झींगा पालन से लाखों का मुनाफा कमा रहे युवा किसान, पहली कोशिश में हो गए थे फेल, जानिए कैसे मिली सफलता
Success Story: पहली कोशिश नाकाम हुई और 3 लाख रुपये का नुकसान हुआ. नुकसान होने के बाद दूसरी कोशिश पूरी तैयारी के साथ की और 5 लाख रुपये का नेट मुनाफा हुआ.
(Image- ICAR)
(Image- ICAR)
Success Story: भारत में मछली पालन का बिजनेस तेजी से बढ़ा है. झींगा मछली पालन में भी लोगों की रुचि बढ़ी है. अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में झींगा पालन (Shrimp Farming) लोकप्रियता हासिल कर रहा है, क्योंकि कुछ किसानों ने दक्षिण अंडमान में इसे मुनाफे वाले बिजनेस में उतरना शुरू कर दिया है.
शुरुआत में हुआ ₹3 लाख का नुकसान
आईसीएआर के मुताबिक, 2023 में पी. अकील अनज और सैयद अनज अहमद, दो शिक्षित युवाओं ने दक्षिण अंडमान के बृंदाबन में श्रिंप एक्वाकल्चर वेंचर (Shrimp Aquaculture Venture) शुरू किया. उन्होंने नेल्लोर, आंध्र प्रदेश से झींगा फार्मों में व्यावहारिक अनुभव पाने के बाद अंडमान द्वीप समूह में अपना उद्यम शुरू किया. हालांकि, स्टॉक किए गए बीजों की बड़े पैमाने पर मृत्यु के कारण उनको शुरुआत में झींगा कल्चर विफल हो गई, जिसके कारण उन्हें लगभग 3 लाख रुपये का नुकसान हुआ.
ये भी पढ़ें- यूट्यूब से मिले आइडिया से खुले बंद किस्मत के दरवाजे, इस विदेशी फल की खेती से लखपति बना किसान
TRENDING NOW
FD पर Tax नहीं लगने देते हैं ये 2 फॉर्म! निवेश किया है तो समझ लें इनको कब और कैसे करते हैं इस्तेमाल
8th Pay Commission: केंद्रीय कर्मचारियों के लिए ताजा अपडेट, खुद सरकार की तरफ से आया ये पैगाम! जानिए क्या मिला इशारा
इसके बावजूद, वे एक्वाप्रेन्योरशिप के लिए प्रतिबद्ध हैं और क्षेत्र में पेशेवरों के सहयोग से झींगा एक्वाकल्चर में एक बार फिर हाथ आजमाने की कोशिश की. दोनों ने तकनीकी सहायता के लिए आईसीएआर-केंद्रीय द्वीप कृषि अनुसंधान संस्थान, पोर्ट ब्लेयर के मत्स्य विज्ञान प्रभाग के वैज्ञानिकों, आईसीएआर-कृषि विज्ञान केंद्र, दक्षिण अंडमान और मत्स्य पालन विभाग, अंडमान और निकोबार प्रशासन के अधिकारियों से संपर्क किया.
ट्रेनिंग के बाद रोगों से लड़ने में मिली मदद
ICAR-CIARI के मत्स्य पालन विज्ञान प्रभाग के वैज्ञानिकों ने बेहतर झींगा पालन मैनेजमेंट प्रैक्टिस, बीमारियों, स्वास्थ्य, भोजन और पानी की गुणवत्ता के लिए तकनीकी सहायता प्रदान की. अनज और अहमद ने मछली और शेलफिश रोगों और उनके स्वास्थ्य प्रबंधन सहित एक्वाकल्चर के अलग-अलग पहलुओं और बेहतर मैनेजमेंट प्रैक्टिस पर ICAR-CIARI द्वारा आयोजित क्षमता निर्माण कार्यक्रम में भी भाग लिया. ICAR-CIARI के वैज्ञानिकों ने मछली और झींगा रोगों के बारे में जानने, उनका मैनेजमेंट करने और वास्तविक समय में उनकी रिपोर्ट करने के लिए राष्ट्रीय जलीय पशु रोग निगरानी कार्यक्रम (NSPAAD) प्रोजेक्ट के तहत विकसित मोबाइल एप्लिकेशन 'Report Fish Disease' का उपयोग करना शुरू कर दिया है.
एक्वाप्रेन्योर्स ने ICAR-CIARI वैज्ञानिकों के तकनीकी सहयोग से 1.5 लाख पोस्ट लार्वा का भंडारण करके 3.2 टन झींगा की सफलतापूर्वक उत्पादन किया. यह उत्पादन चार महीने की एक ही फसल में 6000 वर्ग मीटर क्षेत्र वाले दो झींगा तालाबों से मिला. एक फसल से 14.61 लाख रुपये की कमाई हई और 5 लाख रुपये का नेट प्रॉफिट हुआ.
ये भी पढ़ें- सरकारी मदद से शुरू की ऑर्नामेंटल फिश फार्म, अब हो रही लाखों में कमाई, जानिए सफलता की कहानी
एक्वाप्रेन्योर्स का लक्ष्य झींगा कल्चर को 6000 m2 से 10,000 m2 तक विस्तारित करना और प्रत्येक 100 m3 के चार रीसर्क्युलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम स्थापित करना है. बेहतर मैनेजमेंट प्रैक्टिस द्वारा झींगा एक्वाकल्चर क्षेत्र में महत्वपूर्ण रूप से बदलाव आने की उम्मीद है, जिससे द्वीप एक्वाकल्चर में उत्पादन बढ़ेगी. 20 से 21 मार्च, 2024 तक ICAR-CIARI के किसान मेले के दौरान युवाओं को युवा उद्यमी के रूप में उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए सम्मानित किया गया.
01:30 PM IST