National Science Day: जानिए विज्ञान दिवस की कैसे हुई थी शुरूआत, क्यों याद किए जाते हैं सीवी रमन
National Science Day 2021: आज विज्ञान दिवस (Science day) है. महान वैज्ञानिक सीवी रमन की याद में यह हर साल यह 28 फरवरी को मनाया जाता है.
महान वैज्ञानिक सीवी रमन की याद में 28 फरवरी को विज्ञान दिवस मनाया जाता है. (फाइल फोटो)
महान वैज्ञानिक सीवी रमन की याद में 28 फरवरी को विज्ञान दिवस मनाया जाता है. (फाइल फोटो)
National Science Day 2021: आज विज्ञान दिवस (Science day) है. हर साल यह 28 फरवरी को मनाया जाता है. महान वैज्ञानिक सीवी रमन ने 1928 में जो खोज की थी. उसको याद रखने और विज्ञान के प्रति लोगों खासकर बच्चों में रूचि बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है. आपको बता दें कि सीवी रमन द्वारा किए गए खोज को 'रमन प्रभाव' (Raman Effect) के नाम से भी जाना जाता है.
1930 में मिला था नोबल पुरस्कार ( Got Nobel Prize in 1930)
वैज्ञानिक सीवी रमन को साल 1930 में नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. यह पहला मौका था जब किसी भारतीय को विज्ञान के लिए नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize) मिला लेकिन इससे भी बड़ी थी वह खोज जो आज रमन प्रभाव (Raman Effect) के नाम से जानी जाती है. उन्हें 1954 में भारत रत्न से भी नवाजा गया था. इसके बाद साल 1986 से हर साल 28 फरवरी का दिन सीवी रमन द्वारा रमन इफेक्ट की खोज के लिए राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के तौर पर मनाया जाता है. इस बार की थीम है- एसटीआई का भविष्य: शिक्षा, स्किल और काम पर प्रभाव.
विज्ञान दिवस मनाने का उद्देश्य (Purpose of celebrating science day)
पहला राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 28 फरवरी, 1987 को मनाया गया था. इसका उद्देश्य लोगों में विज्ञान के प्रति रूचि बढ़ाने और समाज में जागरूकता लाना है. इस दिन देशभर के राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिषद और विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय कई कार्यक्रमों का आयोजन करती हैं. इतना ही नहीं भारत सरकार वैज्ञानिकों को उनके सराहनीय कार्यों के लिए सम्मानित भी करती है.
कैसे आया था आइडिया? (How did the idea come?)
कहा जाता है कि साल 1921 में जब सीवी रमन ऑक्सफोर्ड में एक कार्यक्रम में हिस्सा लेकर भारत लौट रहे थे तो उन्हें ये आइडिया आया. दरअसल, उस वक्त उन्होंने भूमध्य सागर के पानी में अनोखा नीला और दूधियापन देखा, इससे उनके मन में सवाल उठा और उन्होंने इस पर खोज की. करीब सात साल बाद रमन ने खोज कर इसके कारण का पता लगाया, जिसे ‘रमन प्रभाव’ के नाम से जाना जाता है.
28 फरवरी को मिली थी सफलता (succeed on 28 February)
सीवी रमन के दिमाग में यह सवाल बैठ गया था. इसका जवाब पाने के लिए उन्होंने कई प्रयोग किए और 28 फरवरी 1928 को उन्हें सफलता मिली. इसीलिए 28 फरवरी को ही राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का दर्जा दिया गया है. रमन ने बर्फ के पारदर्शी टुकड़ों और प्रकाश मरकरी आर्क लैम्प के साथ प्रयोग किया और बर्फ से गुजरने के बाद चमकने वाले प्रकाश के स्पैक्ट्रम रिकॉर्ड किए. इन प्रकाश की वजह से स्पैक्ट्रम में बनी रेखाओं को ही बाद में रमन रेखाएं नाम दिया गया.
क्या है रमन प्रभाव (What is Raman effect)
रमन प्रभाव वास्तव में प्रकाश के प्रकीर्णन (Scattering) या बिखराव की प्रक्रिया है जो माध्यम के कणों की वजह से होती है. यह बिखराव तब होता है जब प्रकाश किसी माध्यम में प्रवेश करता है और उसके कारण उसके तरंगदैर्ध्य या वेवलेंथ में बदलाव आ जाता है. जब प्रकाश की किरण एक धूल मुक्तर पारदर्शी (Dust free transparent) रसायन से गुजरती है, प्रकाश का छोटा हिस्सा जिस दिशा में जाना चाहिए उससे भटक जाता है.
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08:05 PM IST