वाणिज्य मंत्रालय ने इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर मांगी राय, व्यापारियों ने कही ये बात
वाणिज्य मंत्रालय द्वारा स्टील पर क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) पर भारत का क्या रूख हो उस पर ट्रेड तथा इंडस्ट्री की एक बैठक उद्योग भवन में बुलाई. इस बैठक में व्यापारियों के संगठन कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) सहित अनेक प्रमुख स्टील उत्पादकों एवं संगठनों ने भाग लिया.
वाणिज्य मंत्रालय द्वारा स्टील पर क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी पर राय मांगी गई (फाइल फोटो)
वाणिज्य मंत्रालय द्वारा स्टील पर क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी पर राय मांगी गई (फाइल फोटो)
वाणिज्य मंत्रालय द्वारा स्टील पर क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) पर भारत का क्या रूख हो उस पर ट्रेड तथा इंडस्ट्री की एक बैठक उद्योग भवन में बुलाई. इस बैठक में व्यापारियों के संगठन कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) सहित अनेक प्रमुख स्टील उत्पादकों एवं संगठनों ने भाग लिया. बैठक में कैट व अन्य संगठनों की ओर से मांग की गई कि भारत को स्टील और अन्य संबद्ध उत्पादों पर किसी भी आरसीईपी समझौते पर हस्ताक्षर नहीं करना चाहिए.
आरसीपी समझौता को व्यापारियों ने कही ये बात
बैठक में कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने एक ज्ञापन देकर कहा की स्टील में आरसीपी समझौता घरेलू विनिर्माण और व्यापार के हितों के खिलाफ है और यह अर्थव्यवस्था को एक हद तक प्रभावित करेगा. यह भारत की निर्यात प्रतिस्पर्धा को नुकसान पहुंचाएगा क्योंकि देश में व्यापार संतुलन पहले से ही काफी हद तक ठीक नहीं है. इसलिए भारत को स्टील और अन्य संबद्ध उत्पादों पर किसी भी आरसीईपी समझौते पर हस्ताक्षर नहीं करना चाहिए.
आरसीईपी एक बड़ा व्यापार समझौता है
कैट के अनुसार आरसीईपी, जो एक बड़ा मुक्त व्यापार समझौता है, आरसीईपी देशों विशेष रूप से दक्षिण कोरिया और चीन सहित अन्य आरसीपी देश निर्यात के मोर्चे पर अपेक्षाकृत कम लाभ के साथ भारतीय बाजार में अपने माल को लादेंगे और इसलिए आरसीईपी समझौते के मामले में एक सतर्क दृष्टिकोण की आवश्यकता है.भारत के लिए, टैरिफ दर (आयात शुल्क) आरसीपी समझौते के मामले में बेहद अहम हैं, क्योंकि आरसीईपी में शामिल सभी देशों के साथ भारत के व्यापार समझौते नहीं हैं. आरसीईपी समझौता स्टील, फार्मास्यूटिकल्स, ई-कॉमर्स, खाद्य प्रसंस्करण और कई अन्य क्षेत्रों पर नकारात्मक प्रभाव डालेगा जिससे इन क्षेत्रों की घरेलू हालत बिगड़ेगी.
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इस समझौते में 16 देश हैं शामिल
आरसीपी में शामिल 16 देश नवंबर 2012 से इस बड़े व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहे हैं. उल्लेखनीय है की भारत ने 2018-19 में 11 आरसीईपी सदस्य देशों के साथ व्यापार घाटा दर्ज किया है - जिसमें चीन, दक्षिण कोरिया और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं.
समझौता हुआ तो बढ़ेगी मुश्किल
कैट के अनुसार आरसीईपी के अंदर शामिल देश वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 34% योगदान करते है और जो विश्व व्यापार का 40% हिस्सा है जिसमें दुनिया की लगभग आधी आबादी शामिल है. एक बार समझौता लागू हो जाने के बाद, भारत का व्यापार चीन, दक्षिण कोरिया और अन्य आरसीईपी देशों के लिए पूरी तरह खुल जाएगा जिससे निश्चित रूप से हमारे देश के व्यापार घाटे में और वृद्धि होगी.
06:38 PM IST