Vehicle Scrapage Policy: नई कार की कीमत 6% तक घट जाएगी, सरकार का 40,000 करोड़ बढ़ेगा रेवेन्यू; जानिए पॉलिसी से जुड़ी हर डीटेल
6 लाख की कार पर 30 हजार और 10 लाख की कार पर 50 हजार रुपए तक मिल सकता है बेनिफिट
देश को नई नेशनल ऑटोमोबाइल स्क्रैपेज पॉलिसी के कई फायदे हैं. ये अपनी तरह की एक ऐसी पॉलिसी है जिसके फायदा छोटे कारोबारियों से लेकर इंडस्ट्री, आम आदमी और पर्यावरण तक को होगा. पीएम मोदी ने शुक्रवार को इस पॉलिसी को लॉन्च कर दिया. सरकार का मानना है कि इस पॉलिसी से ऑटो मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री को नई ग्रोथ मिलेगी. इसके अलावा, GST कलेक्शन में 40 हजार करोड़ रुपए की बढ़ोतरी हो सकती है.
कितना मिल सकता है लाभ
पुरानी गाड़ी को स्क्रैप सर्टिफिकेट दिखाने पर नई गाड़ी की खरीदी में 5 फीसदी तक इंसेंटिव का लाभ लिया जा सकता है. स्क्रैपिंग सेंटर, स्क्रैप की गई पुरानी गाड़ी की वैल्यू नई गाड़ी के एक्स-शोरूम कीमत के मुकाबले 4-6% तक देगी. यही नहीं रोड टैक्स पर पर्सनल गाड़ियों पर 25% और कमर्शियल गाड़ियों पर 18% तक छूट मिल जाएगी.
कैसे मिलेगा फायदा
अगर आप कोई 6 लाख रुपए कीमत की कार लेने जा रहे हैं और आपने अपनी पुरानी कार को स्क्रैपिंग सेंटर में बेच दिया है, तो आपको मिले स्क्रैपिंग सर्टिफिकेट के आधार पर नई कार की शोरूम कीमत पर 30 हजार रुपए की छूट ले सकते हैं. इसी तरह, अगर कार 10 लाख रुपए कीमत की होती है, तो इसके एक्स शोरूम प्राइस के मुकाबले 50 हजार रुपए तक की बचत की जा सकती है.
कब से होगा शुरू
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योजना के तहत शुरुआत में, यह हैवी कमर्शियल गाड़ियों को 1 अप्रैल, 2023 से फिटनेस टेस्ट से गुजरना होगा, जबकि दूसरे सभी प्रकार के वाहनों के लिए 1 जून, 2024 से चरणबद्ध तरीके से फिटनेस परीक्षण अनिवार्य कर दिया जाएगा.
कौन सी गाड़ियां हो सकेंगी स्क्रैप
कमर्शियल गाड़ियां अपने रजिस्ट्रेशन के 15 साल बाद डी-रजिस्टर तब हो जाएंगी, अगर उन्हें फिटनेट सर्टिफिकेट नहीं मिला है. इसी तरह निजी यानी प्राइवेट गाड़ियों के लिए ये अवधि 20 साल की रखी गई है. दूसरी ओर, सरकारी गाड़ियां जिसमें राज्य सरकार, केंद्र सरकार, नगर पालिकाएं, पंचायत, स्टेट ट्रांसपोर्ट के वाहन, पब्लिक सेक्टर के वाहन, और केंद्र और राज्य सरकार की स्वायत्त संस्थाओं की गाड़ियां 15 साल बाद डी-रजिस्टर कर स्क्रैपेज की जाएंगी.
कहां मिलेगी फिटनेस सर्टिफिकेट
गाड़ियों को दोबारा रजिस्टर करने के लिए AFCs(Automated fitness centers)से इस सर्टिफिकेट को पाया जा सकेगा. ये देश के कई हिस्सों में खोला जाएगा. ज्यादा प्रदूषण करनेवाली गाड़ियों को पहली बार में अयोग्य घोषित किया जाएगा. लेकिन इसके बाद भी गाड़ी के मालिक को दूसरी बार इसके फिटनेस को दिखाने का मौका दिया जाएगा. लेकिन अगर दूसरी बार भी टेस्ट में गाड़ी फेल होती है तो गाड़ी का दोबारा रजिस्ट्रेशन नहीं हो पाएगा.
