Weather Women of India: देश की पहली भारतीय महिला साइंटिस्ट 'Anna Mani' को गूगल ने डूडल बनाकर किया याद
Google Doodle: 12 साल की उम्र तक, मणि ने अपने सार्वजनिक पुस्तकालय में लगभग हर किताब पढ़ ली थी. वह अपने पूरी जीवन में एक उत्साही पाठक (Enthusiastic reader) बनी रहीं.
Google Doodle: गूगल आज देश की पहली भारतीय महिला साइंटिस्ट 'Anna Mani' का 104वां बर्थडे सेलिब्रेट कर रहा है. अन्ना मणी भारतीय भौतिक विज्ञानी और मौसम विज्ञानी भी रह चुकी हैं. आज उन्हीं की वजह से देश सटीक मौसम पूर्वानुमान (Weather Forecast) की जानकारी पा सका है. वहीं उन्होंने देश के लिए अक्षय ऊर्जा (Renewable Energy) को इस्तेमाल करने के लिए आधार तैयार किया है.
अन्ना मणी ने लगभग हर किताब पढ़ी है
बता दें आज ही के दिन साल 1918 में अन्ना मणी का पूर्व राज्य त्रावणकोर (वर्तमान केरल) में जन्म हुआ था. उन्होंने अपने शुरुआती साल किताबों में काफी महनत से लगाए. 12 साल की उम्र तक, मणि ने अपने सार्वजनिक पुस्तकालय में लगभग हर किताब पढ़ ली थी. वह अपने पूरी जीवन में एक उत्साही पाठक (Enthusiastic reader) बनी रहीं.
Today’s #GoogleDoodle honours Anna Mani, the 'Weather Woman of India', whose inventions still continue to make our lives easier.
— Google India (@GoogleIndia) August 23, 2022
She gave us gadgets to measure weather, and laid the groundwork for renewable energy.
science us
🤝
forever grateful https://t.co/hM04n95T3W pic.twitter.com/u7P3TXLLKG
क्या रही एजुकेशन?
12th पास करने के बाद उन्होंने महिला क्रिश्चियन कॉलेज (WCC) में अपना इंटरमीडिएट साइंस कोर्स किया और प्रेसीडेंसी कॉलेज, मद्रास से फिजिक और केमेस्ट्री में ऑनर्स के साथ बैचलर ऑफ साइंस (Bachelor of Science) पूरा किया. स्नातक स्तर की पढ़ाई के बाद, उन्होंने एक साल के लिए WCC में पढ़ाया और भारतीय विज्ञान संस्थान (Indian Institute of Science), बैंगलोर में पोस्टग्रेजुएट स्टदीज के लिए स्कॉलरशिप हासिल की. यहां, नोबेल पुरस्कार विजेता सर सी वी रमन (C V Raman) के मार्गदर्शन में, उन्होंने स्पेक्ट्रोस्कोपी (spectroscopy) की पढ़ाई की, डायमेंड्स और रूबीज विशेषज्ञता हासिल की.
मौसम विभाग की पहली जानकार
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अन्ना मणी ने 1948 में देश लौटने पर भारत मौसम विज्ञान विभाग (India Meteorological Department) के लिए काम करना शुरू किया, जहां उन्होंने देश को अपने मौसम की जानकारी, यानी की डिजाइन और निर्माण करने में मदद की. बता दें उन्होंने इस पुरुष-प्रधान क्षेत्र में इतना शानदार परफॉर्म किया कि 1953 तक वह एक डिविजन की प्रमुख बन गईं. उनकी लीडरशिप में, 100 से ज्यादा मौसम उपकरण डिजाइनों (weather equipment designs) को प्रोडक्शन के लिए सरल और मानकीकृत किया गया था.
मौसम संबंधी उपकरण में विशेषज्ञता
साल 1942 और 1945 के बीच, उन्होंने पांच पत्र प्रकाशित किए, अपनी PHD शोध प्रबंध और इंपीरियल कॉलेज, लंदन में स्नातक कार्यक्रम शुरू किया, जहां उन्होंने मौसम संबंधी उपकरण में विशेषज्ञता (Specialization in Meteorological Instrumentation) हासिल की.
09:47 AM IST