महंगाई से मिलेगी राहत, बंपर होगी पैदावार, रबी फसलों का रकबा बढ़ा
सभी रबी फसलों का कुल रकबा बीते सप्ताह तक 487.09 लाख हेक्टेयर था जोकि पिछले साल के इसी अवधि के मुकाबले 23.77 लाख हेक्टेयर यानी 5.13 फीसदी अधिक है.
रबी फसलों के लिए मौसम अनुकूल होने के चलते इस बार गेहूं, जौ, चना समेत कई फसलों का रकबा पिछले साल के मुकाबले ज्यादा हो चुका है.
रबी फसलों के लिए मौसम अनुकूल होने के चलते इस बार गेहूं, जौ, चना समेत कई फसलों का रकबा पिछले साल के मुकाबले ज्यादा हो चुका है.
खाने-पीने की चीजों पर आई महंगाई से जल्द ही राहत मिलने की उम्मीद है. रबी फसलों के लिए मौसम अनुकूल होने के चलते इस बार गेहूं (Wheat), जौ, चना समेत कई फसलों का रकबा पिछले साल के मुकाबले ज्यादा हो चुका है. सभी रबी फसलों का कुल रकबा पिछले साल से 5.13 फीसदी बढ़ चुका है. हालांकि तिलहनों और दलहनों का कुल रकबा पिछले साल से पिछड़ा हुआ है. केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की ओर से पिछले सप्ताह जारी रबी फसलों की बुवाई के आंकड़ों के अनुसार, देशभर में गेहूं की बुवाई 248.03 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल की इस अवधि के रकबे 226.25 लाख हेक्टेयर से 21.78 लाख हेक्टेयर यानी 9.62 फीसदी ज्यादा है.
सभी रबी फसलों का कुल रकबा बीते सप्ताह तक 487.09 लाख हेक्टेयर था जोकि पिछले साल के इसी अवधि के मुकाबले 23.77 लाख हेक्टेयर यानी 5.13 फीसदी अधिक है.
दलहन फसलों की बुवाई 119.16 लाख हेक्टेयर में हुई है जोकि पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले 1.75 लाख हेक्टेयर कम है, लेकिन रबी सीजन की सबसे प्रमुख दलहन फसल चना का रकबा पिछले साल के मुकाबले 13,000 हेक्टेयर बढ़कर 80.63 लाख हेक्टेयर हो गया है. हालांकि मसूर की बुवाई पिछले साल के मुकाबले 1.14 लाख हेक्टेयर घटकर 13.75 लाख हेक्टेयर रह गया है.
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तिलहन फसलों का रकबा 68.24 लाख हेक्टेयर हुआ है जबकि पिछले साल इसी अवधि के दौरान तिलहनों की बुवाई 70.71 लाख हेक्टेयर में हुई थी. प्रमुख रबी तिलहन फसल सरसों का रकबा 61.46 लाख हेक्टेयर हुआ है जोकि पिछले साल के 63.76 लाख हेक्टेयर से 2.30 लाख हेक्टेयर कम है.
मोटे अनाजों वाली फसलों का रकबा पिछले साल से 4.22 लाख हेक्टेयर बढ़कर 40.32 लाख हेक्टेयर हो गया है. मोटे अनाजों में जौ का रकबा 76,000 हेक्टेयर बढ़कर 6.85 लाख हेक्टेयर हो गया है और ज्वार की बुवाई 23.52 लाख हेक्टेयर में हुई है जो पिछले साल की इस अवधि के मुकाबले 4.22 लाख हेक्टेयर अधिक है.
महंगाई में इजाफा
बता दें कि सब्जी, दाल समेत खाने-पीने का सामान महंगा होने से थोक मुद्रास्फीति नवंबर माह में बढ़कर 0.58 प्रतिशत पर पहुंच गई. अकेले प्याज के दाम में माह के दौरान सालाना आधार पर 172 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. मासिक थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित सालाना महंगाई दर अक्टूबर में 0.16 प्रतिशत थी. एक साल पहले 2018 नवंबर में मुद्रास्फीति 4.47 प्रतिशत थी.
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सब्जी और दाल की कीमतों में तेजी रही और दोनों की महंगाई दर क्रमश: 45.32 प्रतिशत और 16.59 प्रतिशत रही. वहीं, गैर-खाद्य उत्पाद वर्ग की मुद्रास्फीति अक्टूबर में 2.35 प्रतिशत से कम होकर नवंबर में 1.93 प्रतिशत रह गई.
12:57 PM IST