WhatsApp, Skype और Google Duo पर लगेगी लगाम, TRAI ने जारी किया कंसल्टेशन पेपर
टेलिकॉम इंडस्ट्री ने ट्राई के सामने फ्री मेसेंजर सर्विसेज के इस्तेमाल और वॉइस ओवर इंटरनेट कॉल के कारण 20,000 करोड़ रुपए के सालाना नुकसान का आंकड़ा पेश किया था.
सोशल मीडिया नेटवर्क व्हाट्सऐप पर लगाम लगाने की लंबे समय से मांग चल रही है. हालांकि सरकार की सख्ती के बाद व्हाट्सऐप ने अपनी सुविधाओं में कुछ बदलाव भी किए हैं. लेकिन अब मामला टेलीकॉम कंपनियों के नफे-नुकसान से जुड़ा हुआ है. टेलीकॉम कंपनियों का कहना है कि व्हाट्सऐप, स्काईप और गूगल डुओ जैसे ऐप से उन्हें भारी नुकसान हो रहा है. इसके लिए टेलीकॉम कंपनियां इन पर लगाम लगाने की मांग लंबे समय से कर रही हैं.
आखिरकार Skype और GoogleDuo जैसे ऐप पर सरकार लगाम लगाने की तैयारी कर रही है. इन्हें रेग्युलेशन के दायरे में लाने के लिए टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया (TRAI) ने एक कंसल्टेशन पेपर जारी किया है. ट्राई ने सभी पक्षों से 10 दिसंबर तक सुझाव मांगे हैं. टेलीकॉम कंपनियों से सुझाव मिलने के बाद ट्राई इस बारे में कोई पुख्ता कदम उठाएगा.
टेलीकॉम कंपनियों को हो रहा है भारी नुकसान
टेलीकॉम कंपनियों की शिकायत है कि व्हाट्सऐप, गूगल डुओ और स्काईप जैसी सर्विस से उनका नुकसान हो रहा है. टेलीकॉम कंपनियों को ओटीटी यानी ओवर द टॉप प्लेयर को लेकर भी शिकायत है. टेलीकॉम कंपनियां इस मुद्दे पर जो भी अपने-अपने सुझाव देंगी उसके बाद रेग्युलेशन लाया जाएगा. टेलीकॉम कंपनियों इन्हें काफी लंबे समय से रेग्युलेशन के दायरे में लाने की मांग कर रही हैं.
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टेलीकॉम इंडस्ट्री ने ट्राई के सामने फ्री मेसेंजर सर्विसेज के इस्तेमाल और वॉइस ओवर इंटरनेट कॉल के कारण 20,000 करोड़ रुपए के सालाना नुकसान का आंकड़ा पेश किया था. और इन ऐप्स के इस्तेमाल के लिए अलग से शुल्क के भुगतान की मांग की थी, लेकिन ट्राई ने टेलीकॉम कंपनियों की इस मांग को ठुकरा दिया था. ट्राई ने उस समय ओटीटी (ओवर द टॉप) के रेग्युलेशन पर कंसल्टेशन पेपर के प्रस्ताव को भी टाल दिया था. लेकिन अब ओटीटी पर भी कंसल्टेशन पेपर जारी किया गया है.
SMS का इस्तेमाल हुआ कम
ओवर-द-टॉप यानी ओटीटी के दायरे में वैसे सभी ऐप्स आते हैं, जिन्हें आप अपने स्मार्टफोन पर डाउनलोड करते हैं. दरअसल, अब ज्यादातर लोग वाइस कॉल और मैसेज के लिए टेलीकॉम कंपनियों की सेवाएं नहीं लेकर ऐप्स का सहारा लेते हैं, इससे टेलीकॉम कंपनियों को सीधे-सीधे नुकसान होता है. टेलीकॉम कंपनियों ने ट्राई के सामने मांग उठाई थी कि ओटीटी प्लेयर्स उनका नेटवर्क इस्तेमाल करने के बदले उन्हें भुगतान दे. ओटीटी प्लेयर्स अभी इसका भुगतान सरकार को करते हैं. और अगर ओटीटी प्लेयर्स टेलीकॉम कंपनियों को चार्ज देने लगे तो अपने ऐप्स की सर्विस के लिए वे उपभोक्ताओं से फीस वसूलेंगे.
उधर, ओटीटी प्लेयर्स का कहना है कि अगर सरकार या टेलीकॉम कंपनियां उनसे कोई भी शुल्क वसूल करती हैं तो यह फ्री में इंटरनेट की पॉलिसी के खिलाफ होगा.
ट्राई का भी मानना है कि ऐप्स सर्विस के इस्तेमाल से लोगों ने टेलीकॉम कंपनियों की सर्विस लेना बहुत कम कर दिया है. पहले हर महीने एक यूजर औसतन 27 एसएमएस भेजता था, जोकि अब घटकर 17 हो गए हैं. त्योहारों के मौके पर तो टेलीकॉम कंपनियां मैसेज के अलग से टैरिफ जारी करती थीं. लेकिन अब ऐसा नहीं होता.
07:22 PM IST