Monsoon में क्यों सामने आती हैं बादल फटने की घटनाएं, क्या है बादल का फटना और ऐसा क्यों होता है?
मॉनसून के मौसम में बादल फटने की घटनाएं अधिकतर सामने आती हैं. जब बादल फटता है तो बाढ़ जैसे हालात पैदा हो जाते हैं. आइए आपको बताते हैं कि क्या है बादलों का फटना और ये घटना क्यों घटती है.
Image- PTI
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Cloudburst in Monsoon: बीते कुछ समय से बारिश आफत बनकर सामने आई है. इसके कारण कहीं बाढ़ तो कहीं बादल फटने और लैंडस्लाइड जैसी घटनाएं सामने आ रही हैं. आज मंगलवार को हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले की गड़सा घाटी बादल फट गया जिसके कारण कई मकान क्षतिग्रस्त हो गए, तमाम जगहों पर सड़कें टूट गईं, कई पशु बह गए, बिजली की आपूर्ति बाधित हो गई और कृषि भूमि को भी नुकसान पहुंचा है. बादल फटने की ज्यादातर घटनाएं मॉनसून में सामने आती हैं क्योंकि ये मौसम बारिश का होता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि बादल फटना होता क्या है और आखिर इस तरह की घटनाएं क्यों सामने आती हैं? यहां जानिए इसके बारे में.
क्या होता है बादल फटना
बादल के फटने का मतलब ये नहीं है कि अचानक से कहीं एकदम से गुब्बारे की तरह बादल फट जाएगा. ये एक तकनीकी शब्द है जिसका इस्तेमाल मौसम वैज्ञानिक करते हैं. इसका मतलब है अचानक से एक जगह पर बहुत ज्यादा तेज बारिश होना. IMD के अनुसार, अगर एक जगह पर एक घंटे में 100 MM बारिश होती है तो इसे बादल फटना कहा जाता है. ये ठीक उसी तरह है जैसे पानी का गुब्बारा अगर कहीं पर फोड़ दिया जाए तो अचानक से सारा पानी एक जगह गिर जाता है. इस घटना को Cloudburst या Flash Flood भी कहा जाता है.
क्यों फटते हैं बादल
जब बहुत ज्रूादा नमी वाले बादल एक ही जगह पर इकट्ठे हो जाते हैं तो वहां मौजूद पानी की बूंदें आपस में मिलती हैं. इसके भार से बादल का घनत्व बढ़ जाता है और अचानक से बहुत तेज बारिश शुरू हो जाती है. ज्यादातर बादल फटने की घटनाएं पहाड़ों पर घटती हैं, इसका कारण है कि पानी से भरे बादल हवा के साथ उड़ते हैं. ऐसे में कई बार वो पहाड़ों के बीच फंस जाते हैं और पहाड़ों की ऊंचाई के कारण ये आगे नहीं बढ़ पाते हैं. पहाड़ों के बीच फंसते ही ये बादल पानी में परिवर्तित हो जाते हैं और एक ही जगह पर बरसने लगते हैं. चूंकि बादलों की डेंसिटी पहले से काफी ज्यादा होती है, इस कारण बहुत तेज बारिश होना शुरू हो जाता है.
कितना खतरनाक है बादल का फटना
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बादल के फटने से भयावह स्थितियां पैदा हो जाती हैं. नदी, नालों में अचानक से पानी का स्तर बढ़ने के कारण बाढ़ के हालात पैदा हो जाते हैं. चूंकि पहाड़ों पर ढलान वाले रास्ते होते हैं, ऐसे में पानी रुक नहीं पाता बल्कि तेजी से नीचे की ओर बहता है. ऐसे में ये पानी अपने साथ मिट्टी, कीचड़, पत्थरों के साथ-साथ पशु, इंसान या जो भी चीजें सामने आती हैं, सबको बहाकर ले जाता है. साल 2013 में उत्तराखंड के केदारनाथ में बादल फटने की घटना को आज भी लोग नहीं भूल पाए हैं. बादल फटने के कारण उस समय मन्दाकिनी नदी ने प्रचंड रूप धारण कर लिया था. इस हादसे में हजारों लोगों की मौत हुई थी और हजारों लोग लापता हो गए थे, जो आज भी लापता हैं.
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12:55 PM IST