Brokers पर क्यों लगी करोड़ों रुपए की पेनाल्टी? आखिर SEBI से अब क्या लगा रहे हैं गुहार?
Brokers penalty news: ब्रोकर्स की दलील है कि तकनीकी खामियों और कन्फ्यूजन का खामियाजा वो क्यों भुगतें. दलील है कि क्लीयरिंग कॉरपोरेशंस से फाइनल मार्जिन की जानकारी तय समय सीमा में नहीं मिल रही थी, जिससे मार्जिन के कैलकुलेशन में दिक्कत आई.
Brokers penalty news: ब्रोकर्स के संगठन ANMI ने शॉर्ट एलोकेशन पेनाल्टी के नियमों में रियायत की मांग की है. ब्रोकर्स (Brokers) ने इसे लेकर कैपिटल मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI), BSE, NSE और दोनों एक्सचेंजेज के क्लीयरिंग कॉरपोरेशंस को चिट्ठी लिखी है. इसमें मांग की गई है कि 1 अगस्त से 15 अगस्त के बीच शॉर्ट एलोकेशन के मामलों में पेनाल्टी से रियायत दी जाए. जो पेनाल्टी लगाई गई है उसे ब्रोकर्स को रीफंड किया जाए. साथ ही फाइनल फाइल एलोकेशन का समय रात 8 बजे से बढ़ाकर अगले दिन 12 बजे तक किया जाए.
तकनीकी खामी से आई दिक्कतें
ब्रोकर्स की दलील है कि तकनीकी खामियों और कन्फ्यूजन का खामियाजा वो क्यों भुगतें. दलील है कि क्लीयरिंग कॉरपोरेशंस से फाइनल मार्जिन की जानकारी तय समय सीमा में नहीं मिल रही थी, जिससे मार्जिन के कैलकुलेशन में दिक्कत आई. ब्रोकर्स का ये भी कहना है कि तकनीकी खामी से कई बार अलग-अलग मार्जिन फाइल में मार्जिन अलग-अलग थे. जैसे अगर किसी क्लाइंट से सुबह 1 लाख रुपये के मार्जिन की जरूरत बताई जा रही थी. बाद में ये अचानक बढ़ गई. ऐसे में ब्रोकर को क्यों गलत ठहराया गया, इससे भारी कंफ्यूजन रहा कि आखिर कितना मार्जिन लेना है. ब्रोकर्स (Brokers) क्लाइंट के हिसाब से अलग-अलग सेगमेंट की जानकारी देने को भी वाजिब नहीं मान रहे हैं. उनके मुताबिक अगर कभी डिफॉल्ट हुआ तो सेगमेंट के हिसाब से नहीं होगा, बल्कि पूरा का पूरा होगा. ऐसे में ब्रोकर्स से सेगमेंट के हिसाब से जानकारी लेने के बदले उन्हें कंबाइंड लेजर भेजने दिया जाए. बाकी अलग-अलग करने का काम खुद क्लीयरिंग कॉरपोरेशंस करें.
29 ब्रोकर्स पर 36.23 करोड़ रुपये की पेनाल्टी
ANMI का दावा है कि उसके सदस्य ब्रोकर्स के बीच एक सर्वे कराया गया था जिसमें से 204 ब्रोकर्स ने जो जवाब दिया. उसके आधार पर कई दिक्कतें सामने आईं. इन दिक्कतों को लेकर रेगुलेटर सेबी,एक्सचेंजों और क्लीयरिंग कॉरपोरेशंस को जानकारी दी गई है. ANMI के मुताबिक 204 में से 29 ब्रोकर्स ने बताया है कि उन पर कुल 36.23 करोड़ रु की पेनाल्टी (penalty on brokers) लगाई गई है.
TRENDING NOW
1 अगस्त से पेनाल्टी लागू करने का नियम
मई में सेबी ने नियम लागू किया था कि सभी ब्रोकर हर क्लाइंट के हिसाब से अलग अलग कितना फंड है, इसकी जानकारी क्लीयरिंग कॉरपोरेशंस को दें. जबकि नियमों का पालन न होने पर 1 अगस्त से पेनाल्टी लागू करने का नियम आया था. नियम लागू करने के पीछे सेबी की मंशा थी कि ब्रोकर एक क्लाइंट के पैसे का इस्तेमाल दूसरे क्लाइंट या खुद के लिए नहीं कर सकें. पहले नियम ये था कि पूरा मार्जिन शेयरों में रखा जा सकता था. नियम इसलिए आया था कि क्लीयरिंग कॉरपोरेशन हर क्लाइंट कितना सौदा कर सकता है, उसकी लिमिट तय कर सकें, जिससे ब्रोकर (Brokers) और क्लाइंट जरूरत से ज्यादा जोखिम न लें. इसके पहले सौदा करने की लिमिट क्लाइंट के बजाय ब्रोकर (penalty on brokers) के हिसाब से तय होती थी. क्लीयरिंग कॉरपोरेशंस वो होते हैं जो स्टॉक एक्सचेंज पर सौदा होने के बाद उसके निपटारे में अहम भूमिका निभाते हैं.
11:05 AM IST