इलेक्ट्रिक व्हीकल को बढ़ावा देने की तैयारी में सरकार, बैटरी के लिए लेकर आ सकती है एक और PLI योजना
सरकार देश में बैटरी के लिये एक और PLI योजना लाने पर विचार कर रही है. इसका मकसद बैटरी की लागत में कमी लाकर इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देना है.
केंद्रीय बिजली मंत्री आर के सिंह ने सोमवार को कहा कि सरकार देश में बैटरी के लिये एक और PLI (Production Linked Incentive) योजना लाने पर विचार कर रही है. इसका मकसद बैटरी की लागत में कमी लाकर इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देना है.
PLI योजना
सिंह ने यहां OMI फाउंडेशन के 'ईवी (इलेक्ट्रिक वाहन) रेडी इंडिया डैशबोर्ड' कार्यक्रम में कहा कि हम भंडारण मात्रा या बैटरी संख्या बढ़ाने के लिये एक और PLI योजना लेकर आ रहे हैं. नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय का भी दायित्व संभालने वाले सिंह ने कहा कि बैटरी की मात्रा बढ़ने के साथ भंडारण की कीमत में भी कमी आएगी. भंडारण की कीमत तभी कम होगी जब मात्रा बढ़ाएंगे. यही कारण है कि भंडारण के लिये उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना है.
विदेशी और घरेलू निवेश को आकर्षित करना
उन्होंने कहा कि हाई कोस्ट और ईवी के कम दूरी तक सफर कर पाने की क्षमता इलेक्ट्रिक वाहन अपनाने के रास्ते में कुछ प्रमुख मुद्दे हैं. सरकार ने मई 2021 में 18,100 करोड़ रुपये के अनुमानित व्यय के साथ advanced chemical cell (ACC) बैटरी के विनिर्माण के लिये PLI योजना को मंजूरी दी थी. इसका उद्देश्य 45,000 करोड़ रुपये के विदेशी और घरेलू निवेश को आकर्षित करना था.
50 हजार मेगावाट का सृजन
TRENDING NOW
8th Pay Commission: केंद्रीय कर्मचारियों के लिए ताजा अपडेट, खुद सरकार की तरफ से आया ये पैगाम! जानिए क्या मिला इशारा
आपके EPF में जमा होने वाले पैसों को लेकर बड़े बदलाव की तैयारी... EPFO खत्म कर देगा ये लिमिट! मिलेगा ज्यादा फायदा
इस योजना का मकसद बैटरी भंडारण के क्षेत्र में 50 हजार मेगावाट क्षमता सृजित करना है. मंत्री ने कहा, एक देश के रूप में हमारे लिए इलेक्ट्रिक परिवहन व्यवस्था को अपनाना काफी महत्वपूर्ण है. एक शक्ति (अर्थव्यवस्था) के रूप में उभरने की एक शर्त यह है कि आप ऊर्जा पर आश्रित नहीं हो सकते. यह इलेक्ट्रिक वाहन की ओर बढ़ने का हमारा प्राथमिक कारण है.
कार्बन उत्सर्जन में कमी का लक्ष्य
उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने से देश में कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी. बिजली मंत्री ने कहा कि बैटरी में इस्तेमाल होने वाले लिथियम का 80% संसाधन एक ही देश तक सीमित है और लिथियम का 88 % प्रसंस्करण भी एक ही देश में होता है. मंत्री ने कहा, हम भाग्यशाली हैं कि हमारे पास जम्मू में कुछ लिथियम भंडार हैं.
बिजली की मांग में बढ़ोतरी
उन्होंने लिथियम से अन्य रसायनों वाली बैटरी की ओर स्थानांतरित होने की आवश्यकता पर भी जोर दिया. सिंह ने कहा, सोडियम आयन पर शोध चल रहा है. विकल्प का होना आवश्यक है. एक बार जब आपके पास वैकल्पिक रसायन होता है, तो आपके पास आपूर्ति की सुरक्षा होती है. उन्होंने अक्टूबर के पहले पखवाड़े में बिजली की उच्च मांग में 16 % बढ़ोतरी का जिक्र करते हुए कहा कि बिजली की मांग बहुत बढ़ रही है.
साल में 7.3% बढ़ी बिजली की मांग
अगस्त में बिजली मांग पिछले साल अगस्त की तुलना में 20% बढ़ी. सितंबर में यह फिर से 20% बढ़ी. अक्टूबर के पिछले चौदह दिनों में इसमें लगभग 16% की वृद्धि हुई है. उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था है और अगले दो या तीन दशकों में यह स्थिति बनी रहेगी. मंत्री ने कहा, पिछले वर्ष हमारी वृद्धि दर 7.3% थी.
इस वर्ष हम 6.3% की दर से बढ़ रहे हैं और मेरा आकलन है कि हम 7.5 से 7.8% की दर से बढ़ते रहेंगे. इसीलिए वृद्धि दर बढ़ेगी और स्थिर नहीं रहेगी. उन्होंने कहा कि देश में बिजली की स्थापित उत्पादन क्षमता 4,25,000 मेगावाट है और यह 2030 तक बढ़कर 8,00,000 मेगावाट हो जाएगी. इसका कारण यह है कि देश की बिजली मांग 2030 तक दोगुनी होने वाली है.
Zee Business Hindi Live TV यहां देखें
06:52 PM IST