'इंसाफ' से विपक्ष का 'ट्रिपल तलाक'! आखिर महिला अधिकारों का विरोध क्यों?
ट्रिपल तलाक बिल के विरोध की आड़ में मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की दुहाई देने वाले विपक्ष की पोल लोकसभा में आजम खान ने खोल दी.
विपक्ष ने यह कहते हुए विरोध किया कि बिल मुस्लिम महिलाओं के हित में नहीं है.
विपक्ष ने यह कहते हुए विरोध किया कि बिल मुस्लिम महिलाओं के हित में नहीं है.
ट्रिपल तलाक बिल के विरोध की आड़ में मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की दुहाई देने वाले विपक्ष की पोल लोकसभा में आजम खान ने खोल दी. गुरूवार को ट्रिपल तलाक बिल पर चर्चा के दौरान विपक्ष का दांव उस वक्त उल्टा पड़ गया जब समाजवादी पार्टी सांसद आजम खान ने स्पीकर की चेयर पर बैठी और सदन को संचालित कर रही बीजेपी सांसद रमा देवी पर अभद्र टिप्पणी कर दी. टिप्पणी इतनी अभद्र है कि हम आपको ये बता नहीं सकते है. लेकिन इस टिप्पणी के बाद संसद में हंगामा हो गया और आजम खान को इस बदजुबानी के लिए माफी मांगने की मांग होने लगी.
आजम खान महिलाओं पर अभद्र टिप्पणी करने के लिए पहले से बदनाम रहे हैं. उन्होंने लोकसभा चुनाव के दौरान जया प्रदा पर भी अभद्र टिप्पणी की थी. लोकसभा की कार्रवाई के दौरान सदन को हैरानी उस वक्त हुई जब अखिलेश यादव आजम खान की इस टिप्पणी का विरोध करने की बजाए उनके बचाव में आ गए. यही नहीं अखिलेश ने भी ऐसे बोल बोले जिस पर स्पीकर ने उनसे माफी मांगने को कहा.
#LIVE | #DeshKiBaat लोकसभा में पास #TripleTalaqBill, महिलाओं से आज़म की 'अभद्रता' कब तक? @AnilSinghviZEE https://t.co/zGWrM28KAH
— Zee Business (@ZeeBusiness) July 25, 2019
इससे पहले चर्चा के दौरान ट्रिपल तलाक बिल पर जमकर राजनीति देखने को मिली. चर्चा शुरू हुई तो सरकार ने दोहराया कि ये महिलाओं के अधिकारों से जुड़ा एक ऐतिहासिक विधेयक है. दूसरी ओर विपक्ष अपने पुराने रुख पर कायम रहा कि बिल में मुस्लिम महिलाओं पर अत्याचार हो रहा. बिल पर चर्चा के दौरान तीखी बहस देखने को मिली. असदुद्दीन ओवैसी ने दलील दी कि इस्लाम में शादी कॉन्ट्रैक्ट है, जन्म जन्मांतर का संबध नहीं. तो कांग्रेस ने इसे संसदीय समिति के पास भेजने की मांग दोहराई. सरकार ने जबाव दिया कि इसे धर्म के चश्मे से नहीं देखा जाए क्योंकि ये महिलाओं के अधिकार से जुड़ा मसला है.
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लोकसभा में सत्ता पक्ष के संख्या बल को देखते हुए इस बिल की असली परीक्षा राज्यसभा में होगी. हालांकि एनडीए के घटक जेडीयू के विरोध ने इस बिल पर सरकार की चिंता जरूर बढ़ा दी है. जेडीयू का कहना है कि सरकार को पहले इस बिल पर सबके साथ चर्चा करनी चाहिए.
ये पहली बार नहीं है जब विपक्ष 3 तलाक बिल की राह में रोड़ा बना हो. इससे पहले सरकार ने 2017 में तीन तलाक बिल लोकसभा में पेश किया. इसके बाद 19 सिंतबर 2018 को सरकार अध्यादेश लाई. सरकार का प्रयास यहीं नहीं रुका. विपक्ष के विरोध के बीच 17 दिसंबर 2018 को सरकार ने लोकसभा में नए सिरे से बिल पेश किया. 2019 में सरकार दूसरा अध्यादेश लाई. 3 फरवरी 2019 को तीसरा अध्यादेश आया. लेकिन विपक्ष ने इससे जुड़े बिल को राज्यसभा में अटका दिया.
विपक्ष ने यह कहते हुए बिल का विरोध किया बिल मुस्लिम महिलाओं के हित में नहीं है. लेकिन सरकार ने दूसरी बार सत्ता संभालते ही अपनी मंशा भी साफ कर दी. 21 जून 2019 को मुस्लिम महिला विधेयक 2019 पेश किया.
सवाल ये है कि क्या महिलाओं के हक की वकालत करने वाला विपक्ष महिलाओं पर अभद्रता से महिलाओं को उनका हक दिलाएगा. क्या ट्रिपल तलाक का विरोध कर जनता के बीच विपक्ष अपनी ही किरकिरी करा रहा है. आखिर क्यों ट्रिपल तलाक बिल को विपक्ष धार्मिक चश्मे से देख रहा है. राज्यसभा में बिल की राह क्या होगी. आखिर कब तक होगी ट्रिपल तलाक पर राजनीति. इसी पर होगी आज देश की बात.
08:09 PM IST