G-Sec: कम रिस्क के साथ मिलेगा बेहतर रिटर्न, समझें क्या है गवर्नमेंट बांड और कैसे कर सकते हैं निवेश
RBI ने हाल ही में बड़ा स्ट्रक्चरल बदलाव करते हुए यह सुविधा दी है कि अब रिटेल निवेशक सरकारी बॉन्ड में सीधे लेनदेन कर सकते हैं. इंडिया अब उन देशों की लिस्ट में शामिल हो चुका है जहां आम निवेशक सरकारी बॉन्ड में लेनदेन करते हैं.
RBI ने हाल ही में बड़ा स्ट्रक्चरल बदलाव करते हुए यह सुविधा दी है कि अब रिटेल निवेशक सरकारी बॉन्ड में सीधे लेनदेन कर सकते हैं. इंडिया अब उन देशों की लिस्ट में शामिल हो चुका है जहां आम निवेशक सरकारी बॉन्ड में लेनदेन करते हैं.
RBI ने हाल ही में बड़ा स्ट्रक्चरल बदलाव करते हुए यह सुविधा दी है कि अब रिटेल निवेशक सरकारी बॉन्ड में सीधे लेनदेन कर सकते हैं. इंडिया अब उन देशों की लिस्ट में शामिल हो चुका है जहां आम निवेशक सरकारी बॉन्ड में लेनदेन करते हैं.
Government Bond: RBI ने हाल ही में बड़ा स्ट्रक्चरल बदलाव करते हुए यह सुविधा दी है कि अब रिटेल निवेशक सरकारी बॉन्ड में सीधे लेनदेन कर सकते हैं. आम निवेशक रिजर्व बैंक आफ इंडिया के जरिए प्राइमरी और सेकंडरी दोनों मार्केट में ट्रांजैक्शन कर सकते हैं. इस फैसले के साथ ही इंडिया अब उन देशों की लिस्ट में शामिल हो चुका है जहां आम निवेशक सरकारी बॉन्ड में लेनदेन करते हैं. इस फैसले के बाद से ही गवर्नमेंट बांड को लेकर चर्चा बढ़ी है. एक्सपर्ट मानते हैं कि मौजूदा समय में गवर्नमेंट बांड निवेश का एक सुरक्षित विकल्प बन सकता है, हां रिस्क कम है और रिटर्न स्टेबल. आरबीआई के एग्रेसिव तरीके से बांड खरीद से आगे बांड मार्केट में और तेजी आने की उम्मीद है.
GSAP 2.0: 1.2 लाख करोड़ के खरीदे जाएंगे बांड
4 जून को RBI ने क्रेडिट पॉलिसी का एलान करते समय कहा कि इसी महीने GSAP 1.0 के तहत 40 हजार करोड़ के अतिरिक्त गवर्नमेंट सिक्योरिटीज (G-sec) की खरीद की जाएगी. वहीं दूसरी तिमाही में GSAP 2.0 के तहत 1.2 लाख करोड़ के गवर्नमेंट सिक्योरिटीज की खरीद ओपेन मार्केट के जरिए की जाएगी. माना जा रहा है कि सरकारी बांड की खरीद से बॉन्ड मार्केट में तेजी आएगी और बॉन्ड यील्ड को कम करने में मदद मिलेगी. इसके पहले GSAP के पहले चरण को बाजार का शानदार रिस्पांस मिला था.
क्या है गवर्नमेंट बांड?
गवर्नमेंट बांड डेट इंस्ट्रूमेंट है, जिसकी खरीद-फरोख्त होती है. केंद्र और राज्य सरकारें इन्हें जारी करती हैं. सरकार को कई बार फंड की जरूरत पड़ती है. ऐसे में बाजार से पैसा जुटाने के लिए इस तरह के बांड जारी किए जाते हैं. अगर सिक्योरिटी एक साल से अधिक की अवधि के लिए जारी की जाती है तो इसे गवर्नमेंट बांड कहते हैं. लिक्विडिटी क्राइसिस क स्थिति में भी ये बांड जारी किए जाते हैं. बॉन्ड की यील्ड और बॉन्ड की कीमत के बीच विपरीत संबंध होता है. RBI खरीदेगा 35000 करोड़ के सरकारी बांड, कोरोना से जंग में सेंट्रल बैंक के 10 बड़े एलान
किन निवेशकों को लगाना चाहिए पैसे
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गवर्नमेंट बांड उनके लिए अच्छा विकल्प है, जो निवेशक बाजार का रिस्क लेने से बचते हैं. सुरक्षित विकल्पों में एफडी, आरडी, टैक्स फ्री बांड के साथ गवर्नमेंट सिक्युरिटीज (G-sec) भी शामिल हैं. सरकार द्वारा जारी होने की वजह से ये सुरक्षित विकल्प माने जाते हैं. ब्याज दरें अभी निचले स्तरों पर है. ऐसे में यह अभी निवेश के लिए बेहतर विकल्प हो सकता है. यहां पिछले 5 साल के रिटर्न देखें तो कई गवर्नमेंट बांड ऐसे हैं, जिनमें एफडी से बेहतर रिटर्न मिला है. IDFC गवर्नमेंट सिक्योरिटीज कांसटेंट मेच्योरिटी, ABSL गवर्नमेंट सिक्योरिटीज, DSP गवर्नमेंट सिक्योरिटीज और LIC MF गवर्नमेंट सिक्योरिटीज PF का पिछले 5 साल का रिटर्न 8 से 10 फीसदी तक रहा है.
सरकारी बांड में कैसे करें निवेश
ब्रोकरेज प्लेटफॉर्म की मदद से इसमें निवेश किया जा सकता है. म्यूचुअल फंड के माध्यम से अप्रत्यक्ष तरीके से भी गवर्नमेंट बांड में निवेश कर सकते हैं. क्योंकि डेट फंड अपना पैसा इसमें लगाते हैं. अगर आप G-Sec में निवेश करते हैं और तीन साल से अधिक समय तक निवेश बनाये रखते हैं तो म्यूचुअल फंड के माध्यम से निवेश करने पर आप इनकम टैक्स में लाभ उठा सकते हैं.
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10:40 AM IST