दालों की महंगाई की थमेगी रफ्तार, सरकार इस तरह लगाएगी जोरदार ब्रेक
कारोबारियों को 15 नवंबर तक 4 लाख टन अरहर का इम्पोर्ट करना होगा. डीजीएफटी के तहत आने वाले रीजनल अथॉरिटी को अर्जेंट बेसिस पर एप्लीकेंट्स को लाइसेंस जारी करने के लिए जरूरी कदम उठाने को कहा गया है.
इस बार कर्नाटक में अरहर की फसल की पैदावार 10 फीसदी तक घट कम हो सकती है. (रॉयटर्स)
इस बार कर्नाटक में अरहर की फसल की पैदावार 10 फीसदी तक घट कम हो सकती है. (रॉयटर्स)
हर तरह के दाल (Pulses) की आसमान छूती कीमतें आने वाले कुछ दिनों में कम हो सकती हैं. सरकार ने इस मामले को काफी गंभीरता से लेते हुए दाल के इम्पोर्ट को बढ़ाने का फैसला किया है. डायरेक्टरेट जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड यानी डीजीएफटी (DGFT) ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए उड़द और अरहर (तुअर) का इम्पोर्ट कोटा लिस्ट जारी किया है. सरकार की तरफ से चार लाख टन अरहर (Arhar) इम्पोर्ट करने की मंजूरी दी गई है. इसके अलावा करीब 1.5 लाख टन उड़द (Urad) इम्पोर्ट करने की भी इजाजत मिली है.
खबर के मुताबिक, कारोबारियों को 15 नवंबर तक 4 लाख टन अरहर का इम्पोर्ट करना होगा. डीजीएफटी के तहत आने वाले रीजनल अथॉरिटी को अर्जेंट बेसिस पर एप्लीकेंट्स को लाइसेंस जारी करने के लिए जरूरी कदम उठाने को कहा गया है.
रीजनल अथॉरिटी जारी की गई इम्पोर्ट कोटा लिस्ट की जांच करेंगे. उड़द दाल के इम्पोर्ट के लिए लाइसेंस 31 मार्च 2020 तक के लिए वैलिड होगा, यानी 31 मार्च तक तय कोटा के हिसाब से उड़द 31 मार्च तक भारतीय बंदगाहों पर पहुंच जाना चाहिए.
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भारत में दालों की पैदावार पर जानकारों का मानना है कि इस बार कर्नाटक में अरहर की फसल पर ज्यादा बारिश का असर होगा और पैदावार 10 फीसदी तक घट कम हो सकती है. हाल के दिनों में अरहर और उड़द दाल की कीमत में सबसे ज्यादा तेजी आई है. एक महीने पहले तक 80 से 90 रुपये प्रति केजी मिलने वाला अरहर दाल इन दिनों 20 से 25 रुपये प्रति किलो महंगा हो चुका है.
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रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार ने पिछले साल अक्टूबर, 2019 तक में भारत सरकार ने 18.7 लाख टन दाल बाहर से खरीदा था. वहीं वित्त वर्ष 2018-19 में 25.3 लाख टन, 2017-18 में 56.1 लाख टन और 2016-17 में 66.1 लाख टन दाल इम्पोर्ट किया गया था.
09:49 PM IST