खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य का ऐलान, धान का एमएसपी 1868 और बाजरा 2150 रुपये क्विंटल
कृषि लागत और मूल्य आयोग की सिफारिशों के आधार पर सरकार ने खरीफ की 14 फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किए हैं.
खरीफ सीजन 2020-21 के लिए धान का समर्थन मूल्य 1868 रुपये क्विंटल तय किया गया है. (Photo- Shriram /Zeebiz)
खरीफ सीजन 2020-21 के लिए धान का समर्थन मूल्य 1868 रुपये क्विंटल तय किया गया है. (Photo- Shriram /Zeebiz)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में आज कई अहम फैसले लिए गए. इनमें किसानों के हित से जुड़े बड़े फैसलों पर मुहर लगाई गई है.
बैठक के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री मंत्री नरेंद्र तोमर ने किसान हित में लिए गए फैसलों से मीडिया को अवगत कराया.
रेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) में किसानों के हित में लिए गए फैसलों के बारे में बताया कि खरीफ सीजन (kharif season 2020-21) की 14 फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price) का ऐलान किया गया है. इन फसलों के एमएसपी में फसल की लागत का 50 से लेकर 83 फीसदी तक का मुनाफा शामिल किया गया है.
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि कृषि लागत और मूल्य आयोग की सिफारिशों के आधार पर 14 फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किए हैं.
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न्यूनतम समर्थन मूल्य
खरीफ सीजन 2020-21 के लिए धान का समर्थन मूल्य 1868 रुपये क्विंटल तय किया गया है. आयोग की सिफारिश पर धान की लागत में 50 फीसदी मुनाफा जोड़कर यह कीमत तय की गई है.
ज्वार हाइब्रिड का एमएसपी 2620 (लागत में 50 फीसदी मुनाफा) रुपये/क्विंटल और बाजरा की कीमत 2150 (83 फीसदी मुनाफा) रुपये क्विंटल तय की गई है. मक्का की कीमत 1850 रुपये और अरहर के दाम 7196 रुपये क्विंटल तय किए गए हैं.
इसी तरह रागी की लागत में 50 फीसदी, मक्का में 53 फीसदी, तूर-अरहर में 58 फीसदी, मूंग में 50 फीसदी, उड़द में 64 फीसदी, मूंगफली, सूरजमुखी, सोयाबीन, तिल, रामतिल और कपास की लागत में में 50-50 फीसदी का मुनाफा जोड़कर न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया गया है.
सरकारी खरीद में इजाफा
कृषि मंत्री ने बताया कि लॉकडाउन में भी सरकार ने खेती और उससे जुड़े कामों को लगातार छूट दी थी. गेहूं की खरीद का काम भी देशभर में सुचारू रूप से चल रहा है. अब तक देश में 360 लाख मीट्रिक टन तक हो चुकी है. पिछले साल इसी दौरान यह 342 लाख मीट्रिक टन थी. धान की खरीद 95 लाख मीट्रिक टन हो चुकी है. जबकि पिछले साल यह 90 लाख मीट्रिक टन थी.
दलहन और तिलहन की खरीद 16.07 लाख मीट्रिक टन पर जा पहुंची है. पिछले साल यह आंकड़ा 15 लाख मीट्रिक टन का था.
कर्ज में राहत
सरकार ने खेती और उससे जुड़े काम-धंधों के 3 लाख रुपये तक के अल्पकालिक लोन के भुगतान की मियाद 31 अगस्त, 2020 तक कर दी है. इस बड़ी हुई अवधि में ब्याज में छूट का फायदा भी मिलेगा.
फसली ऋण को चुकाने का समय 31 मार्च था, लेकिन लॉकडाउन के चलते किसानों को होने वाली परेशानी को देखते हुए इसकी समय सीमा बढ़ाकर 31 मई कर दी गई थी, लेकिन हालात अभी भी सामान्य नहीं है तो इस समयसीमा को 31 मई से बढ़कार 31 अगस्त, 2020 कर दिया गया है.
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किसानों को 1 मार्च, 2020 से 31 अगस्त, 2020 के बीच अल्पकालिक कृषि ऋण की ब्याज में दो फीसदी और कर्ज भुगतान में 3 फीसदी का फायदा होगा. भारत सरकार किसानों को 7 फीसदी ब्याज दर पर लोन देती है.
पिछले साल केंद्र सरकार इस मद में 28,000 करोड़ रुपया सब्सिडी के रूप में दिया था.
ऐसे मिलती है ब्याज में छूट
बैंकों का ब्याज 9 फीसदी है. इस ब्याज में 2 फीसदी छूट भारत सरकार देती है और अगर किसान समय पर लोन चुकाता है तो उसे ब्याज में 3 फीसदी की सब्सिडी अलग से दी जाती है. कुल मिलाकर किसानों को महज 4 फीसदी की दर पर 3 लाख रुपये तक का कर्जा मिलेगा.
08:02 PM IST