पुरानी गाड़ियों के री-रजिस्ट्रेशन पर कई गुना फीस
अगर पर्सनल गाड़ी को 15 साल के बाद फिर से रजिस्ट्रेशन के लिए डाला जाता है तो इसकी फीस 8 गुना ज्यादा वसूल की जाएगी. जबकि कमर्शियल गाड़ियों के रि-रजिस्ट्रेशन के लिए फीस 20 गुना ज्यादा होगी.
इंडस्ट्री को मिलेगा बूस्ट
नेशनल स्क्रैपेज पॉलिसी से देश के ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री को नई जान मिलेगी. सब इसका ड्राफ्ट तैयार किया गया था तब ये आकलन किया गया था कि देश में ऑटोमोबाइल इंड्रस्ट्री 4.5 लाख करोड़ की है जो इस पॉलिसी के आने के बाद 10 हजार करोड़ रुपए तक हो डाएगा. यही नहीं इस पॉलिसी से सेक्टर में करीब 35 हजार लोगों को रोजगार मिलने की भी उम्मीद जताई जा रही है.
क्या है पॉलिसी का मकसद
- इस पॉलिसी के जरिए सड़क से खराब गाड़ियों को हटाना है. साथ ही सड़क सुरक्षा भी एक मकसद है.
- पुरानी गाड़ियों से होनेवाले वायु प्रदूषण को कम करना भी इसका एक मकसद है
- पुरानी गाड़ियों के मुकाबले नई गाड़ियों में सेफ्टी फीचर्स ज्यादा होते हैं. मसलन नई कारों में ड्रायवर के साथ पैसेंजर्स की सीट पर एयर बैग्स दिए जा रहे हैं, पुरानी गाड़ियों में ये व्यवस्था नहीं होती थी. इससे सड़क सुरक्षा का लक्ष्य पाया जा सकेगा.
- ऑटोमोबाइल, स्टील और इलेक्ट्रॉनिक इंडस्ट्री को लो-कॉस्ट मटेरियल उपलब्ध वहो सकेंगे.
देश भर में करीब 500 फिटनेस सेंटर्स होंगे : गडकरी
गुजरात इनवेस्टर्स समिट कार्यक्रम के दौरान नेशनल ऑटोमोबाइल स्क्रैप पॉलिसी की लॉन्चिंग के दौरान केंद्रीय रोड, ट्रांसपोर्ट एंड हाइवे मिनिस्टर नितिन गडकरी ने इस पॉलिसी की रूपरेखा बताई. उन्होंने बताया कि अपने Voluntary Vehicle-Fleet Modernisation programme (VVMP) के तहत, सरकार ने निजी फर्मों और राज्य सरकारों को शामिल करते हुए PPP(public-private partnership )के आधार पर पूरे भारत में 450-500 स्वचालित वाहन फिटनेस परीक्षण स्टेशन स्थापित करने की योजना बनाई है. कुल 60-70 वाहन स्क्रैपिंग केंद्र भी बनाए जाएंगे. ये केंद्र भारत में किसी भी स्थान से 150-200 किलोमीटर से ज्यादा दूर नहीं होंगे. गुजरात की 6 और असम की 1 सहित कुल 7 एजेंसियों ने इस प्रोजेक्ट के लिए 13 अगस्त को सरकार के साथ एक एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं.
300-400 होगी टेस्ट की फीस
गडकरी ने कहा कि फिटनेस टेस्ट के दौरान 20 साल से ज्यादा पुराने प्राइवेट वाहन को हर टेस्ट के लिए 300-400 रुपये अदा करने होंगे. ऑटोमेटेड टेस्ट पास करने वाले वाहन 'ग्रीन टैक्स' के अधीन होंगे. ये ग्रीन टैक्स वाहन मालिकों को वाहन के फिटनेस प्रमाण पत्र के रिन्युअल के समय, री-रजिस्ट्रेशन के समय शुल्क के साथ अतिरिक्त 10 प्रतिशत से 25 प्रतिशत रोड टैक्स का भुगतान करेगा. हालांकि, जो लोग ऑटोमेटेड टेस्ट में फेल होते हैं और वाहन को चलाने का विकल्प चुनते हैं, उन्हें पर्याप्त दंड का सामना करना पड़ेगा.
04:59 PM IST