पीएसयू से AGR के 4 लाख करोड़ के बकाए का 96 फीसदी हिस्सा वापस लेगा केंद्र
कोर्ट ने संचार कंपनियों को वित्तीय स्थिति का विवरण दाखिल करने का निर्देश देने के साथ मामले की सुनवाई जुलाई के लिए लिस्ट कर दी है.
Court के निर्देश के बाद अब केंद्र सरकार एजीआर के 4 लाख करोड़ के बकाए की मांग वापस लेने फैसला किया है.
Court के निर्देश के बाद अब केंद्र सरकार एजीआर के 4 लाख करोड़ के बकाए की मांग वापस लेने फैसला किया है.
एजीआर मामले में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSUs) से पुराना बकाया मांगे जाने को लेकर उच्चतम न्यायालय की फटकार के बाद केंद्र सरकार ने अपना आदेश वापस ले लिया है. जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर और जस्टिस एमआर शाह की बेंच को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि सरकार ने एक निर्णय लिया है क्योंकि वह आम जनता को टेलीकॉम सेवाएं प्रदान करने के व्यवसाय में नहीं हैं, हम इन PSU के 96 फीसदी से बकाया की मांग वापस ले रहे हैं.
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के निर्देश के बाद अब केंद्र सरकार (Central Government) एजीआर (AGR Case) से 4 लाख करोड़ के बकाए की राशि की मांग वापस लेने फैसला किया है. दूर संचार विभाग अब कुल मांग में से 96 फीसदी ही वापस लेगा. कोर्ट ने इस मामले में निजी दूरसंचार कंपनियों (telecom companies) को पिछले 10 साल के बही खाते और अन्य फाइनेंशियल दस्तावेज जमा कराने का निर्देश दिया है.
गुरुवार को एजीआर मामले पर सुनवाई के दौरान केन्द्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि दूरसंचार विभाग ने गेल (GAIL) जैसे गैर संचार सार्वजनिक उपक्रमों से एजीआर बकाया के रूप में चार लाख करोड़ रुपये की मांग का 96 फीसदी वापस लेने का निर्णय किया है.
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केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि वह समायोजित सकल राजस्व (Adjusted Gross Revenue-AGR) मामले में विभिन्न सार्वजनिक उपक्रमों (PSUs) पर लंबित चार लाख करोड़ रुपये की 96 प्रतिशत राशि वापस लेने को तैयार है. केंद्र की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ को बताया कि केंद्र पीएसयू से मांगे गए एजीआर के 96 फीसदी हिस्से को वापस ले रहा है.
तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में एक हलफनामा दायर कर बताया कि क्यों पीएसयू पर एजीआर बकाया उठाया गया और अदालत के सामने दलील दी गई कि चार लाख करोड़ रुपये के बिल का 96 प्रतिशत वापस लिया जा रहा है. कोर्ट ने कहा कि पीएसयू दूरसंचार सेवाएं प्रदान करने के व्यवसाय में नहीं हैं.
पिछले हफ्ते कोर्ट ने एजीआर मामले पर उसके पिछले साल के फैसले की आड़ में विभिन्न सार्वजनिक उपक्रमों से चार लाख करोड़ रुपये की मांग को उठाने के लिए दूरसंचार विभाग (DoT) को फटकार लगाई थी और उसके संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही शुरू करने की चेतावनी दी थी.
कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल से कहा था कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों से दूरसंचार के बकाया राशि की मांग को वापस लिया जाना चाहिए. मेहता ने कहा कि पीएसयू दूरसंचार स्पेक्ट्रम ले रखे हैं.
इस बीच, दूरसंचार विभाग ने कोर्ट से अनुरोध किया कि उसे भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया जैसी प्राइवेट सेक्टर की संचार कंपनियों द्वारा एजीआर पर आधारित बकाया राशि के भुगतान के बारे मे दाखिल हलफनामे का जवाब देने के लिये कुछ समय दिया जाए.
कोर्ट ने इन संचार कंपनियों को अपनी वित्तीय स्थिति का विवरण दाखिल करने का निर्देश देने के साथ ही सारे मामले की सुनवाई जुलाई के तीसरे सप्ताह के लिए लिस्ट कर दी है.
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वोडाफोन आइडिया की ओर से पेश सीनियर वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि वह पहले ही दूरसंचार विभाग को 7000 करोड़ रुपये का भुगतान कर चुका है लेकिन इस समय के माली हालात में वह किसी भी तरह की बैंक गारंटी देने की स्थिति में नहीं है.
कोर्ट ने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौर में टेलीकॉम सेक्टर ही पैसा कमा कर रहा है और उन्हें कुछ न कुछ धन जमा कराना चाहिए क्योंकि सरकार को स्थिति से निबटने के लिए पैसों की जरूरत है.
कोर्ट ने भारती एयरटेल (Bharti Airtel) और वोडाफोन आइडिया (Vodafone Idea) सहित दूरसंचार कंपनियों से कहा था कि वे अक्टूबर, 2019 के फैसले के बाद सरकार को देय राशि के भुगतान के लिए जरूरी समय के बारे में स्पष्टीकरण के साथ हलफनामे दाखिल करें.
07:21 PM IST