रबड़ किसानों के लिए बड़ी खबर! सरकार ने वित्तीय सहायता बढ़ाकर ₹708.69 करोड़ की, जानिए डीटेल
Natural Rubber Sector: रबड़ बोर्ड (Rubber Board) इस योजना के तहत उत्पादकों को नए रोपण और पुराने पौधों के पुनर्रोपण के लिए सब्सिडी देता है.
(Image- Freepik)
(Image- Freepik)
Natural Rubber Sector: सरकार ने अगले दो वित्त वर्षों (2024-26) के लिए प्राकृतिक रबड़ सेक्टर (Natural Rubber Sector) के लिए सतत विकास योजना की राशि को बढ़ाकर 708.69 करोड़ रुपये कर दिया है. वाणिज्य मंत्रालय (Commerce Ministry) में अतिरिक्त सचिव अमरदीप सिंह भाटिया ने यह जानकारी दी. रबड़ बोर्ड (Rubber Board) इस योजना के तहत उत्पादकों को नए रोपण और पुराने पौधों के पुनर्रोपण के लिए सब्सिडी देता है.
भाटिया ने कहा कि इस फंड का उपयोग रबड़ के रोपण, रोपण सामग्री के उत्पादन, उत्पादकता बढ़ाने, रबड़ उत्पादक समितियों के गठन और रबड़ अनुसंधान और प्रशिक्षण के लिए किया जाएगा. उन्होंने कहा, अगले दो वित्त वर्षों के लिए आउटले 576.41 करोड़ रुपये से 23% बढ़कर 708.69 करोड़ रुपये हो गया है.
ये भी पढ़ें- मल्टीबैगर Navratna PSU को मिले ₹369 करोड़ के ऑर्डर, शेयर पर रखें नजर, 6 महीने में 200% का बंपर रिटर्न
TRENDING NOW
FD पर Tax नहीं लगने देते हैं ये 2 फॉर्म! निवेश किया है तो समझ लें इनको कब और कैसे करते हैं इस्तेमाल
8th Pay Commission: केंद्रीय कर्मचारियों के लिए ताजा अपडेट, खुद सरकार की तरफ से आया ये पैगाम! जानिए क्या मिला इशारा
उन्होंने बताया कि केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु सहित पारंपरिक क्षेत्रों में 12,000 हेक्टेयर में रबड़ का रोपण किया जाएगा. उन्होंने कहा कि सहायता की दर 25,000 रुपये प्रति हेक्टेयर से बढ़ाकर 40,000 रुपये प्रति हेक्टेयर कर दी गई है. इससे बढ़ी हुई लागत को पूरा करने में मदद मिलेगी और साथ ही उत्पादकों को अतिरिक्त प्रोत्साहन मिलेगा.
रबर बोर्ड (Rubber Board) द्वारा 50,000 रुपये प्रति हेक्टेयर मूल्य की रोपण सामग्री की आपूर्ति की जाएगी. यह उत्तर पूर्व में INROAD प्रोजेक्ट के तहत किए जा रहे वृक्षारोपण के अतिरिक्त होगा. गैर-पारंपरिक क्षेत्रों में अनुसूचित जाति के उत्पादकों के लिए 2,00,000 रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से रोपण सहायता प्रदान की जाएगी. अच्छी गुणवत्ता वाली रोपण सामग्री पैदा करने के लिए गैर-पारंपरिक क्षेत्रों में बोर्ड द्वारा स्पॉन्सर्ड नर्सरी को बढ़ावा दिया जाएगा. ऐसी 20 नर्सरियों को 2,50,000 रुपये की सहायता प्रदान की जाएगी.
ये भी पढ़ें- Agri Business Idea: साल में 3 बार कर सकते हैं इस फूल की खेती, बीज और तेल बेचकर कमाएं तगड़ा मुनाफा
रबड़ पर आयात शुल्क में कटौती पर विचार नहीं
सरकार फिलहाल रबड़ (Rubber) पर इम्पोर्ट ड्यूटी में कटौती पर विचार नहीं कर रही है क्योंकि स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय कीमतों के बीच अंतर अब भी बरकरार है. भाटिया ने कहा, स्थानीय उत्पादन की तुलना में हम जो आयात प्राप्त कर रहे हैं, उसके लिए हमने पहले से ही एक अंतर बनाए रखा है.
उन्होंने कहा, अगर आप स्थानीय कीमत की अंतरराष्ट्रीय मूल्य से तुलना करें...तो उस आयात शुल्क के कारण ही अंतर बना हुआ है... इसलिए मुझे नहीं लगता कि अभी आयात शुल्क कम करने पर कोई पुनर्विचार किया जा रहा है.
उद्योग के घरेलू उपयोगकर्ता की शुल्कों में कटौती की मांग और स्थानीय उत्पादकों की किसी भी शुल्क कटौती के खिलाफ मांग के बारे में किए सवाल पर उन्होंने यह बात कही. टायर (Tyre) विनिर्माता इस वस्तु के प्रमुख उपभोक्ताओं में से एक हैं. देश में 13 लाख से अधिक रबड़ उत्पादक हैं. उत्पादन का एक बड़ा हिस्सा केरल का है. रबड़ का उत्पादन 2022-23 में 8.39 लाख टन था, उस वित्त वर्ष में खपत 13.5 लाख टन थी. यह अंतर वियतनाम, मलेशिया और अन्य दक्षिण पूर्व एशियाई देशों से आयात द्वारा पूरा किया जाता है.
ये भी पढ़ें- Business Idea: पोल्ट्री फार्म खोलने का सुनहरा मौका, सरकार दे रही ₹40 लाख की सब्सिडी, अभी करें आवेदन
प्राकृतिक रबड़ (Natural Rubber) के आयात को विनियमित करने के लिए सरकार ने 30 अप्रैल, 2015 से सूखे रबड़ के आयात पर शुल्क 25% या 30 रुपये प्रति किलोग्राम (जो भी कम हो) बढ़ा दिया था. सरकार ने अग्रिम लाइसेंसिंग योजना के तहत आयातित सूखे रबड़ के उपयोग की अवधि भी जनवरी, 2015 से 18 महीने से घटाकर छह महीने कर दी थी.
प्राकृतिक रबड़ (Natural Rubber) के आयात के लिए बंदरगाह में प्रवेश जनवरी 2016 से चेन्नई और न्हावा शेवा (जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह) के बंदरगाहों तक सीमित कर दिया गया है. इसके अलावा, केंद्रीय बजट 2023-24 में शुल्क पर हेराफेरी को रोकने के लिए मिश्रित रबड़ पर सीमा शुल्क की दर भी 10% से बढ़ाकर 25% या 30 रुपये प्रति किलोग्राम (प्राकृतिक रबड़ के बराबर) कर दी गई थी.
07:03 PM IST