ज़ी बिजनेस की खबर पर लगी मुहर, RBI नए बैंकों को नहीं जारी करेगा लाइसेंस
रिजर्व बैंक ने बैंकिंग लाइसेंस पर फिलहाल फुल स्टॉप लगा दिया है. रिजर्व बैंक के बोर्ड ऑफ फाइनेंशियल सुपरविजन (Board of Financial Supervision) में यह फैसला लिया गया है.
अगले 2-3 सालों तक नए बैंकों को लाइसेंस जारी नहीं करने पर सहमति बनी है. (फोटो: PTI)
अगले 2-3 सालों तक नए बैंकों को लाइसेंस जारी नहीं करने पर सहमति बनी है. (फोटो: PTI)
भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति की समीक्षा बैठक के बाद ऐलान कर दिया है कि नए बैंकों को फिलहाल लाइसेंस नहीं दिए जाएंगे. ज़ी बिजनेस की खबर पर फिर मुहर लगी है. ज़ी बिजनेस ने 4 जून को ही बता दिया था कि आरबीआई ने नए बैंकों को लाइसेंस देने पर रोक लगा दी है. गुरुवार को आरबीआई ने ब्याज दरों में कटौती करते हुए रेपो रेट 5.75 फीसदी कर दिया है. रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती गई.
बैठक में समीति ने नए बैंकों को लाइसेंस नहीं देने का फैसला लिया है. जानकार बताते हैं कि आरबीआई बोर्ड ने अगले 2-3 सालों तक नए बैंकों को लाइसेंस जारी करने पर रोक लगा दी है.
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, रिजर्व बैंक ने बैंकिंग लाइसेंस पर फिलहाल फुल स्टॉप लगा दिया है. रिजर्व बैंक के बोर्ड ऑफ फाइनेंशियल सुपरविजन (Board of Financial Supervision) में यह फैसला लिया गया है.
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— Zee Business (@ZeeBusiness) June 6, 2019
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सेंट्रल बैंक के टॉप मैनेजमेंट ने सैद्धांतिक तौर पर नए लाइसेंस नहीं दिए जाने का फैसला किया है. उम्मीद की जा रही है कि अगले 2-3 सालों तक नए बैंकों को लाइसेंस जारी नहीं करने पर सहमति बनी है. फाइनेंशियल सुपरविजन बोर्ड ने बैंकों की वर्तमान हालत को देखते हुए यह फैसला लिया है. नए लाइसेंस प्राप्त बंकों की हालत देखने के बाद RBI इस दिशा में सोचने के लिए मजबूर हो गया. नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कॉरपोरेशन (NBFC) और बैंक मर्जर को लेकर सेंट्रल बैंक केस-टू-केस बेस पर फैसला लेगा.
बता दें, IDFC बैंक, बंधन बैंक को 2015 में फुल बैंक का लाइसेंस मिला था. IDFC बैंक का आखिरकार Capital First के साथ मर्जर करना पड़ा. जब रघुराम राजन रिजर्व बैंक के गवर्नर थे, तब उन्होंने 'ऑन टैप' का नियम लाया था. इसके तहत कभी भी बैंकों को लाइसेंस जारी करने की नीति अपनाई गई.
मौद्रिक नीति समिति
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) हर दूसरे महीने मौद्रिक नीति की समीक्षा करता है. मौद्रिक नीति की समीक्षा में अर्थव्यवस्था की स्थिति को देखते हुए नीतिगत ब्याज दरें घटाने या बढ़ाने का फैसला किया जाता है. यह फैसला केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) लेती है.
मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee / एमपीसी), भारत सरकार द्वारा गठित एक समिति है जिसका गठन ब्याज दर निर्धारण को अधिक उपयोगी एवं पारदर्शी बनाने के लिये 27 जून, 2016 को किया गया था.
मौद्रिक नीति वह उपाय है जिसके द्वारा केंद्रीय बैंक ब्याज दरों पर नियंत्रण कर अर्थव्यवस्था में मुद्रा के प्रवाह को नियंत्रित करता है, मूल्य स्थिरता बनाये रखता है और उच्च विकास दर के लक्ष्य प्राप्ति का प्रयास करता है.
6 सदस्यों का पैनल
एमपीसी में छह सदस्यों का एक पैनल है जिसमें तीन सदस्य आरबीआई से होते और तीन स्वतंत्र सदस्य भारत सरकार द्वारा चुने जाते हैं. आरबीआई के तीन अधिकारियों में एक गवर्नर, एक डिप्टी गवर्नर तथा एक अन्य अधिकारी शामिल होता है. वर्तमान में इसमें भारत सरकार के तीन सदस्य पमी दुआ (निदेशक, दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स), चेतन घाटे (प्रोफेसर, भारतीय सांख्यिकी संस्थान) तथा रविन्द्र ढोलकिया (प्रोफेसर, भारतीय प्रबंधन संस्थान, अहमदाबाद) और आरबीआई के तीन सदस्य गवर्नर शान्तिकांत दास, डिप्टी गवर्नर माइकल पात्रा हैं.
02:45 PM IST