Exclusive: IPO के मनमाने प्राइस बैंड पर लगेगी लगाम, कम से कम 5% अंतर होगा जरूरी
ज़ी बिजनेस ने IPO प्राइस बैंड में घटते अंतर का मुद्दा उठाया था. कई आईपीओ के प्राइस बैंड में 1 या 2 रुपये का अंतर था.
(Image: Reuters)
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मार्केट रेग्युलेटर सेबी IPO में मनमाने प्राइस बैंड पर अब लगाम लगाने की तैयारी में है. नए प्रस्ताव के मुताबिक, अब किसी भी आईपीओ के ऊपरी और निचले प्राइस बैंड में कम से कम 5% अंतर जरूरी होगा. सूत्रों के मुताबिक, सेबी की अगली बोर्ड मीटिंग में यह प्रस्ताव लाया जा सकता है. ज़ी बिजनेस ने IPO प्राइस बैंड में घटते अंतर का मुद्दा उठाया था. इस साल मार्केट में एक के बाद एक आईपीओ मार्केट में आए. इनमें से कई आईपीओ के प्राइस बैंड का अंतर 1 या 2 रुपये था. जिस पर सेबी ने नाखुशी जताई थी और मर्चेंट बैंकों को चिट्ठी लिखी थी.
सेबी की बोर्ड मीटिंग में आएगा प्रस्ताव
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, मार्केट रेग्युलेटर IPO के मनमाने प्राइस बैंड पर लगेगी लगाने जा रहा है. प्राइस बैंड के बीच 5 फीसदी का अंतर जरूरी कर दिया जाएगा. सेबी ने इस पर डिस्कशन पेपर जारी किया था. दिसंबर के पहले हफ्ते में सेबी बोर्ड की बैठक होगी. जिसमें इस प्रस्ताव को लाया जाएगा. इंडस्ट्री से मिली जानकारी के मुताबिक, मर्चेंट बैंक और बाकी स्टेक होल्डर सभी ने यह माना है कि जो उस समय किया गया था वो गलत था. बता दें, मौजूदा नियम के मुताबिक, आईपीओ के प्राइस बैंड में मैक्सिमम 20 फीसदी का अंतर रख सकते हैं. मिनिमम रखने का कोई नियम नहीं है.
#IPO के मनमाने प्राइस बैंड पर लगेगी लगाम।
— Zee Business (@ZeeBusiness) November 16, 2021
ऊपरी और निचले प्राइस बैंड में कम से कम 5% अंतर होगा जरूरी।
जल्द ही सेबी बोर्ड को जा सकता है प्रस्ताव।
ज़ी बिजनेस ने उठाया था IPO प्राइस बैंड में घटते अंतर का मुद्दा। @SEBI_India | @BrajeshKMZee | @AnilSinghvi_ | @SwatiKJain pic.twitter.com/FCcDvAmMTV
शेयर प्राइस तय करने में निवेशकों का होगा अहम रोल
IPO प्राइस बैंड मामूली अंतर की सबसे बड़ी समया यह थी जो प्राइस डिसकवरी हो रही थी. वो पूरी की पूरी बेकार हो जा रही थी. क्योंकि एक रुपये या 2 रुपये के प्राइस बैंड के अंतर में कुछ हो नहीं पा रहा था. निवेशक इसको लेकर चिंतित थे. बड़े निवशकों ने इसकी शिकायत सेबी से की थी. उनका कहना था कि जिस तरह प्राइस बैंड तय हो रहे हैं, वो एक तरह से बुक बिल्डिंग का मजाक बनाया जा रहा है.
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अब एक तरह की डेमोक्रोसी होगी. निवेशक शेयर प्राइस को तय करने में अहम भूमिका निभा पाएंगे. क्योंकि ऊपरी और निचले प्राइस बैंड में ठीकठाक अंतर होगा. अभी तक यह टेंडेसी है कि अपर बैंड में बिड करेंगे तो शेयर मिलेगा. अब शायद बीच में भी एक प्राइस आएगी, जो मनमाना न लगे ओर जो दिखावा न हो.
बीते 5 साल में प्राइस बैंड का औसत अंतर
साल औसत रेंज
2016 5.09%
2017 2.36%
2018 1.77%
2019 2.90%
2020 1.48%
2021 1.53% (3 सितंबर)
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04:56 PM IST