नीति को मंजूरी दी गई. यह बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि पिछले 34 सालों से शिक्षा नीति में कोई बदलाव नहीं हुआ था. उन्होंने बताया कि सरकार ने शिक्षा नीति को लेकर दो समितियां बनाई थीं. एक टीएसआर सुब्रमण्यम समिति और दूसरी डॉ. के कस्तूरीरंगन समिति.
इन समितियों ने नई शिक्षा नीति को लेकर देशभर से लोगों से सलाह ली. देश की ढाई लाख ग्राम पंचायतों, 6600 ब्लॉक और 676 जिलों के विभिन्न वर्गों से सलाह ली गई थी. तमाम लोगों की सलाह पर लंबे मंथन के बाद यह नीति तैयार की गई है.
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केंद्रीय मंत्री ने बताया कि नई शिक्षा नीति के तहत कोई छात्र एक कोर्स के बीच में अगर कोई दूसरा कोर्स करना चाहता है तो पहले कोर्स से सीमित समय के लिए ब्रेक लेकर कर सकता है.
कानून और मेडिकल कॉलेजों को छोड़कर देश के सभी हायर एजुकेशनल इंस्टीट्यूट अब एक ही नियामक से संचालित होंगे. सरकार ने एमफिल पाठ्यक्रम को बंद करने का फैसला लिया है.
बोर्ड एग्जाम के बारे में डॉक्टर रमेश पोखरियाल ने कहा कि अब बोर्ड की परीक्षाएं नॉलेज पर आधारित होंगी.
उन्होंने बताया कि हायर एजुकेशन में हम 2035 तक ग्रॉस एनरोलमेंट रेश्यो में 50 फीसदी तक पहुंचेंगे. इसके लिए मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम लाया जा रहा है.
मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम
मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम के बारे में उन्होंने बताया कि आज के सिस्टम में 4 साल इंजीनियरिंग पढ़ने के बाद या 6 सेमेस्टर पढ़ने के बाद अगर कोई छात्र आगे नहीं पढ़ सकता है तो उसके पास कोई उपाय नहीं है. वह सिस्टम से बाहर हो जाता है. नए सिस्टम में 4 साल का डिग्री कोर्स होगा और उसी कोर्स में एक साल के बाद सर्टिफिकेट, दो साल बाद डिप्लोमा, तीन या चार साल के बाद डिग्री मिल सकेगी.
इससे फायदा यह होगा कि डिग्री कोर्स में एडमिशन लेने के बाद अगर कोई स्टूडेंट बीच में ही पढ़ाई छोड़ता है तो उसके पास कम से कम उस कोर्स का सर्टिफिकेट या डिप्लोमा तो जरूर होगा.
मल्टीपल एंट्री थ्रू बैंक ऑफ क्रेडिट सिस्टम के बारे में उन्होंने बताया कि इस सिस्टम में छात्र के फर्स्ट, सेकंड ईयर के क्रेडिट डिजीलॉकर के माध्यम से क्रेडिट रहेंगे. अगर छात्र को किसी वजह से ब्रेक लेता है और एक तय टाइम में वह वापस आकर कोर्स ज्वाइन करता है तो उसे फर्स्ट और सेकंड ईयर रिपीट करने की उसे जरूरत नहीं होगी. छात्र के क्रेडिट एकेडमिक क्रेडिट बैंक में मौजूद रहेंगे. ऐसे में छात्र उसका इस्तेमाल अपनी आगे की पढ़ाई के लिए करेगा.
मेजर और माइनर प्रोग्राम
नई नीति में मेजर और माइनर प्रोग्राम सिस्टम रहेगा. इसमें छात्र दो कोर्स एकसाथ कर सकता है. दो अलग-अलग विषय की पढ़ाई छात्र कर सकेंगे. जैसे- फिजिक्स ऑनर्स के साथ केमिस्ट्री या मैथ्स लिया जा सकता है. इसके साथ फैशन डिजाइनिंग नहीं कर सकते थे. लेकिन अब मेजर और माइनर सिस्टम के तहत ये कोर्स एकसाथ किए जा सकते हैं.
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10+2 फॉर्मेट खत्म
नई शिक्षा नीति के तहत स्कूली शिक्षा में 10+2 फॉर्मेट को खत्म कर दिया गया है. इसे अब 5+3+3+4 फॉर्मेट में ढाला गया है. मतलब यह है कि अब स्कूल के पहले पांच साल में प्री-प्राइमरी में स्कूल के तीन साल और कक्षा 1, 2 सहित फाउंडेशन स्टेज होगी. अगले तीन साल को कक्षा 3 से 5 के लिए, इसके बाद तीन साल कक्षा 6-8 का मध्य चरण और फिर माध्यमिक अवस्था कक्षा 9-12 के चार वर्ष होंगे.
केंद्रीय मंत्री ने नए सिस्टम के बारे में बताया कि 6-9 वर्ष के बच्चे आमतौर पर 1-3 क्लास में होते हैं उनके लिए नेशनल मिशन लागू किया जाएगा. इनमें बच्चे बुनियादी साक्षरता और न्यूमरेसी को समझेंगे. इसके तहत 3-6 साल का बच्चा एक ही तरीके से पढ़ाई करेगा. इसके बाद 6-8 कक्षा में विषयों से परिचय कराया जाएगा. कक्षा 6 से ही बच्चों को कोडिंग सिखाई जाएगी.
07:44 PM IST