बिजली कंपनियों ने आयातित कोयले को लेकर की ये मांग, जानें क्या है इनका कहना
power : उच्च स्तरीय अधिकार प्राप्त समिति बिजली क्षेत्र में दबाव कम करने के लिये उपाय तलाश रही है, पर दोहरा कराधान का मामला अभी भी बना हुआ है. आयातित कोयले पर निर्भर करीब एक दर्जन कंपनियों ने उच्च न्यायालयों में अर्जी देकर दोहरा कराधान से राहत का आग्रह किया है.
देश में 2018-19 में 16 करोड़ टन कोयले का आयात हुआ.
देश में 2018-19 में 16 करोड़ टन कोयले का आयात हुआ.
नई दिल्ली. बिजली बनाने वाली कंपनियों के संगठन एसोसिएशन ऑफ पावर प्रोड्यूसर्स (एपीपी) ने वित्त मंत्रालय से बिजलीघरों के लिये आयातित कोयले पर दोहरे कराधान का मुद्दा उठाते हुए इससे राहत दिलाए जाने का से राहत उपलब्ध कराने का आग्रह किया है. एपीपी ने राजस्व सचिव अजय भूषण पांडे को पत्र लिखकर आयातित कोयले की ढुलाई पर लगने वाला माल एवं सेवा कर (जीएसटी) हटाए जाने की मांग की है. जीएसटी 2017 से लागू होने के बाद से बिजली उत्पादकों की समस्या बढ़ी है. उन्होंने आयातित कोयले की ढुलाई पर जीएसटी देना पड़ रहा है.
ऐसा तब है जबकि वे आयातित कोयले के सीआईएफ (लागत, बीमा और माल ढुलाई) मूल्य पर कर का भुगतान पहले कर चुकी होती हैं. एपीपी के महानिदेशक अशोक खुराना ने पत्र में लिखा है, ‘‘कई आयातकों ने विभिन्न अदालतों में समुद्र के रास्ते माल ढुलाई पर जीएसटी लगाए जाने को चुनौती दी है. उनका कहना है कि ढुलाई लागत समेत आयातित कोयले पर एकीकृत जीएसटी (आईजीएसटी) के भुगतान के बाद उनसे परिवहन लागत पर फिर से माल एवं सेवा कर वसूला जाता है. यह दोहरा कराधान है और कानून के हिसाब से यह ठीक नहीं है. हालांकि इसे दुरुस्त करने को लेकर अभी तक कोई अधिसूचना जारी नहीं की गई है.
उन्होंने कहा कि उच्च स्तरीय अधिकार प्राप्त समिति बिजली क्षेत्र में दबाव कम करने के लिये उपाय तलाश रही है, पर दोहरा कराधान का मामला अभी भी बना हुआ है. आयातित कोयले पर निर्भर करीब एक दर्जन कंपनियों ने मुंबई, दिल्ली और गुजरात उच्च न्यायालयों में अर्जी देकर दोहरा कराधान से राहत का आग्रह किया है. पिछले एक-दो साल से जेएसडब्ल्यू एनर्जी, ग्लोबल कोल वेंचर्स, विक्टरी वेंचर्स, सरोगी उद्योग, अनमोल इंडिया, वर्टिगो इम्पेक्स ने याचिकाएं दायर की हैं.
व्यापार निकास ऑल इंडिया बल्क इम्पोर्टर एंड एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन की भी याचिका मुंबई उच्च न्यायालय में लंबित है. बिजली उत्पादक यह दलील दे रहे हैं कि चूंकि बिजली जीएसटी के दायरे से बाहर हैं, ऐसे में आयात पर दिये गये माल एवं सेवा कर के मामले में इनपुट क्रेडिट उपलब्ध नहीं है.
देश में 2018-19 में 16 करोड़ टन कोयले का आयात हुआ. देश में कोयले के कम उत्पादन के साथ बिजली की मांग में वृद्धि से ईंधन की मांग बढ़ने की संभावना है. दोहरा कराधान से पहले से दबाव वाले बिजली क्षेत्र पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है. देश में 2,00,000 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता कोयले पर आधारित है.
03:54 PM IST