सुप्रीम कोर्ट से Supertech को झटका, एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट में 40 मंजिला 2 टावर ढहाने के आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि बिल्डर बॉयर्स को दो महीने में पैसा वापस करेगा. कोर्ट ने माना कि इस अवैध निर्माण के पीछे नोएडा अथॉरिटी और बिल्डर की मिलीभगत है.
Supertech Emerald Court project के दोनों ही ट्वीन टावर में करीब 1000 फ्लैट हैं. (Image: supertech website)
Supertech Emerald Court project के दोनों ही ट्वीन टावर में करीब 1000 फ्लैट हैं. (Image: supertech website)
सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) से रीयल एस्टेट कंपनी सुपरटेक (Supertech) को तगड़ा झटका लगा है. शीर्ष कोर्ट ने सुपरटेक के नोएडा एक्सप्रेस स्थित एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट (Supertech Emerald Court Project) के टावर-16 और 17 को अवैध ठहराया और दोनों टावरों को ढहाने का आदेश दिया है. दोनों ही टावर 40 मंजिला हैं. SC ने इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश बरकरार रखा है.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में बिल्डर और अधिकारियों के लिए साठगांठ की बात कही है. कोर्ट ने कहा कि नोएडा अथॉरिटी के अधिकारियों और बिल्डर की मिलीभगत से ही यह कंस्ट्रक्शन हो पाया है.
बॉयर को 2 महीने में लौटाए पैसा
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में साफ तौर पर कहा है कि दोनों टावर तीन महीने में ढहा दिए जाए. निर्माण ढहाने पर होने वाले खर्च की वसूली बिल्डर से की जाए. शीर्ष कोर्ट ने साफ तौर कहा है कि बिल्डर बॉयर्स को 2 महीने में पैसा वापस करे. दोनों ही ट्वीन टावर में करीब 1000 फ्लैट हैं.
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सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट के नोएडा सेक्टर 93 (Sector 93A) में है. सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में यह भी कहा है कि बॉयर्स को पूरा रिफंड करने के साथ बिल्डर RWA को 2 करोड़ रुपये दे.
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2014 में दिए थे आदेश
अप्रैल 2014 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दोनों ही टावर को चार महीने में गिराने और अपार्टमेंट बॉयर्स को पैसे लौटाने का आदेश दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नोएडा आथॉरिटी की ओर से सुपरटेक को दो अतिरिक्त 40 मंजिला टावर के कंस्ट्रक्शन की मंजूरी देना, नियमों का उल्लंघन था. सुपरटेक ने कोर्ट में दलील दी थी कि ट्वीन टावर का कंस्ट्रक्शन गैरकानूनी नहीं है. जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया.
01:15 PM IST