क्यों अक्सर दिल्ली-एनसीआर में आते हैं भूकंप के झटके, आखिर किस सिस्मिक जोन में आती है देश की राजधानी?
मंगलवार को दिल्ली-एनसीआर में काफी तेज भूकंप के झटके महसूस किए गए. दिल्ली में भूकंप आने का ये कोई पहला या कभी-कभार का मामला नहीं है. जानिए आखिर क्यों दिल्ली-एनसीआर में बार-बार भूकंप आता है.
मंगलवार को दिल्ली-एनसीआर में तेज भूकंप के झटके महसूस किए गए. रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 6.2 थी. भूकंप के झटकों से काफी देर दिल्ली हिलती रही और इसके कारण लोग दहशत में आ गए. लेकिन दिल्ली में भूकंप आने का ये कोई पहला या कभी-कभार का मामला नहीं है. वहां अक्सर भूकंप के झटकों को महसूस किया जाता है. इससे पहले मार्च 2023 में 6.6 तीव्रता वाले भूकंप ने पूरे उत्तर भारत को हिलाया था. ऐसे में ये सवाल तो मन में आता ही है कि आखिर क्यों दिल्ली-एनसीआर में बार-बार भूकंप आता है. आखिर किस सिस्मिक जोन में आती है देश की राजधानी? आइए आपको बताते हैं इसके बारे में.
पहले समझिए क्या होता है सिस्मिक जोन (What is Seismic Zone)
उच्च जोखिम वाले भूकंपीय क्षेत्र यानी वो जगह जहां भूकंप आने की संभावना बहुत ज्यादा होती है, उन जगहों को सिस्मिक जोन कहा जाता है. दुनियाभर की तमाम जगहों को अलग-अलग सिस्मिक जोन में बांटा गया है. भारत में भूकंप की संवेदनशीलता को देखते हुए इसे 2 से लेकर 5 तक के सिस्मिक जोन बनाए गए हैं. इसमें सबसे ज्यादा खतरनाक सिस्मिक जोन 5 है, जहां आठ से नौ तीव्रता वाले भूकंप के आने की आशंका रहती है.
भारत का करीब 11 फीसदी हिस्सा 5वें जोन में आता है. 18 फीसदी चौथे और 30 फीसदी तीसरे जोन में आता है. बाकी बचे हिस्से दूसरे जोन में आते हैं. एरिया के स्ट्रक्चर के आधार पर इलाके को भूकंप की दृष्टि से खतरनाक और कम खतरनाक जोन में बांटा जाता है. बढ़ती आबादी और तेजी से बनती ऊंची इमारतों के कारण दिल्ली-एनसीआर को भी भूकंप की दृष्टि से खतरे के घेरे में रखा गया है.
जानिए किस जोन का हिस्सा है दिल्ली (In which Zone Delhi Comes)
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Seismic Zone 5: सिस्मिक जोन 5 को सबसे ज्यादा खतरनाक माना जाता है. इसमें देश का पूरा पूर्वोत्तर इलाका, जम्मू-कश्मीर का कुछ हिस्सा, हिमाचल प्रदेश का कुछ हिस्सा और उत्तराखंड के कुछ इलाके, गुजरात का कच्छ, उत्तर बिहार और अंडमान निकोबार द्वीप शामिल है
Seismic Zone 4: इसे भी काफी खतरनाक माना जाता है. जोन 4 में भूकंप की तीव्रता 7.9 से 8 तक हो सकती है. दिल्ली-एनसीआर के इलाके भी इस जोन का हिस्सा हैं. इसके अलावा जम्मू कश्मीर, लद्दाख, उत्तराखंड, सिक्किम और हिमाचल प्रदेश के कुछ इलाके, यूपी, बिहार और पश्चिम बंगाल का उत्तरी इलाका, गुजरात का कुछ हिस्सा और पश्चिम तट से सटा महाराष्ट्र और राजस्थान का इलाका इस जोन में आता है.
Seismic Zone 3: इसमें भूकंप की तीव्रता सात या उससे कम होती है. इसमें केरल, गोवा, लक्षदीप, यूपी, गुजरात और पश्चिम बंगाल के बचे हुए इलाके, पंजाब, राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक के इलाके आते हैं. चेन्नई, मुंबई, भुवनेश्वर, कोलकाता और बेंगलुरु को भी जोन 3 में रखा गया है.
Seismic Zone 2: जोन 2 को बेहद कम खतरनाक जोन माना जाता है. यहां 4.9 तीव्रता तक का भूकंप आ सकता है. थिरुचिरापल्ली, बुलंदशहर, मुरादाबाद, गोरखपुर, चंडीगढ़ आदि सिस्मिक जोन 2 में आते हैं.
क्यों आता है भूकंप
दरअसल ये पृथ्वी टैक्टोनिक प्लेटों पर स्थित है. इसके नीचे तरल पदार्थ लावा है. ये प्लेट्स जो लगातार तैरती रहती हैं और कई बार आपस में टकरा जाती हैं. बार-बार टकराने से कई बार प्लेट्स के कोने मुड़ जाते हैं और ज्यादा दबाव पड़ने पर ये प्लेट्स टूटने लगती हैं. ऐसे में नीचे से निकली ऊर्जा बाहर की ओर निकलने का रास्ता खोजती है और इस डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है.
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