जून में 84 प्रतिशत ज्यादा मिला मनरेगा में काम, 3.42 करोड़ लोगों को किया गया ऑफर
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय से मिले इन आंकड़ों के अनुसार, बीते मई महीने में औसतन 2.51 करोड़ लोगों को मनरेगा के तहत काम मिला जोकि पिछले साल के इसी महीने के औसत आंकड़े 1.45 करोड़ के मुकाबले 73 फीसदी अधिक है.
मजदूरों की हर रोज की मजदूरी की दर 182 रुपये से बढ़ाकर 202 रुपये कर दी गई है. (रॉयटर्स)
मजदूरों की हर रोज की मजदूरी की दर 182 रुपये से बढ़ाकर 202 रुपये कर दी गई है. (रॉयटर्स)
कोरोना काल में शहरों से वापस घर लौटे करोड़ों प्रवासी मजदूरों को मनरेगा का आसरा मिल गया है. मनरेगा (MNREGA) के तहत गांवों के दिहाड़ी मजूदरों को इस महीने जून में पिछले साल के मुकाबले 84 प्रतिशत ज्यादा काम मिला है. महामारी के मौजूदा संकट काल में यह स्कीम न सिर्फ रोजगार देने वाली बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी गति देने वाली साबित हो सकती है. IANS की खबर के मुताबिक, मनरेगा यानी महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी स्कीम के तहत पूरे देश में इस महीने औसतन 3.42 करोड़ लोगों को रोजाना काम करने की पेशकश की गई है जोकि पिछले साल के इसी महीने के मुकाबले 83.87 प्रतिशत ज्यादा है.
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय से मिले इन आंकड़ों के अनुसार, बीते मई महीने में औसतन 2.51 करोड़ लोगों को मनरेगा के तहत काम मिला जोकि पिछले साल के इसी महीने के औसत आंकड़े 1.45 करोड़ के मुकाबले 73 फीसदी अधिक है. इस प्रकार मई में मनरेगा के तहत रोजगार में 73.1 प्रतिशत का इजाफा हुआ.
वहीं, जून में मनरेगा की स्कीम के तहत रोजाना काम करने वालों की औसत संख्या 3.42 करोड़ है जबकि पिछले साल इसी महीने में इस योजना के तहत रोजाना औसतन 1.86 करोड़ लोगों को काम मिला था. मनरेगा के तहत रोजगार की गिनती मानव दिवस के रूप करते हैं. जिसके मुताबिक एक दिन में जितने लोगों को काम मिलता है वह उतने मानव दिवस होते हैं. इस प्रकार जून में औसतन यह आंकड़ा 3.42 करोड़ मानव दिवस रहेगा.
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि मनरेगा के तहत काम करने वाले मजदूरों को मजदूरी का भुगतान सीधे उनके बैंक खाते में होने लगा है और इस स्कीम के लिए आवंटित राशि में से करीब 31,500 करोड़ रुपये राज्यों को जारी कर दिया गया है.
मनरेगा के तहत चालू वित्त वर्ष 2020-21 में कुल बजटीय आवंटन 61,500 करोड़ रुपये था, लेकिन 17 मई को वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने इस योजना के लिए 40,000 करोड़ रुपये की एक्स्ट्रा राशि के अलॉटमेंट की घोषणा की है. यह राशि आत्मनिर्भर अभियान के तहत सरकार की तरफ से अनाउंस 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज का हिस्सा है. सरकार ने मनरेगा के बजट में बढ़ोतरी कोरोना काल में शहरों से मजदूरों के पलायन को देखते हुए किया है ताकि गांवों में उनको रोजगार मिल सके.
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इसके साथ ही सरकार ने मनरेगा के तहत मजदूरों की हर रोज की मजदूरी की दर 182 रुपये से बढ़ाकर 202 रुपये कर दी है. मनरेगा के तहत जारी पैसे का 60 प्रतिशत हिस्सा अकुशल मजदूरों से लिए जाने वाले काम के लिए उनको मजूदरी देने पर खर्च होता है जबकि 40 प्रतिशत तक हिस्सा योजना के तहत होने वाले काम में इस्तेमाल होने वाली सामग्री की लागत के साथ-साथ परियोजना में शामिल किए जानेवाले कुशल श्रमिकों के पारिश्रमिक पर खर्च किया जाता है.
अर्थशास्त्री बताते हैं कि कोरोना महामारी के मौजूदा संकट के दौर में ग्राीमण क्षेत्र में मनरेगा आय का जरिया है. लोगों को काम मिलेगा तो उनकी जेब में पैसे आएंगे और उनकी क्रय शक्ति बढ़ेगी जिससे डिमांड पैदा होगा.
12:49 PM IST