Success Story: गेहूं छोड़ किसान ने शुरू की इस सब्जी की खेती, एक साल में कमा लिया ₹21 लाख
Success Story: गेहूं-सरसों की खेती से नहीं हुई कमाई तो किसान ने शुरू की इस सब्जी की खेती. अब वो हर महीने 1.80 लाख रुपये की कमाई कर रहे हैं.
Success Story: पारंपरिक खेती में कम मुनाफा को देखते हुए किसान अब नकदी फसलों की खेती करने लगे हैं. दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के हसनपुर गांव के पवन कुमार एक सफल किसान हैं. उनके पास खेती के लिए 4 एकड़ पैतृक भूमि है और वह पारंपरिक रूप से खेती करते थे, विशेष रूप से रबी मौसम के दौरान गेहूं और सरसों उगाते थे. खारे भूजल के कारण खरीफ सीजन के दौरान फसल उगाने में असमर्थ थे, जिससे कृषि उत्पादकता सीमित हो गई. खेती से उनकी सालाना आय बहुत कम थी और वे इस खेती से संतुष्ट नहीं थे. इसके बाद उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र (KVK), दिल्ली सें संपर्क किया और यहां से उनके जीवन में बड़ा बदलाव आया. आज वो सालाना 21 लाख रुपये ज्यादा की कमाई कर रहे हैं.
मशरूम की खेती करने की मिली सलाह
आईसीएआर के मुताबिक, एग्री बिजनेस की तलाश के दौरान पवन को केवीके, दिल्ली के बारे में पता चला और वह वहां चले गए. उन्होंने केवीके के एक वैज्ञानिक के साथ मुनाफे वाली खेती शुरू करने के बारे में बातचीत की, जहां से उन्हें अपनी इच्छा पूरी करने के लिए मशरूम की खेती (Mushroom Farming) शुरू करने का विचार आया. इसे ध्यान में रखते हुए उन्होंने 2016 में केवीके परिसर, दिल्ली में मशरूम की खेती पर एक व्यावसायिक प्रशिक्षण में भाग लिया. उसके बाद उन्होंने अपने खेत में एक इकाई स्थापित की और केवीके से सलाह लेना जारी रखा. केवीके के वैज्ञानिक भी समय-समय पर उनसे मिलने आए और उन्हें बेहतरी के लिए सलाह दी.
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केवीके, दिल्ली से व्यावसायिक प्रशिक्षण लेने के बाद पवन ने केवीके वैज्ञानिकों की देखरेख में 2016-17 के दौरान 700 वर्ग फीट में नियंत्रण स्थिति में बटन मशरूम (Button Mushroom) उत्पादन इकाई की स्थापना की. उन्होंने समय-समय पर उपयुक्त तापमान और आर्द्रता बनाए रखने, खाद तैयार करने, स्पॉनिंग, आवरण, पिकिंग और अन्य प्रथाओं के लिए नियंत्रण स्थिति कक्ष की तैयारी के लिए केवीके वैज्ञानिकों से तकनीकी सहायता भी ली. उन्होंने इस मशरूम फार्म (Mushroom Farm) की दक्षता बढ़ाने के लिए आईसीएआर-मशरूम अनुसंधान निदेशालय, सोलन से भी संपर्क किया.
मार्केटिंग के लिए तैयार किया पोर्टल
2022-23 में पवन ने हाई-टेक मशरूम इकाई को 900 वर्ग फीट से 5000 वर्ग फीट में बदल दिया है. वह आवरण भी तैयार करता है और दूसरे मशरूम उत्पादक को बेचता है. शुरुआत में उन्होंने स्थानीय बाजार में अपनी उपज की आपूर्ति की और अब वह बड़े पैमाने पर अच्छी मार्केटिंग कर रहे हैं और एनसीआर, दिल्ली में रेस्तरां, मॉल आदि में मशरूम की बिक्री और आपूर्ति करते हैं और ऑफ-सीजन मशरूम की खेती के दौरान अच्छी कीमत कमाते हैं. वह संपर्क के आधार पर उपभोक्ताओं की मांग पूरी कर रहे हैं और उन्होंने मशरूम की बुकिंग और आपूर्ति के लिए एक पोर्टल तैयार किया है.
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सालाना 54 हजार किग्रा मशरूम का उत्पादन
यूनिट की शुरुआत के समय उन्हें मशरूम की खेती (Mushroom Cultivation) के लिए पॉश्चराइज्ड खाद बाहर से खरीदनी पड़ी. उन्होंने मशरूम की खेती के लिए एक स्थायी शेड का निर्माण किया और पहले वर्ष में नवंबर, 2016 से फरवरी, 2017 तक मशरूम लिया गया. उन्होंने अपनी मशरूम उत्पादन क्षमता को 5000 वर्ग फुट क्षेत्र के साथ बढ़ाया है, हालांकि इकाई शुरू करने के समय यह 900 वर्ग फिट था. वह नजफगढ़, नई दिल्ली में रेस्तरां और मॉल आदि को डायरेक्ट मार्केटिंग के माध्यम से बेच रहे हैं.
वर्तमान में मशरूम औसतन 100 से 120 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बिक रहे हैं और ऑफ सीजन के दौरान बाजार में इनकी उपलब्धता/मांग और विवाह समारोह के समय इनके मशरूम उत्पाद औसतन 160 से 180 रुपये प्रति किलो की दर से बिकते हैं. वह दक्षिण पश्चिम दिल्ली के लिए छोटे मशरूम उत्पादकों से बटन मशरूम भी खरीदते हैं. अब पवन प्रति वर्ष 21,60,000 रुपये की नेट इनकम के साथ अपनी इकाई से 54,000 किलोग्राम मशरूम का उत्पादन कर रहे हैं.
03:01 PM IST