सोना खरीदते वक्त ध्यान दें, ज्वेलर्स ऐसे आपकी जेब पर डालते हैं 'डाका'
दिवाली के आते ही सोने और चांदी की खरीदारी भी दिखने लगती है. धनतेरस पर लोग सोना या चांदी खरीदकर लाते हैं.
दिवाली के आते ही सोने और चांदी की खरीदारी भी दिखने लगती है. धनतेरस पर लोग सोना या चांदी खरीदकर लाते हैं. फिलहाल, सोने की डिमांड कम दिखाई दी है और इसकी कीमतें भी लगातार गिर रही हैं. अभी हाजिर बाजार में सोना 32000 रुपए प्रति दस ग्राम के आसपास है. लेकिन, एक्सपर्ट्स की नजर में सोने की कीमतें अगले तीन महीने में और नीचे जा सकती हैं.
सोना खरीदने के लिए यह सही वक्त है. आगे शादी और त्योहार का सीजन है. ऐसे में ज्वेलरी की डिमांड बढ़ेगी. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि सोने की ज्वेलरी सोने के दाम से महंगी होती है. बाजार में मिलने वाली ज्वेलरी के दाम असल में सोने के दाम से ज्यादा हो सकते हैं. यही नहीं ये दाम हर ज्वेलरी की दुकान पर भी अलग-अलग हो सकते हैं. ऐसा क्यों होता है, क्यों आपकी ज्वेलरी की कीमतों में फर्क आता है, कैसे ज्वेलर्स आपकी जेब पर डाका डालते हैं ये हम आपको बताएंगे.
ज्वेलर्स लगाते हैं मनमाने मेकिंग चार्ज
ज्वेलर्स अक्सर बनी हुई ज्वेलरी को बेचते समय कस्टमर्स से बाजार में सोने के दाम के अतिरिक्त दाम भी वसूलते हैं. ये चार्ज मेकिंग चार्ज के रूप में वसूला जाता है. मेकिंग चार्ज कितना होगा ये ज्वेलरी और ज्वेलर्स पर निर्भर करता है. जिस क्वालिटी और ग्राम की ज्वेलरी होगी, उसके मुताबिक ज्वेलर मनमाने ढंग से आपके चार्ज वसूलते हैं.
TRENDING NOW
FD पर Tax नहीं लगने देते हैं ये 2 फॉर्म! निवेश किया है तो समझ लें इनको कब और कैसे करते हैं इस्तेमाल
8th Pay Commission: केंद्रीय कर्मचारियों के लिए ताजा अपडेट, खुद सरकार की तरफ से आया ये पैगाम! जानिए क्या मिला इशारा
क्या होता है मेकिंग चार्ज?
ज्वेलर्स मेकिंग चार्ज अपने मन मुताबिक लगाते हैं. बड़े ज्वेलर्स के यहां मेकिंग चार्ज छोटे के मुकाबले अधिक होता है. मेकिंग चार्ज इस बात पर निर्भर करता है कि ज्वेलरी कैसी बन रही है. ज्वेलरी में चैन रिंग बैंगल्स और हैवी नेकलेस आदि होते हैं. इन पर औसतन 3200 रु प्रति 10 ग्राम से मेकिंग चार्ज वसूला जाता है. ज्वेलर्स लेबर, वेस्टेज और बनाने में कितने दिन का समय लगा इन सब को जोड़कर मेकिंग चार्ज वसूलते हैं. मेकिंग चार्ज न्यूनतम 5 फीसदी से लेकर अधिकतम 20 -25 फीसदी तक जाता है, वही जब सोने की ज्वेलरी घट जाती है तब छोटे ज्वेलर्स अपने मार्जिन को तो कम करते हैं, लेकिन मेकिंग चार्ज पर किसी तरह की कोई छूट नहीं दी जाती.
मार्केट में दो प्रकार की मिलती है ज्वेलरी
मार्केट में दो प्रकार की ज्वेलरी मिलती है. पहली बीआईएस अप्रूव्ड, इसमें मेकिंग चार्जेस लगभग 600 रुपए प्रति ग्राम है और दूसरी नॉन बीआईएस अप्रूव्ड जिसमें मेकिंग चार्जेस 120 से 200 रुपए प्रति ग्राम है. इस समय गोल्ड 32000 का 10 ग्राम है. अगर आपने बीआईएस अप्रूव्ड गोल्ड लिया तो वह मेकिंग चार्ज के साथ लगभग 38000 रुपए आपको पड़ेगा. वहीं, बिना अप्रूव्ड वाला लगभग 34000 हजार में 10 ग्राम मिल सकता है. 10 ग्राम सोने में इतना अंतर देखकर अक्सर कस्टमर भी चकरा जाता है.
कब हुई थी मेकिंग चार्ज की शुरुआत
मेकिंग चार्ज की शुरुआत 2005-06 में हुई थी, जब गोल्ड की कीमत पहली बार 9,000 रुपए प्रति 10 ग्राम तक पहुंची थी. तभी से ज्वेलर्स ने मनमाने ढंग से मेकिंग चार्ज भी वसूलना शुरू कर दिया था. तब से अब तक ये सिलसिला चला आ रहा है. जबकि मेकिंग चार्ज को लेकर कोई नियम नहीं है.
बेचने पर काटते हैं मेकिंग चार्ज
मेकिंग चार्ज कारीगरी के लेवल पर निर्भर करता है. बेहतर होगा कि इस चीज पर आप ज्यादा पैसे खर्च न करें. अगर आप ज्वेलरी बेचने जाते हैं तो ज्वेलर्स मेकिंग चार्ज काटकर आपको केवल गोल्ड का पैसा देता है. आपको अपनी खरीद वैल्यू का 30 फीसदी तक हिस्सा खोना पड़ सकता है. इसमें से करीब 20 फीसदी मेकिंग चार्ज का होता है और 10-12 फीसदी प्योरिटी संबंधित चीजों से जुड़ा होता है. ज्वेलर से खरीददारी के वक्त ज्वेलरी की कॉस्ट का ब्रेक-अप मांगिए. इसमें गोल्ड की मौजूदा कॉस्ट, मेकिंग चार्ज, स्टोन की वैल्यू और टैक्स शामिल हैं.
12:12 PM IST