GST ka Janjal: कारोबारियों की कंप्लायंस की दिक्कतों को किया जाए दूर, SME कारोबारी भी परेशान
GST ka Janjal: GST में सैकड़ों संशोधन किए जा चुके हैं लेकिन इसके बावजूद भी कारोबारियों को कंप्लायंस की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
GST नियमों में स्थिरता की दिक्कत है. GST लागू होने के बाद अब तक करीब 900 बार बदलाव आ चुके हैं. (ज़ी बिज़नेस)
GST नियमों में स्थिरता की दिक्कत है. GST लागू होने के बाद अब तक करीब 900 बार बदलाव आ चुके हैं. (ज़ी बिज़नेस)
GST ka Janjal: देश में टैक्स पर टैक्स (Tax) का जाल खत्म करने के लिए GST लाया गया. GST को लाने का सबसे बड़ा मकसद कंप्लायंस की दिक्कतें कम करना था. कुछ हद तक यह लक्ष्य हासिल भी हुआ. लेकिन, कई पेन प्वाइंट्स हैं जो अब भी बने हुए हैं. हम इन्हीं पेन प्वाइंट्स को उठाने की कोशिश कर रहे हैं ताकि सरकारें इस दिक्कत को समझें और GST काउंसिल में इसका रास्ता निकले. हम जी बिजनेस पर सोमवार से शुक्रवार हर रोज इस पर चर्चा कर रहे हैं. आज चर्चा छोटे कारोबारियों के सामने आ रही दिक्कतों को लेकर चर्चा करते हैं. इस कार्यक्रम में मौजूद CAIT के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल (CAIT General Secretary Praveen Khandelwal) से इस मुद्दे पर चर्चा की गई.
जीएसटी को लेकर हैं सवाल (Question about GST)
खंडेलवाल से इस मुद्दे पर पूछा गया कि GST में सैकड़ों संशोधन किए जा चुके हैं लेकिन इसके बावजूद भी कारोबारियों को कंप्लायंस की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. क्या ये जो संशोधन हो रहे हैं, ये कंप्लायंस कम करने के मकसद को ही डिफीट तो नहीं कर रहे? और छोटे कारोबारियों को GST को लेकर और किन-किन दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है? और सरकार से किन सुधारों की उम्मीद कर रहे हैं?
क्या कहते हैं प्रवीण खंडेलवाल (What says praveen khandelwal)
उन्होंने इस पर कहा कि GST नियमों में स्थिरता की दिक्कत है. GST लागू होने के बाद अब तक करीब 900 बार बदलाव आ चुके हैं. हर बदलाव के साथ तालमेल बैठा पाने में मुश्किलें आ रही हैं. इतना ही नहीं बार-बार बदलाव से कारोबारियों का कंप्लायंस खर्च बढ़ा है. इसमें बार-बार नियम बदलने और कंप्लायंस नहीं तो पेनाल्टी का भार है. कई बार तो ऐसा होता है कि जितना टैक्स नहीं है उससे ज्यादा पेनाल्टी की रकम भरनी होती है.
ELP पार्टनर के गोपाल मूंदड़ा के मुताबिक सप्लायर को पेमेंट लेकिन सप्लायर ने आगे नहीं किया तो दिक्कत आ रही है. सप्लायर को किए पेमेंट पर टैक्स क्रेडिट सीमा घटने से परेशानी है. कारोबारी के पास से कैश गया और आगे क्रेडिट का लाभ नहीं मिला. क्योंकि सप्लायर ने आगे सरकार को टैक्स अदायगी नहीं की. कैश फ्लो ब्लॉकेज से SME कारोबारियों को ज्यादा परेशानी है.
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08:26 PM IST