दिल्ली के कपल ने शुरू किया ये Startup, पेन के प्लास्टिक से दिला रहा निजात, खास टेक्नोलॉजी के जरिए रीफिल तक बनाई कागज से
आज के वक्त में अगर आप पेन खरीदने किसी दुकान पर जाएंगे, तो वहां आपको वही प्लास्टिक वाला पेन मिलेगा. हो सकता है कि कुछ दुकानों में आपको बायोडीग्रेडेबल के नाम पर प्लास्टिक रीफिल वाला पेन भी मिल जाए.
आज के वक्त में अगर आप पेन खरीदने किसी दुकान पर जाएंगे, तो वहां आपको वही प्लास्टिक वाला पेन मिलेगा. हो सकता है कि कुछ दुकानों में आपको बायोडीग्रेडेबल के नाम पर प्लास्टिक रीफिल वाला पेन भी मिल जाए. बॉल पेन की शुरुआत करीब 70 साल पहले हुई थी और तब से लेकर अब तक इसका रंग-रूप तो बदला है, लेकिन इसके कॉन्सेप्ट को लेकर कोई इनोवेशन नहीं हुआ है. यानी 70 साल पहले जो पेन बना होगा, वह आज भी धरती पर कहीं ना कहीं पड़ा होगा. इसी समस्या का समाधान करने आया है स्टार्टअप (Startup) नोट (Note), जो 100 फीसदी बायोडीग्रेडेबल पेन बनाता है. यह ऐसा पेन है, जिसमें जीरो फीसदी प्लास्टिक है.
इस स्टार्टअप की शुरुआत दिल्ली के रहने वाले सौरभ मेहता ने अपनी पत्नी शिवानी मेहता के साथ मिलकर की थी. 2018-19 से ही दोनों ने मिलकर इस पर काम करना शुरू कर दिया था और फिर 2021 आते-आते कंपनी रजिस्टर भी कर ली. कंपनी जल्द ही अपने बायोडीग्रेडेबल पेन को लॉन्च करने की तैयारी में है.
पेन में 95% हिस्सा होता है प्लास्टिक
स्टार्टअप के को-फाउंडर सौरभ मेहता ने जब देखा कि एक पेन में मुश्किल से 5 फीसदी हिस्सा ही काम का होता है, तो उन्हें थोड़ी चिंता हुई. दरअसल, ये 5 फीसदी हिस्सा है पेन की निभ और उसकी स्याही. बाकी रीफिल से लेकर पेन की बॉडी तक सारा प्लास्टिक का होता है, जो पेन के 95 फीसदी हिस्से के बराबर होता है. उस वक्त वह ये सोचने लगे कि कैसे इस प्लास्टिक का कोई विकल्प खोजा जाए. जब उन्होंने पेपर पेन बनाने पर काम करना शुरू किया, तो पेन की कैप और बॉडी तो पेपर से बना ली, लेकिन रीफिल में अभी भी प्लास्टिक ही जा रहा था.
4 साल की रिसर्च, फिर मिला सॉल्यूशन
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रीफिल को प्लास्टिक मुक्त करने की दिशा में उन्होंने काफी काम किया और आखिरकार करीब 4 साल की रिसर्च के बाद एक ऐसा तरीका खोज निकाला, जिससे रीफिल से भी प्लास्टिक हटाई जा सके. उन्होंने एक खास तकनीक से पेपर से रीफिल बनाई. इसमें अंदरूनी सतह पर वेजिटेबल ऑयल लगा होता है, जिसके चलते इंक बाहर नहीं आती. यह वेजिटेबल ऑयल एक बैरियर का काम करता है. यह पेन दिखने और चलने में बिल्कुल रेगुलर पेन जैसा होता है, लेकिन अच्छी बात ये है कि इससे इंक लीक नहीं होती है.
पेपर से लेकर बांस और मार्बल तक के पेन
अपनी 4 सालों की रिसर्च के दौरान भी उन्होंने कुछ पेन-पेंसिल लॉन्च किए थे. हालांकि, इस दौरान जो पेन लॉन्च किए गए थे, उनमें रीफिल प्लास्टिक की ही थी. 100 फीसदी बायोडीग्रेडेबल पेन बनाने में कामयाबी हासिल की. यह स्टार्टअप सिर्फ पेपर के पेन ही नहीं बनाता है, बल्कि बांस और मार्बल के कुछ पेन भी बनाता है.
कितने रुपये के हैं ये पेन?
मौजूदा वक्त में इस स्टार्टअप के पेन की कीमत 25 रुपये से लेकर 500 रुपये तक के बीच है. सौरभ मेहता कहते हैं कि अभी जिस पेन की कीमत 25 रुपये है, वह भविष्य में 5-10 रुपये तक सस्ता हो सकता है. मौजूदा वक्त में बाजार में मिलने वाले प्लास्टिक पेन भी अचानक सस्ते नहीं हुए, बल्कि कई सालों का वक्त लगा है. सौरभ के अनुसार अगर 10 साल भी मिल जाएं तो उसमें ही इन पेन की कीमत 5-10 रुपये के करीब आ सकती है.
स्टार्टअप इंडिया से मिली फंडिंग
इस स्टार्टअप को भारत सरकार की तरफ से चलाई जा रही स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम के तहत करीब 16 लाख रुपये का ग्रांट मिला है. इन पैसों का इस्तेमाल कंपनी ने प्रोडक्ट डेवलपमेंट में किया. अभी तक ये स्टार्टअप बूटस्ट्रैप्ड है, लेकिन आने वाले वक्त में और भी ज्यादा मदद की जरूरत होगी. कंपनी को रिसर्च और डेवलपमेंट में पैसे खर्च करने के लिए फंडिंग भी उठानी पड़ेगी.
06:00 AM IST