Kisan Andolan: अन्नदाता फर्श पर, राजनीति अर्श पर, किसानों पर भारी पड़ रहे हैं नेता
किसान आंदोलन का फायदा किसानों को मिले या न मिले, लेकिन किसानों के कंधे पर राजनीति खूब फलीभूत हो रही है.
आंदोलन का आज 19वां दिन है. किसान नेताओं ने आज से अपना आंदोलन और तेज करने का ऐलान किया है. (Image-ANI)
आंदोलन का आज 19वां दिन है. किसान नेताओं ने आज से अपना आंदोलन और तेज करने का ऐलान किया है. (Image-ANI)
केंद्र सरकार के नए तीन कृषि कानूनों (New Farm Laws) के खिलाफ किसान पिछले 19 दिनों से आंदोलन (farmers protest) पर हैं. पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा समेत कई राज्यों के हजारों किसान मौसम की परवाह किए बिना दिल्ली की सीमाओं (Farmers Protest on Delhi Borders) पर डटे हुए हैं.
हालांकि केंद्र सरकार लगातार किसानों को समझाने का हर संभव प्रयास कर रही है. कृषि मंत्री हर मुद्दे पर किसानों से बात करने के लिए तैयार हैं और अभी तक 5 राउंड की बातचीत भी हो चुकी है. लेकिन किसान किसी भी हाल में कानूनों को रद्द करने से कम पर राजी नहीं हैं.
नेता सेंक रहे हैं राजनीतिक रोटियां (Politics in Kisan Andolan)
इस आंदोलन का फायदा किसानों को मिले या न मिले, लेकिन किसानों के कंधे पर राजनीति खूब फलीभूत हो रही है. तमाम विपक्षी दल इस आंदोलन की आंच में अपनी राजनीति रोटियां सेकने में लगे हुए हैं. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है जिस आंदोलन को लेकर पंजाब के किसानों ने देश की राजधानी में हड़कंप मचाया हुआ है, हरियाणा की व्यवस्था चौपट हो चुकी है वहीं, पंजाब पूरी तरह से शांत है. पंजाब में सारे काम-काज पूरी तरह से सामान्य हैं.
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अरविंद केजरीवाल भी भूख हड़ताल पर (Arvind Kejriwal on hunger strike)
आंदोलनकारी किसान नेता आज भूख हड़ताल पर हैं. दिल्ली की आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार ने इसे समर्थन दिया है. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल समेत तमामा आला नेता भी भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं. आईटीओ स्थित आम आदमी पार्टी मुख्यालय पर उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (Mansih Sisodia) की अगुवाई में दिल्ली सरकार के कई मंत्री और विधायक भूख हड़ताल पर बैठे हैं.
राजनेता हैं सूत्रधार (Politicians Hijack farmers Movement)
जानकार बताते हैं कि असल में इस आंदोलन के सूत्रधार किसान नहीं बल्कि राजनेता हैं. और इसकी सूत्रधार पंजाब की कांग्रेस सरकार (Punjab Government) है. पंजाब सरकार ने आंदोलन को लेकर ऐसी रणनीति अपनाई है कि इस आंदोलन की वजह से दिल्ली और हरियाणा पूरी तरह से डिस्टर्व हैं. इस आंदोलन की बागडोर पंजाब के किसानों के हाथों में है और पंजाब में ही आंदोलन का रत्तीभर असर नहीं है.
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बता दें कि जिस समय केंद्र सरकार नए कृषि सुधार कानून लेकर आई थी तो पंजाब सरकार ने इसका सबसे ज्यादा विरोध किया था. पंजाब सरकार ने विधानसभा में भी इन कानूनों को रद्द करने का प्रस्ताव पारित किया था.
किसान आंदोलन की चिंगारी तो पंजाब की कांग्रेस सरकार ने सुलगाई थी, लेकिन इसे दिल्ली तक पंजाब के विपक्षी दलों ने पहुंचाया. अकाली और आम आदमी पार्टी ने इसे बड़े आंदोलन का रूप देने का काम किया.
माओवादियों के हाथ में किसान आंदोलन
दरअसल, केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल ने भी कहा था कि अब यह आंदोलन ज्यादातर लेफ्टिस्टों और माओवादियों के हाथ में चला गया है. उन्होंने कहा कि आंदोलन की आड़ में वामपंथी दल अपना एजेंडा चलाना चाहते हैं.
भारत बंद भी आया था राजनीति की चपेट में (Bharat Bandh)
आंदोलनकारी किसानों ने 12 दिसंबर को भारत बंद का आह्वान किया था. भारत बंद का ऐलान तो किसानों ने किया था लेकिन इसकी कमान राजनेताओं के हाथ में चली गई. एक के बाद एक करके तमाम राजनीतिक दलों ने भारत बंद का समर्थन करते हुए धरने-प्रदर्शन किए. भारत बंद में किसानों के स्थान पर तमाम राजनीतिक दल छाए रहे.
कभी कांग्रेस ने भी किया था समर्थन
किसान आंदोलन के पीछे राजनीतिक एजेंडा के पीछे जानकार बताते हैं कि जो कांग्रेस आज इन बिलों का विरोध कर रही है, वही कभी इन कानूनों को लागू करने की फिराक में थी.
भारतीय कृषक समाज के अध्यक्ष डॉ. कृष्णबीर चौधरी बताते हैं कि डॉक्टर मनमोहन सिंह सरकार के समय में भी एपीएमसी मंडियों को खत्म करने की मांग की गई थी. हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की अगुवाई में यह मुद्दा जोर-शोर से उठा था. इसके लिए आठ मुख्यमंत्रियों की अगुवाई में एक कमेटी का गठन भी किया गया था. हालांकि बाद में यह कोशिश परवान नहीं चढ़ सकी थी.
सरकार सुधार को तैयार
किसान आंदोलन के पीछे की राजनीति को इस बात से भी समझा जा सकता है कि आंदोलनकारी जिन समस्याओं को उठा रहे हैं उन पर सरकार खुले में बातचीत करने के लिए तैयार है. सरकार ने एक प्रस्ताव भी तैयार करके किसान संगठनों के पास भेजा था. इसमें किसानों की समस्याएं और उनके समाधान के उपायों का उल्लेख किया था. कई मुद्दों पर तो सरकार लिखित में आश्वासन देने के लिए भी तैयार है, लेकिन किसान नेताओं ने इस प्रस्ताव को सिरे से नकार दिया.
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02:27 PM IST