Repo रेट का हमसे है क्या ताल्लुक-RBI कैसे आम आदमी को देता है राहत? जवाब यहीं मिलेगा
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने मौद्रिक नीति (Monetary policy) की समीक्षा के बाद प्रमुख ब्याज दर रेपो रेट (repo rate) को 4 फीसदी पर स्थिर रखने के एमपीसी के फैसले की घोषणा की.
रिवर्स रेपो रेट भी 3.35 फीसदी पर बरकरार रखा गया है. (Reuters)
रिवर्स रेपो रेट भी 3.35 फीसदी पर बरकरार रखा गया है. (Reuters)
त्योहारों से पहले लोन इंट्रेस्ट रेट (Loan interest rates) घटने की उम्मीद पूरी नहीं हुई. क्योंकि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने मौद्रिक नीति (Monetary policy) की समीक्षा के बाद प्रमुख ब्याज दर रेपो रेट (repo rate) को 4 फीसदी पर स्थिर रखने के एमपीसी के फैसले की घोषणा की. वहीं रिवर्स रेपो रेट भी 3.35 फीसदी पर बरकरार रखा गया है.
रेपो रेट वह ब्याज दर है जिस पर रिजर्व बैंक SBI समेत दूसरे बैंकों को कम समय के लिए कर्ज देता है. अगर इसमें कटौती होती तो बैंकों को RBI को कम ब्याज देना होता, जैसे बैंक अपने ग्राहकों को कर्ज देने के बाद ब्याज emi के रूप में वसूलते हैं. कटौती होती तो इसका असर आपकी emi पर भी पड़ता.
इसके उलट अगर रिजर्व बैंक Repo rate बढ़ाता तो बैंकों के लिए उसे कर्ज लेना महंगा हो जाता. इससे Home loan, Car loan और दूसरे लोन की ब्याज दर बढ़ जाती. हालांकि यह तभी होता है जब बाजार में डिमांड अच्छी हो. कोरोना वायरस (Coronavirus) के कारण इस समय मार्केट में वैसे ही लोन की डिमांड डाउन चल रही है. इसलिए RBI इसे स्थिर रखे है.
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वहीं रिवर्स रेपो रेट वह दर है जो RBI बैंकों को ब्याज के तौर पर देता है. बैंक अपनी रकम रिजर्व बैंक के पास रखते हैं. इस पर RBI उन्हें ब्याज देता है. बाजार में लिक्विडिटी बढ़ने पर RBI इस रेट में फेरबदल करता है ताकि बैंक ज्यादा ब्याज कमाने के लिए बड़ी रकम उसके पास गिरवी रखें.
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इन दो दरों के बाद कैश रिजर्व रेशियो (CRR) का अहम रोल है. यह सीधे तौर पर ग्राहकों की emi से जुड़ी है. बैंक को कुल कैश रिजर्व का एक हिस्सा रिजर्व बैंक के पास जमा करना होता है. इस रकम को मुसीबत के वक्त के लिए रखा जाता है. बैंक के साथ दिक्कत पर इसका इस्तेमाल होता है. अगर यह बढ़ता है तो बैंकों को ज्यादा बड़ी रकम रिजर्व बैंक में रखनी होगी. इससे वह कर्ज कम बांट पाएंगे.
11:50 AM IST