स्पेस स्टार्टअप Agnikul ने करीब दो महीने में चौथी बार टाला रॉकेट लॉन्च, महज 5 सेकेंड पहले किया 'मिशन अबॉर्ट'
भारत के स्पेस स्टार्टअप (Startup) अग्निकुल कॉसमोस (Agnikul Cosmos) ने एक बार फिर से अपने टेस्ट फ्लाइट की लॉन्चिंग को रोक दिया है. यह चौथी बार है, जब अग्निकुल ने रॉकेट की लॉन्चिंग को रोका है.
भारत के स्पेस स्टार्टअप (Startup) अग्निकुल कॉसमोस (Agnikul Cosmos) ने एक बार फिर से अपने टेस्ट फ्लाइट की लॉन्चिंग को रोक दिया है. इस बार भी लॉन्चिंग को तय समय से चंद सेकेंड पहले ही रोका गया. यह चौथी बार है, जब अग्निकुल ने रॉकेट की लॉन्चिंग को रोका है. इससे पहले भी 3 बार यह स्पेस टेक स्टार्टअप लॉन्चिंग को टाल चुका है. कंपनी 22 मार्च से ही लॉन्चिंग की कोशिश कर रही है, लेकिन हर बार किसी ना किसी दिक्कत की वजह से लॉन्चिंग टल जा रही है. यह भारत का दूसरा प्राइवेट तरीके से बनाया गया रॉकेट है, जिसे लॉन्च किया जाना है. वहीं गैस और लिक्विड फ्यूल के कॉम्बिनेशन से बनाया गया यह भारत का पहला रॉकेट है.
रायटर्स की खबर के अनुसार यह लॉन्च मंगलवार, 28 मई को सुबह 5.45 बजे होना था. पहले इसकी लॉन्चिंग को करीब 6 मिनट के लिए टाला गया, क्योंकि कोई टेक्निकल प्रॉब्लम आ गई थी. इसके बाद अधिकारियों ने इसकी लॉन्चिंग का नया वक्त सुबह 9.25 बजे तय किया. हालांकि, लॉन्चिंग से करीब 5 सेकेंड पहले ही लॉन्चिंग को फिर से रोक दिया गया. इसके बाद इग्नाइटर की परफॉर्मेंस को चेक करने के लिए लॉन्चिंग को अस्थाई रूप से होल्ड पर डाला गया, लेकिन बाद में लॉन्चिंग को टाल ही दिया गया.
इस मिशन को पूरा होने में करीब दो मिनट का वक्त लगेगा, जिसके तहत नए सेमी क्रायोजेनिक इंजन और 3डी-प्रिंटेड पार्ट्स को टेस्ट किया जाएगा. अगर यह मिशन सफल रहता है तो यह भारत के लिए स्पेस टेक की दुनिया में एक बड़ा कदम होगा. बता दें कि अभी तक इसरो भी सेमी-क्रायोजेनिक इंजन को सफलतापूर्वक लॉन्च नहीं कर सका है, जिसें प्रोपेलेंट की तरह लिक्विड और गैस के मिश्रण को इस्तेमाल किया जाता है.
पिछले साल जुटाई थी ₹200 करोड़ की फंडिंग
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स्पेस-टेक स्टार्टअप Agnikul Cosmos ने पिछले ही साल अक्टूबर के महीने में घोषणा की थी कि उसने सीरीज बी राउंड की फंडिंग (Funding) के जरिए कुल 200 करोड़ रुपये जुटाए हैं. इस स्टार्टअप (Startup) का इनक्युबेशन IIT-Madras की तरफ से किया गया है. जिस रॉकेट को टेस्ट फायर किया जा रहा है, उसका नाम है अग्निबाण सॉर्टेड (Agnibaan SOrTeD). इस रॉकेट को जिस इंजन से पावर मिल रही है, उसे बनाने में अभी तक इसरो भी कोशिशें कर रहा है. यह लॉन्च बहुत ही अहम है, क्योंकि किसी निजी लॉन्च पैड से लॉन्च होने वाला यह भारत का पहला रॉकेट है. रॉकेट में दुनिया का पहला सिंगल पीस 3डी प्रिंटेड इंजन है, जिसे स्वदेशी रूप से डिजाइन और मैन्युफैक्चर किया गया है.
इस स्टार्टअप (Startup) ने फंडिंग भी इसी लिए उठाई थी, ताकि वह अपने बिजनेस को बढ़ा सके और रॉकेट का टेस्ट फायर कर सके. अग्निकुल ने लॉन्च व्हीकल अग्निबाण सबऑर्बिटल टेक्नोलॉजी डेमॉन्सट्रेटर (Agnibaan SubOrbital Technology Demonstrator) का अपने प्राइवेट लॉन्चपैड पर इंटीग्रेशन फंडिंग मिलते ही शुरू कर दिया था.
एक दशक में 44 अरब डॉलर का हो जाएगा मार्केट
भारत के स्पेस रेगुलेटर इंडियन नेशनल स्पेस प्रमोशन एंड ऑथराइजेशन सेंटर ने अनुमान लगाया है कि अगले एक दशक में स्पेस सेक्टर का मार्केट 44 अरब डॉलर तक का हो जाएगा, जो अभी 8 अरब डॉलर पर है. IIT-Madras कैंपस की तरफ से शुरू किए गए अग्निकुल ने जल्द ही कुछ और लोगों की हायरिंग करने की योजना बनाई है. कंपनी अभी अपना मुख्य फोकस प्रोडक्शन और ऑपरेशन पर रखना चाहती है.
2021 में हुई थी अग्निकुल की शुरुआत
साल 2021 में अग्निकुल ने सफलतापूर्वक Agnilet को टेस्ट फायर किया था. यह दुनिया का पहला सिंगल पीस 3डी प्रिंटेड इंजन था, जिसे पूरी तरह से भारत में ही बनाया गया था. इसके लिए कंपनी ने सरकार से पेटेंट भी हासिल किया हुआ है. अग्निकुल ने पिछले ही साल अपनी तरह की एक खास फैक्ट्री की भी शुरुआत की है, जो रॉकेट की एंड-टू-एंड 3डी प्रिंटिंग करती है. यह रॉकेट 580 किलो वजन का है, जो श्रीहरिकोटा से लॉन्च होगा और अपनी पहले टेस्ट फायर में यह धरती से अधिक से अधिक 20 किलोमीटर ऊपर ही जा सकता है. इसके बाद यह बंगाल की खाड़ी में डूब जाएगा. बता दें कि यह रॉकेट 7 किलो पेलोड अपने साथ ले जा सकता है.
05:43 PM IST