Budget 2022: आम आदमी की जेब पर कैसे असर डालता है बजट
Budget 2022: बजट में से कई एलानों का देश के आम आदमी पर सीधा असर पड़ता है. कुछ बजटीय प्रावधानों से जहां राहत मिलती है, वहीं, कुछ एलानों से जेब को झटका लगता है.
Indian Union Budget 2022-23: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) वित्त वर्ष 2022-23 का बजट 1 फरवरी को पेश कर सकती है. यह मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का चौथा बजट होगा. अर्थव्यवस्था में आ रही इकोनॉमिक रिकवरी के बीच कोविड19 के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन ने चिंताएं बढ़ा दी है. पिछले बजट में सरकार का फोकस हेल्थ और रूरल इंफ्रा डेवलपमेंट पर रहा था. इस साल सरकार अर्थव्यवस्था को मजबूती देने और आम आदमी को सशक्त करने के लिए कई अहम एलान कर सकती है. इनमें से कई एलानों का देश के आम आदमी पर सीधा असर पड़ता है. कुछ बजटीय प्रावधानों से जहां राहत मिलती है, वहीं, कुछ एलानों से जेब को झटका लग सकता है. समझते हैं, बजट से आम आदमी पर कैसे असर होता है?
नई स्कीम का एलान
आम आदमी को ध्यान में रखते हुए सरकार बजट में नई योजनाओं का एलान भी करती है. जैसे, पिछले साल के बजट में पीएम आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना, व्हीकल स्क्रैपिंग पॉलिसी का एलान किया गया था. पिछले बजट में वित्त मंत्री का फोकस हेल्थ और इंफ्रास्ट्रक्चर पर रहा. ऐसे में इस बजट में वित्त मंत्री आर्थिक रिकवरी को रफ्तार देने, आंत्रप्रेन्योरशिप को प्रमोट करने के साथ-साथ टैक्सपेयर्स को राहत देने के लिए अहम एलान कर सकती हैं.
टैक्स के मोर्चे पर नए प्रावधान
बजट में जब भी हम आम लोगों की बात करते हैं, इनकम टैक्सपेयर्स का नाम सबसे आगे आता है. बजट में ही सरकार यह तय करती है कि आगे के वित्त वर्ष के लिए टैक्सपेयर्स को इनकम की कितनी लिमिट तक टैक्स छूट मिलेगी या टैक्स स्ट्रक्चर में क्या बदलाव किया जाएगा. जैसेकि पिछले बजट में ऐसा कोई नया टैक्स नहीं लगाया गया था. वहीं, पिछले बजट में इनकम टैक्सपेयर्स दाताओं में किसी भी तरह अहम राहत का एलान नहीं किया गया. टैक्स स्लैब में किसी भी तरह का बदलाव नहीं हुआ. हालांकि, सीनियर सिटीजन जो 75 साल से अधिक हैं और उनकी पेंशन व जमा से इनकम है तो उनकी इनकम टैक्स रिटर्न से छूट देने का एलान किया.
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सेस, ड्यूटी में बदलाव
बजट में सरकार किसी चीज पर एक्साइज ड्यूटी, कस्टम ड्यूटी, इंपोर्ट ड्यूटी, सेस बढ़ाती या घटाती है, तो इसका एलान कर सकती है. इसका सीधा असर महंगाई कम होने या ज्यादा होने पर पड़ता है. इम्पोर्टेड प्रोडक्ट पर ड्यूटी अधिक लगने के कारण कंज्यूमर को ज्यादा कीमत देनी पड़ सकती है. वहीं, ड्यूटी घटने से प्रोडक्ट सस्ता हो जाएगा. इसके अलावा, बजट में किसी तरह के नए सेस के लगाने या पुराने से रेट में बदलाव का भी एलान होता है. इसका सीधा असर आम आदमी की जेब पर होता है. जैसे, पिछले बजट में कुछ सामानों पर एग्रीकल्चर इन्फ्रा सेस लगाया जाएगा. इसका लाभ किसानों को दिया जाता है. वहीं, पिछले बजट में वित्तमंत्री ने दी ज्वेलरी इंडस्ट्री को राहत देते हुए कस्टम ड्यूटी 12.5% से घटाकर 10.75% कर दिया था.
इसके अलावा, बजट में किसी प्रोडक्ट के एक्सपोर्ट को बैन करने या फिर एक निश्चित लिमिट से अधिक एक्सपोर्ट या इंपोर्ट न करने का नियम लागू किया जा सकता है. अगर सरकार ने इम्पोर्ट या फिर एक्सपोर्ट से जुड़ा कोई नया नियम लागू कर दिया, तो वह भी महंगाई पर सीधा असर डालेगा.
एजुकेशन, इंफ्रा को लेकर बड़ी योजनाएं
बजट में शिक्षा और देश के बुनियादी ढांचे को और मजबूत बनाने को लेकर भी घोषणाएं की जाती हैं. शिक्षा के क्षेत्र की घोषणाएं बच्चों के भविष्य को संवारकर उन्हें एक अच्छा जीवन जीने में मदद करने के लिए होती हैं. वहीं, इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे सड़क, घर, हॉस्पिटल, रेल की पटरी, बिजली के टावर आदि को लेकर की गई घोषणाएं आम आदमी के जीवन को आसान और सुविधाजनक बनाने के लिए होती हैं.
उदाहरण के तौर पर पिछले बजट में मेगा इन्वेस्टमेंट टेक्सटाइल पार्क स्कीम, राष्ट्रीय हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन, हेल्थ इंफ्रा के लिए 64180 करोड़ की पीएम आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना, कोविड वैक्सीनेशन के लिए 35,000 हजार करोड़ रुपये का एलान किया किया. वहीं, एजुकेशन सेक्टर में 100 से अधिक नए सैनिक स्कूल खोलने, लेह में नया केंद्रीय विश्वविद्यालय, 750 एकलव्य रेजिडेंशियल स्कूल आदिवासी इलाकों में बनाने और अनुसूचित जाति के लिए स्कॉलरशिप स्कीम जैसी अहम घोषणाएं की गईं.
06:33 PM IST