वित्त वर्ष बदलने से शेयर बाजार से लेकर आम आदमी तक पर क्या होगा असर? यहां जानिए
सूत्रों के मुताबिक, नया वित्त वर्ष 1 जनवरी से 31 दिसंबर किया जा सकता है. बजट में सरकार इसकी घोषणा कर सकती है.
देश का वित्त वर्ष बदलने से कई तरह की चीजों में बदलाव होगा. (फाइल फोटो)
देश का वित्त वर्ष बदलने से कई तरह की चीजों में बदलाव होगा. (फाइल फोटो)
देश का वित्त वर्ष 1 अप्रैल से 31 मार्च तक होता है. लेकिन, जल्द ही मोदी सरकार इसे बदलने की तैयारी कर रही है. सूत्रों के मुताबिक, नया वित्त वर्ष 1 जनवरी से 31 दिसंबर किया जा सकता है. बजट में सरकार इसकी घोषणा कर सकती है. अगर ऐसा हुआ तो सरकारी कामकाज तो बदल ही जाएगा. साथ ही कई और चीजें भी बदलेंगी, जिसका सीधा असर आम जनता और घरेलू शेयर बाजार पर पड़ेगा. वित्त वर्ष बदलने पर सबसे पहले आम बजट पेश करने की तारीख बदल जाएगी. आइये जानते हैं और क्या-क्या पड़ेगा असर.
बदल जाएगा शेयर मार्केट का पैटर्न
एस्कॉर्ट सिक्योरिटी हेड रिसर्च और मार्केट एक्सपर्ट आसिफ इकबाल के मुताबिक, वित्त वर्ष की तारीख बदलने पर शेयर बाजार में वेस्टर्न स्टॉक मार्केट के जैसा पैटर्न देखने को मिल सकता है. भारतीय बाजार कुछ हद तक विदेशी बाजारों पर निर्भर करते हैं. नया वित्त वर्ष आने से दोनों बाजारों में अच्छा सिंक आएगा. क्योंकि, विदेशी बाजारों में फाइलिंग 1 जनवरी से 31 दिसंबर के बीच होती है. भारतीय बाजारों में भी फाइलिंग इसी तारीख के बीच हुआ करेगी.
FII की निवेश साइकिल का असर
आसिफ इकबाल के मुताबिक, भारतीय स्टॉक मार्केट में विदेशी संस्थागत निवेशकों का बड़ा रोल है. वित्त वर्ष की तारीख बदलने से भारतीय बाजार के लिए भी विदेशी निवेशकों की साइकिल बदल जाएगी. ऐसे में उनके निवेश का सीधा फायदा बाजार को मिलेगा. दरअसल, दिसंबर और जनवरी का महीना विदेशी बाजारों के लिए काफी अहम होता है. क्योंकि, दिसंबर में विदेशी निवेशक छुट्टी पर जाते हैं और जनवरी में लौटते हैं. भारत में वित्त वर्ष की तारीख बदलने पर शेयर बाजार का ट्रेंड भी बिल्कुल वैसा ही होगा. ऐसे में भारतीय बाजारों के लिए भी जनवरी में विदेशी निवेशक के लौटना फायदेमंद साबित होगा.
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GDP ग्रोथ का अनुमान लगाना होगा आसान
वित्त वर्ष बदलने से देश की GDP ग्रोथ का अनुमान लगाना भी आसान होगा. दरअसल, अभी तक इंटरनेशनल मोनिटेरी फंड (IMF) और वर्ल्ड बैंक भारतीय GDP ग्रोथ का अनुमान सालाना आधार पर लगाते हैं. मतलब यह कि वो पूरे साल का अनुमान जारी करते हैं यानी 2019 के लिए अनुमान क्या होगा. वहीं, आरबीआई देश की जीडीपी ग्रोथ का अनुमान वित्त वर्ष के आधार पर करता है यानी अप्रैल से मार्च के बीच कितनी ग्रोथ रहेगी. वित्त वर्ष बदलने से इन दोनों के बीच तालमेल अच्छा होगा और अनुमान लगाना आसान होगा.
कंपनियों को बदलना होगा पैटर्न
शेयर बाजार से जुड़ी कंपनियों को भी अपनी प्लानिंग चेंज करनी होगी. वित्त वर्ष बदलने पर कंपनियों को अपने तिमाही नतीजों में बदलाव करना होगा. साथ ही उन्हें भी अपनी फाइलिंग भी नए वित्त वर्ष के मुताबिक करनी होगी. इससे कंपनियों के ऑडिट में तेजी आने की उम्मीद है. हालांकि, इसे बदलने में थोड़ा समय लग सकता है या फिर दो तिमाही मिलाकर एक तिमाही को एडजस्ट करके नए वित्त वर्ष से तालमेल बिठाना होगा.
बदल जाएगी टैक्स प्लानिंग
एक्सपर्ट्स की मानें तो वित्त वर्ष के बदलने से सभी करादाताओं को अपनी टैक्स प्लानिंग में बदलाव करना पड़ेगा. अभी तक मार्च के अंत तक टैक्स प्लानिंग होती थी. इसके बाद लोग अपना टैक्स रिटर्न फाइल करते थे. अब उन्हें अप्रैल के बजाए, जनवरी में ही टैक्स प्लानिंग शुरू करनी होगी.
बदल जाएगी रिटर्न फाइल करने की तारीख
अभी तक वित्त वर्ष शुरू होने के बाद जुलाई तक टैक्स रिटर्न फाइल करना होता है. अगर वित्त वर्ष बदलेगा तो टैक्स रिटर्न की तारीख में भी बदलाव होगा. ऐसे में नौकरीपेशा लोगों को इन्वेस्टमेंट प्रूफ नवंबर अंत तक जमा कराने होंगे. साथ ही रिटर्न भी मार्च तक फाइल हो सकेगा. ऐसी स्थिति में रिफंड आने में जुलाई तक समय लगेगा.
06:36 PM IST