कोरोना पर अच्छी खबर, भारत बायोटेक की इंट्रानजल वैक्सीन के दूसरे और तीसरे फेज के ट्रायल को मिली मंजूरी
Nasal Vaccine: भारत बायोटेक की इंट्रानजल वैक्सीन को दूसरे और तीसरे फेज के ट्रायल को मंजूरी मिल गई है.
भारत बायोटेक की इंट्रानजल वैक्सीन को दूसरे और तीसरे फेज के ट्रायल को मंजूरी मिल गई है. (फाइल फोटो: india.com)
भारत बायोटेक की इंट्रानजल वैक्सीन को दूसरे और तीसरे फेज के ट्रायल को मंजूरी मिल गई है. (फाइल फोटो: india.com)
Nasal Vaccine: भारत बॉयोटेक ने नाक से दी जाने वाली कोविड वैक्सीन विकसित की है. इसके दूसरे और तीसरे फेज के ट्रायल को सरकार से रेगुलेटरी मंजूरी मिल गई है. देश में यह अपने किस्म का पहला टीका है. जैव-प्रौद्योगिकी विभाग ने कहा है कि 18 से 60 साल की उम्र के लोगों पर वैक्सीन के पहले फेज का ट्रायल पूरा हो चुका है. इस दौरान इसका कोई भी दुष्प्रभाव (साइड इफेक्ट) सामने नहीं आया है.
क्लिनिकल ट्रायल से पहले भी टीके से किसी तरह का खतरा होने का अध्ययन किया गया था. जिसमें पाया गया कि यह पूरी तरह से सुरक्षित है. जैव-प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव डॉक्टर रेणु स्वरूप ने कहा है कि मिशन कोविड सुरक्षा के तहत उनका विभाग सुरक्षित और प्रभावी कोविड टीके विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध है.
फेज 2 और 3 के ट्रायल को मंजूरी
भारत बायोटेक द्वारा जैव प्रौद्योगिकी विभाग और उसके सार्वजनिक उपक्रम, Biotechnology Industry Research Assistance Council (BIRAC) के सहयोग से विकसित किए जा रहे भारत के पहले इंट्रानजल वैक्सीन को शुक्रवार को फेज 2 और 3 ट्रायल के लिए नियामक मंजूरी मिल गई. विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है, भारत बायोटेक का इंट्रानजल वैक्सीन नाक में डालने वाली पहली वैक्सीन है, जिसे फेज 2/3 ट्रायल के लिए नियामक अनुमोदन मिला है. यह भारत में मानव नैदानिक परीक्षणों (Human clinical trials) से गुजरने वाला अपनी तरह का पहला कोविड-19 टीका है. BBV154 एक इंट्रानजल प्रतिकृति-कमी वाला चिंपांजी एडेनोवायरस सार्स-कोव-2 वेक्टरेड वैक्सीन है.
पहले फेज का रहा अच्छा रिजल्ट
बीबीआईएल के पास अमेरिका के सेंट लुइस में वाशिंगटन विश्वविद्यालय से लाइसेंस प्राप्त तकनीक है. कंपनी की रिपोर्ट है कि पहले चरण के परीक्षण में स्वस्थ स्वयंसेवकों को दी जाने वाली वैक्सीन की खुराक को अच्छी तरह से सहन किया गया है, और कोई गंभीर प्रतिकूल घटना की सूचना नहीं मिली है. पहले वैक्सीन को प्री-क्लिनिकल टॉक्सिसिटी स्टडीज में सुरक्षित, इम्युनोजेनिक और अच्छी तरह से सहन करने योग्य पाया गया था. वैक्सीन जानवरों पर किए गए अध्ययन में उच्च स्तर के न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी को प्राप्त करने में सक्षम थी.
जैव प्रौद्योगिकी सचिव और बीआईआरएसी (जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद) की अध्यक्ष डॉ. रेणु स्वरूप ने कहा, विभाग मिशन कोविड सुरक्षा के माध्यम से सुरक्षित और प्रभावकारी कोविड-19 टीकों के विकास के लिए प्रतिबद्ध है.
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09:26 PM IST