Income Tax return भरते के लिए फॉर्म 16 इतना जरूरी क्यों है? समझिए क्या होता है और कैसे आता है आपके काम
Income tax return: 1961 का आयकर अधिनियम (Income Tax Act, 1961) उन सभी कर्मचारियों को फॉर्म 16 को देना अनिवार्य बनाता है जिनकी वार्षिक आय ₹2.5 लाख से ज्यादा है.
Income tax form 16
Income tax form 16
Income tax return: इनकम टैक्स रिटर्न भरने के लिए सबसे जरूरी डॉक्युमेंट होता है फॉर्म 16. ये सभी सैलरीड क्लास के लिए महत्वपूर्ण है. क्योंकि, सालाना इनकम कितनी हुई, कितना टैक्स कटा और कौन से सेक्शन से आपने टैक्स सेविंग की, इस सबकी जानकारी फॉर्म 16 से मिलती है. फॉर्म 16 में आय (Income), टैक्स सेविंग (tax-saving investment) और टैक्स कटौती (Deductions) के साथ-साथ फाइनेंशियल ईयर के लिए लागू स्रोत पर कर कटौती (Tax Deduction at Source -टीडीएस) के बारे में सारी डीटेल्स होती हैं.
1961 का आयकर अधिनियम (Income Tax Act, 1961) उन सभी कर्मचारियों को फॉर्म 16 को देना अनिवार्य बनाता है, जिनकी सालाना इनकम ₹2.5 लाख से ज्यादा है. कंपनियां/नियोक्ता आम तौर पर हर साल मई-जून में अपने कर्मचारियों को फॉर्म 16 दे देते हैं. अगर आपने एक फाइनेंशियल ईयर में कई जगह काम किया है, तो आपको हर कंपनी से अलग-अलग फॉर्म 16 लेना होगा.
फॉर्म 16 क्यों जरूरी है?
- फॉर्म 16 और इसमें शामिल डीटेल्स कर्मचारियों के लिए अपने आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए बहुत आवश्यक हैं. फॉर्म 16 आपकी सैलरी और भुगतान किए गए टैक्स का पूरी तरह सटीक रिकॉर्ड रखता है. यह अनिवार्य रूप से प्रमाण के रूप में कार्य करता है कि आपने सरकार को टैक्स का भुगतान किया है या नहीं.
- टैक्स दाखिल करते समय, आपको अपनी आय और भुगतान किए गए टैक्सों के निश्चित प्रमाण के रूप में फॉर्म 16 देना होता है.
- इसके अलावा, आप लोन या क्रेडिट के लिए आवेदन करते समय इनकम प्रूफ के तौर पर भी फॉर्म 16 का इस्तेमाल कर सकते हैं.
- फॉर्म 16 यह वेरीफाई करने के लिए भी आवश्यक है कि भुगतान किए गए टैक्स सही हैं या नहीं.
- फॉर्म 16 को आपके वीज़ा प्रोसेसिंग के दौरान सहायक डॉक्यूमेंट के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है.
फॉर्म 16 भाग ए और फॉर्म 16 भाग बी
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फॉर्म16 में दो अलग-अलग भाग होते हैं, फॉर्म 16 भाग ए (Form 16 Part A) और भाग बी (Form 16 Part B).
फॉर्म 16 के भाग A में आम तौर पर ये डीटेल्स होती हैं-
- कर्मचारी की पर्सनल डीटेल्स जैसे नाम, निवास, PAN, और अन्य जानकारी.
- नियोक्ता की डीटेल्स जैसे संगठन का नाम, TAN और PAN.
- प्रत्येक तिमाही में कर्मचारी के वेतन से जो टीडीएस (TDS) काटा गया, साथ ही काटे गए टीडीएस से संबंधित बैंक डीटेल्स और लेनदेन की जानकारी.
- फॉर्म 16 के पार्ट A में लागू फाइनेंशियल ईयर के साथ-साथ उस टाइम पीरियड की भी डीटेल्स होती हैं जिसमें आप संगठन में कार्यरत थे.
फॉर्म 16 पार्ट B
- फॉर्म 16 के पार्ट B में आपकी वेतन की सभी डीटेल्स शामिल होती है. जिसमें आपके वेतन के विभिन्न कटौतियां, छूट और भुगतान शामिल हैं.
- मूल वेतन, हाउस रेंट अलाउंस, भविष्य निधि योगदान (provident fund contributions), टीडीएस, प्रोफेशनल टैक्स , आदि जैसे सभी स्प्लिट-अप पार्ट B में शामिल होते है.
- टैक्स एक्सेम्प्शंस जैसे एचआरए, मेडिकल अलाउंस, कन्वेएंस अलाउंस, आदि.
- आयकर अधिनियम, 1961 (Income Tax Act, 1961) के चैप्टर VI A के तहत दावा की गई कोई भी छूट.
- भुगतान किया गया टैक्स फण्ड के साथ बकाया टैक्स फण्ड की राशि की डिटेल्स, साथ ही टैक्स रिफंड की डिटेल्स.
फॉर्म 16 पार्ट A और पार्ट B में अंतर
फॉर्म 16 के दोनों पार्ट्स में हमे कंफ्यूशन नहीं होनी चाहिए. फॉर्म 16A एक इनकम टैक्स डॉक्यूमेंट है जो वेतन के अलावा पुरे आय के लिए टीडीएस से संबंधित डीटेल्स देता है. इसमें फ्रीलांस कमाई पर टीडीएस, बैंकों में एफडी से अर्जित ब्याज पर टीडीएस, साथ ही कमीशन, किराए और अन्य गैर-वेतन आय पर टीडीएस शामिल है.
वहीं फॉर्म 16B एक टैक्स डॉक्यूमेंट है जिसमें सम्पति की बिक्री के लिए टीडीएस की डीटेल्स होती है. संपत्ति का खरीदार टीडीएस काटने और सरकार को भुगतान करने के लिए जिम्मेदार होता है. फॉर्म 16B तब सेलर को प्रमाण के रूप में जारी किया जाता है जब सरकार को टीडीएस जमा करवा दिया गया हो.
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04:03 PM IST