बजट 2019: रीयल एस्टेट सेक्टर को स्टाम्प शुल्क से राहत की उम्मीद, नकदी संकट होगा कम
Real Estate: भारतीय रीयल एस्टेट सेक्टर अर्थव्यवस्था के सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक है जिसने 2017 में सकल घरेलू उत्पाद में 6.7 फीसदी का योगदान दिया. हमें लगता है कि वर्ष 2025 तक इसके 13 फीसदी तक पहुंच जाएगा.
रीयल एस्टेट सेक्टर में लेन-देन में कई तरह के करों तथा जटिलताओं में कमी आई है.
रीयल एस्टेट सेक्टर में लेन-देन में कई तरह के करों तथा जटिलताओं में कमी आई है.
पिछले छह-सात सालों से लगातार चुनौतीपूर्ण स्थिति का सामना कर रहे रीयल एस्टेट क्षेत्र को इस बार बजट से काफी उम्मीदें हैं. उनका मानना है कि इस बार बजट में रीयल एस्टेट सेक्टर से स्टाम्प ड्यूटी को खत्म कर देगी. इस क्षेत्र के दिग्गजों का कहना है कि इससे रीयल एस्टेट के कारोबार में आसानी होगी. बिल्डर और डेवलपर्स का कहना है कि जहां एक ओर जीएसटी के चलते रीयल एस्टेट सेक्टर में लेन-देन में कई तरह के करों तथा जटिलताओं में कमी आई है, लेकिन स्टाम्प ड्यूटी अभी भी बनी हुई है. उनका कहना है कि अन्य उद्योगों की तरह इसे रीयल एस्टेट सेक्टर से भी हटाया जाना चाहिए.
जीडीपी में 6.7 प्रतिशत का योगदान
अग्रणी रीयल एस्टेट कंपनी सुपरटेक लिमिटेड के चेयरमैन आर. के. अरोड़ा का कहना है कि इस बार के बजट में रीयल एस्टेट सेक्टर को सरकार से काफी उम्मीदें हैं. उनका कहना है कि भारतीय रीयल एस्टेट सेक्टर अर्थव्यवस्था के सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक है जिसने 2017 में सकल घरेलू उत्पाद में 6.7 फीसदी का योगदान दिया. हमें लगता है कि वर्ष 2025 तक इसके 13 फीसदी तक पहुंच जाएगा. भारत की आज़ादी की 75वीं सालगिरह यानि 2022 तक सभी के लिए आवास के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए सरकार पिछले कुछ सालों से इस क्षेत्र पर विशेष ध्यान दे रही है, हालांकि इस दिशा में अभी बहुत प्रयास करने बाकी हैं.
रीयल एस्टेट की प्रमुख मांग
-आयकर अधिनियम की धारा 72 ए के दायरे में रीयल एस्टेट क्षेत्र को शामिल करें
-घर की संपत्ति से नुकसान के सेट-ऑफ पर प्रतिबंध को हटा दें
-अचल संपत्ति के हस्तांतरण पर भुगतान पर टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती) को हटाया जाए
-डेवलपर्स का तर्क है कि चूंकि भूमि की लागत अलग-अलग शहरों में भिन्न होती है और कुछ शहरों में यह कुल संपत्ति मूल्य के 80 प्रतिशत तक जाती है, इसे 33 प्रतिशत तक सीमित करना अनुचित है
उद्योग का दर्जा देने की मांग
अधिकांश बिल्डर और डेवलपर्स काफी लंबे समय से रीयल एस्टेट सेक्टर को उद्योग का दर्जा दिए जाने की मांग करते रहे हैं. इन्हें इस बजट से काफी उम्मीदें हैं और फिर से ये अपनी इस मांग को दोहरा रहे हैं. उनकी मांग है कि रीयल एस्टेट सेक्टर को उद्योग का दर्जा दिया जाए. इनका कहना है कि रीयल एस्टेट सेक्टर के विकास का असर कई अन्य सहायक उद्योगों पर पड़ता है. नोटबंदी के बाद इस सेक्टर पर सबसे बुरा असर हुआ, अब यह धीरे-धीरे उबरने लगा है. रियल एस्टेट को उद्योग का दर्जा देने से डेवलपर्स के लिए कम दरों पर धनराशि जुटाना आसान हो जाएगा. इस समय पूंजी की लागत एक बड़ी समस्या है, जिसके कम होने से परियोजना की पूरी लागत एवं उपभोक्ताओं के लिए घर की लागत पर असर पड़ेगा. हमें उम्मीद है कि सरकार आवास पर जीएसटी दरों में कमी लाएगी, क्योंकि इससे उद्योग जगत में सुधार होगा.
09:40 AM IST