गुजरात के हीरा कारोबार पर संकट के बादल, लंबा हुआ दिवाली वेकेशन
हीरा कारखानों में दिवाली की छुट्टियां 28 अक्टूबर से 3 दिसंबर तक थीं, लेकिन 3 दिसंबर निकल जाने के बाद भी कारखानों में ताले लटके हुए हैं.
डॉलर की बढ़ती-घटती कीमतों के कारण हीरा कारोबार को काफी नुकसान हुआ है.
डॉलर की बढ़ती-घटती कीमतों के कारण हीरा कारोबार को काफी नुकसान हुआ है.
2008 की मंदी के बाद 10 साल में पहली बार हुआ है कि हीरा कारखानों का वेकेशन आगे बढ़ाना पड़ा हो. वैश्विक स्तर पर चल रही मंदी के चलते पिछले कुछ महीनों में चार लाख से अधिक हीरा कारीगरों की नौकरी चली गई है और अब बचेकुचे कारखानों में भी वेकेशन आगे बढ़ा दिया है.
गुजरात रफ डायमंड की पॉलिश करने का दुनिया का एक मुख्य हब है, लेकिन अब यह उद्योग बदहाली के दौर से गुजर रहा है. ज्यादातर कारखाने बंद हो गए हैं. इतना ही नहीं जो कारखाने चल भी रहे हैं, उनमें लंबी छुट्टियां चल रही हैं.
दरअसल, हीरा कारखानों में दिवाली की छुट्टियां 28 अक्टूबर से 3 दिसंबर तक थीं, लेकिन 3 दिसंबर निकल जाने के बाद भी कारखानों में ताले लटके हुए हैं. बताया जा रहा है कि छुट्टियां 10 दिसंबर से भी आगे तक खिंच जाएंगी. इतनी लंबी छुट्टियां बीते 10 वर्षों में पहली बार हुई हैं और यह भी 10 वर्षों में पहली बार हुआ है कि हीरा कारीगरों को बोनस भी नहीं मिला हो.
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रुपये की गिरते स्तर का असर
विवेकानंद डायमंड एसोसिएशन के उपप्रमुख जितुभाई मोरडिया हीरा कारखानों की बदहाली के पीछे कई कारण बताते हैं. बताया जा रहा है कि वैश्विक स्तर पर हीरे की मांग कम हुई है. इसके अलावा एक रफ डायमंड की खरीदारी 21 से 50 डॉलर में होती थी, जो इस बार घटकर 17 से 40 डॉलर पर पहुंच गई है. इसके अलावा पॉलिस डायमंड का दाम प्रति कैरेट 266 से 350 डॉलर होता था, जो कि घटकर 200 से 250 डॉलर प्रति कैरेट पर आ गया है. इसके अलावा डॉलर की बढ़ती-घटती कीमतों के कारण हीरा कारोबार को काफी नुकसान हुआ है.
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हीरा कारोबारी बताते हैं कि पूरे भारत में हीरा खरीदने के जो मिडल मैन होते हैं वे हीरा लेकर चले गए हैं और उनके पास करीब 2000 करोड़ के हीरों का भुगतान अटका हुआ है. स्थानीय मार्केट में हीरा को अभी घरेलू उद्योग का दर्जा नहीं मिला है, जिसके चलते घरेलू उद्योग के लाभ इसे नहीं मिल पा रहे हैं. इन सब कारणों के चलते इस बार हीरा कारोबार की छुट्टियां इतनी लंबी हो गई हैं.
जीडीपी में 7 फीसदी का योगदान
भारत की जीडीपी में हीरा उद्योग की हिस्सेदारी 7 फीसदी की है और मर्चेंट एक्सपोर्ट में 15 फीसदी की हिस्सेदारी है. पूरी दुनिया में पॉलिश डायमंड में 75 फीसदी मार्केट हिस्सेदारी भारत की है. यह से सालाना दो लाख करोड़ का हीरा एक्सपोर्ट-इंपोर्ट होता है. पूरे देश में पांच लाख ज्वेलरी शॉप हैं और दो लाख हीरा कारखाने हैं. हीरा कारखानों से करीब 46 लाख लोग प्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए हैं.
30 हजार कारखाने बंद
इस साल अगस्त से अक्टूबर तक मंदी के चलते 30 हजार हीरा कारखाने बंद हो गए चुके हैं और चार लाख कारीगर बेकार हो गए हैं. इन हालात में हीरा करोबार से जुड़े लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. एक हीरा कारीगर महावीर राठौड़ ने बताया कि हीरा कारोबार पर मंदी का असर उनके घर पर पड़ रहा है. आलम यह है कि बच्चों की पढ़ाई जारी रखने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.
वैश्विक स्तर पर मांग नहीं होने के बावजूद भी जो बड़े ट्रेडर हैं, वे अंतरराष्ट्रीय बाजार से रफ डायमंड खरीदते हैं और स्थानीय व्यापारियों को 5 से 10 फीसदी ज्यादा प्रीमियम वसूल कर बेच रहे हैं.
(अहमदाबाद से केतन जोशी जोशी की रिपोर्ट)
10:21 AM IST