पाकिस्तान के गले की फांस बना चीन का 'तोहफा', भारत को दबाने के लिए उठाया था ये कदम
पाकिस्तान के रास्ते अरब सागर में अपनी सीधी पहुंच बनाने की चीन की ख्वाहिश अब संकट में फंसती दिख रही है. अरब सागर और हिंदू कुश से जोड़ने वाले 'सिल्क रोड' प्रोजेक्ट पर संकट के बादल मडराने लगे हैं.
चीन से मिलने वाले कर्ज की शर्तों को लेकर पाकिस्तान में सवाल उठाए जा रहे हैं.
चीन से मिलने वाले कर्ज की शर्तों को लेकर पाकिस्तान में सवाल उठाए जा रहे हैं.
पाकिस्तान के रास्ते अरब सागर में अपनी सीधी पहुंच बनाने की चीन की ख्वाहिश अब संकट में फंसती दिख रही है. अरब सागर और हिंदू कुश से जोड़ने वाले 'सिल्क रोड' प्रोजेक्ट पर संकट के बादल मडराने लगे हैं. चीन की महत्वाकांक्षा है कि एक रेल मेगा प्रोजेक्ट के जरिए पाकिस्तान में कराची को पेशावर से जोड़ा जाए. इस प्रोजेक्ट को 'बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव' (बीआरआई) नाम दिया गया है, लेकिन अब इस परियोजना की लागत और कर्ज देने की शर्तों के कारण पाकिस्तान इससे पल्ला झाड़ना चाह रहा है.
दरअसल शुरुआत से ही बीआरआई प्रोजेक्ट को लेकर पाकिस्तान में सवाल उठाए जाते रहे थे, लेकिन भारत विरोधी भावना के चलते पाकिस्तान में इसे कट्टरपंथियों ने मास्टरस्ट्रोक माना गया. इस प्रोजेक्ट के सफल होने से अरब सागर में चीन की सीधी पहुंच हो जाएगी, जो भारत के लिए चिंता की बात है. इस वजह से ही पाकिस्तान में इस प्रोजेक्ट को हाथों हाथ लिया गया. लेकिन अब प्रोजेक्ट पाकिस्तान के ही गले की फांस बन गया है.
पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री इमरान खान ने देश पर बढ़ते कर्ज को लेकर चिंता जताई है और कहा है कि पाकिस्तान को किसी भी कीमत पर विदेशी कर्ज उतारना चाहिए. इमरान खान के सत्ता में आने के बाद बीआरआई परियोजना को लेकर नाखुशी खुलकर सामने आने लगी है. पाकिस्तान के योजना मंत्री खुसरो बख्तियार ने हाल में संवाददाताओं से कहा, 'हम ऐसा मॉडल बनाने पर विचार कर रहे हैं ताकि सारा जोखिम पाकिस्तान सरकार के ऊपर ही न रहे.'
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श्रीलंका, मलेशिया और मालदीव में चीन के निवेश की सच्चाई सामने आने के बाद अब पाकिस्तान में भी चीन पैसा आने की जो गर्मजोशी पहले थी, वो अब गायब हो गई है. इन देशों की परियोजनाओं के लिए चीन ने कड़ी शर्तों के साथ कर्ज दिया है, अब उनके लिए मुसीबत बनने लगा है. इसके चलते मलेशिया ने चीन के सहयोग से शुरू हुई परियोजनाओं को रद्द करने की बात कही है. ऐसी ही बातें श्रीलंका से भी सामने आ रही हैं.
जहां पाकिस्तान अब इस प्रोजेक्ट से हटाना चाह रहा है वहीं चीन ने सिर्फ सरीक्षा करने की बात कही है. चीन के विदेश मंत्रालय ने समाचार एजेंसी रायटर्स को बताया, 'दोनों पक्ष बीआरआई को आगे बढ़ाने के लिए तैयार हैं. जो प्रोजेक्ट तैयार हो चुके हैं और जो निर्माणाधीन हैं, उन्हें सामान्य रूप से आगे बढ़ाया जाएगा.' पाकिस्तान के अधिकारियों का कहना है कि वो चीन का निवेश तो चाहते हैं, लेकिन वाजिब कीमत पर. चाइना-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) के लिए चीन ने 60 अरब डॉलर का फंड तैयार किया है.
पाकिस्तान के एक मंत्री ने बताया कि 'हमारी कुछ चिंताएं हैं. लेकिन कोई और देश पाकिस्तान में निवेश ही नहीं कर रहा है. हम क्या कर सकते हैं?' ऐतिहासिक रूप से पाकिस्तान के मददगार रहे अमेरिका के साथ संबंधों में दरार आने के बाद अब पाकिस्तान चीन के साथ ज्यादा सौदेबाजी की स्थिति में है नहीं. चालू खाता घाटा बढ़ने के साथ ही पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से बेलआउट पैकेज की जरूरत होगी. ऐसे में आईएमएफ खर्च में कटौती की मांग कर सकता है.
03:29 PM IST