"भाई मत कर डिजिटल लेंडिंग शेंडिंग"- अश्नीर ग्रोवर ने RBI की गाइडलाइंस को बताया बेकार, दी यह वजह
अश्नीर ग्रोवर ने एक ट्वीट कर कहा था कि "अगर यूपीआई दुनिया के सबसे बेस्ट टेक या रेगुलेटरी इनोवेशन में से एक है तो आरबीआई की डिजिटल लेंडिंग गाइडलाइंस इस पैमाने पर सबसे खराब मानी जानी चाहिए."
BharatPe के फाउंडर और एक्स-बॉस अश्नीर ग्रोवर ने केंद्रीय रिजर्व बैंक (RBI) की ओर से जारी की गई डिजिटल लेंडिंग गाइडलाइंस की आलोचना करते हुए एक ट्वीट किया. डिजिटल ऐप या प्लेटफॉर्म के जरिए लोन बांटने वाली प्रैक्टिस कितनी अनसेफ है और इससे उधार लेने वालों का डेटा मिसयूज होने का कितना ज्यादा डर है, इसे देखते हुए आरबीआई ने पिछले हफ्ते सभी बैंकों और नॉन-बैंकिंग संस्थाओं को कुछ निर्देश जारी किए थे. लेकिन शार्क टैंक पर जज रह चुके अश्नीर ग्रोवर ने सोमवार को एक ट्वीट करके इन गाइडलाइंस को बेकार बताया.
उन्होंने सोमवार को एक ट्वीट कर कहा कि "अगर यूपीआई दुनिया के सबसे बेस्ट टेक या रेगुलेटरी इनोवेशन में से एक है तो आरबीआई की डिजिटल लेंडिंग गाइडलाइंस इस पैमाने पर सबसे खराब मानी जानी चाहिए." उन्होंने आगे लिखा, "आरबीआई फिनटेक कंपनियों से कह रहा है कि "भाई मत करो डिजिटल लेंडिंग शेंडिंग! बैंकों से होती नहीं, हमें समझ आती नहीं, और पेन पेपर की सेल भी कम होगी."
If UPI is the best tech / regulatory innovation in the world, the RBI’s Digital Lending Guidelines have to be the worst. Essentially RBI is telling Fintechs ‘Bhai mat karo digital lending shending ! Banks se hoti nahi, humein samajh aati nahi, aur pen paper ki sale bhi kam hogi’
— Ashneer Grover (@Ashneer_Grover) September 5, 2022
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उनके इस ट्वीट को लेकर कई तरह के रिएक्शन आए, लेकिन ज्यादातर जोर इस बात पर रहा कि डिजिटल लोन ऐप्स सचमुच बड़ी दिक्कत हैं. लोन ऐप्स पर धोखाधड़ी और डेटा लीक का डर तो है, ऊपर से इनके नियम भी एक तरीके से बॉरोअर्स को भयंकर दबाव में डालते हैं.
क्या कहती हैं आरबीआई की डिजिटल लेंडिंग गाइडलाइंस, बैंकों को क्या दिए हैं निर्देश
आरबीआई ने डिजिटल लेंडिंग के जरिए बढ़ रहे फ्रॉड और कस्टमरों की दिक्कतों को दूर करने के लिए सभी रजिस्टर्ड संस्थाओं को सख्त निर्देश दिए हैं. इनमें सभी कॉमर्शियल बैंक, कोऑपरेटिव बैंक, और नॉन-बैंकिंग फाइनेंशयिल कंपनी और उनके लेंडिंग सर्विस प्रोवाइडर भी शामिल हैं. केंद्रीय बैंक ने कहा कि ये संस्थाएं फिनटेक या डिजिटल लेंडिंग एप्लीकेशंस और इनसे जुड़ी शिकायतों से डील करने के लिए नोडल ग्रीवांस रिड्रेसल ऑफिसर अपॉइंट करें. इन संस्थाओं को इन अधिकारियों की डिटेल भी साफ-साफ अपने प्लेटफॉर्म पर दिखानी होगी.
बॉरोअर्स और कस्टमर्स का डेटा सुरक्षित रहे, इसके लिए भी सभी लेंडर्स को जरूरी कदम उठाने होंगे. वो बॉरोअर्स का पर्सनल डेटा भी स्टोर नहीं कर सकते. ग्राहक की निजी जानकारी से जुड़े सभी डेटा की सुरक्षा की जिम्मेदारी लेंडर की होगी. गाइडलाइंस में कहा गया है कि कोई भी डिजिटल लेंडिंग कंपनी या संस्था ग्राहक की मर्जी के बगैर लोन नहीं बांट सकेगी और न ही लोन की सीमा बढ़ा पाएगी.
यह नई गाइडलाइंस तुरंत प्रभाव से लागू हो चुकी हैं, लेकिन आरबीआई ने लेंडर्स को सिस्टम तैयार करने के लिए 30 नवंबर तक का वक्त दिया है.
04:59 PM IST