GST रेवेन्यू ₹2 लाख करोड़ के लेवल के पार, वित्त मंत्री ने कहा- लागू करने में गरीब समर्थक रूख अपनाया
सीतारमण ने कहा कि GST संरचना के अंतर्गत दो महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की गई हैं. GST अपीलीय न्यायाधिकरण (GSTAT) के अध्यक्ष की नियुक्ति हुई है और आर्थिक गतिविधि में वृद्धि के फलस्वरूप सकल GST संग्रह 2 लाख करोड़ रुपये की सीमा को पार कर गया है.
(Source: PIB)
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GST Collection: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने सोमवार को कहा कि सरकार ने माल एवं सेवा कर (GST) को लागू करते समय 'गरीब-समर्थक रुख' अपनाया और कर की कम दरों के बावजूद सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के प्रतिशत के रूप में राजस्व जीएसटी-पूर्व स्तर तक पहुंच गया है. सीतारमण ने सोशल मीडिया मंच X पर लिखा कि GST में शामिल किये गये करों से वित्त वर्ष 2018-19 से 2023-24 तक संयुक्त रूप से राज्यों का राजस्व 37.5 लाख करोड़ रुपये होता. जीएसटी के साथ, राज्यों को वास्तविक रूप से 46.56 लाख करोड़ रुपये का राजस्व हुआ.
सीतारमण ने X पर कहा, "GST संरचना के अंतर्गत दो महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की गई हैं. GST अपीलीय न्यायाधिकरण (GSTAT) के अध्यक्ष की नियुक्ति हुई है और आर्थिक गतिविधि में वृद्धि के फलस्वरूप सकल GST संग्रह 2 लाख करोड़ रुपये की सीमा को पार कर गया है."
जीएसटी संरचना के अंतर्गत दो महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की गई हैं। जीएसटी अपीलीय न्यायाधिकरण (जीएसटीएटी) के अध्यक्ष की नियुक्ति हुई है और आर्थिक गतिविधि में वृद्धि के फलस्वरूप सकल जीएसटी संग्रह 2 लाख करोड़ रुपये की सीमा को पार कर गया है।
— Nirmala Sitharaman Office (@nsitharamanoffc) May 6, 2024
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उन्होंने आगे कहा कि इस लेख को तीन भागों में विभाजित किया गया है. पहला भाग GST की उत्पत्ति और अप्रत्यक्ष कर प्रणाली को सुव्यवस्थित करने में इसकी भूमिका की पड़ताल करता है. दूसरा भाग इस बात की चर्चा करता है कि कैसे GST ने गरीब-समर्थक दृष्टिकोण के माध्यम से लोगों को लाभान्वित किया है. तीसरा भाग सहकारी और राजकोषीय संघवाद को बढ़ावा देने में GST की भूमिका पर प्रकाश डालता है.
भाग-1
- सबसे पहले पूर्व प्रधानमंत्री अटल जी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में GST पर विचार किया गया था. 10 वर्षों में, यूपीए सरकार GST पर राजनीतिक सहमति प्राप्त करने में असफल रही. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, आवश्यक सहमति प्राप्त की गई और 2016 में संसद द्वारा GST अधिनियम पारित किए गए.
- GST से पहले, भारत की अप्रत्यक्ष कर प्रणाली विभाजित और जटिल थी तथा प्रत्येक राज्य विभिन्न नियमों और कर दरों के साथ व्यावहारिक रूप से अपने आप में एक अलग बाजार था. केंद्रीय उत्पाद शुल्क आदि के लिए इनपुट का लाभ नहीं उठाया जा सका, जिससे आम लोगों पर टैक्स का बोझ बढ़ गया.
- GST ने 17 करों और 13 उपकरों को 5-स्तरीय संरचना में सुव्यवस्थित किया और कर-शासन को सरल बनाया. पंजीकरण के लिए टर्नओवर सीमा, वस्तु के लिए 40 लाख रुपए और सेवाओं के लिए 20 लाख रुपए (वैट के तहत औसतन 5 लाख रुपए से) हो गई. GST ने राज्यों के 495 अलग -अलग प्रविष्टियों (चालान, फॉर्म, घोषणा, आदि) की संख्या को घटाकर केवल 12 कर दिया.
- GST; एकसमान प्रक्रियाओं, सरल पंजीकरण, एकल रिटर्न और न्यूनतम भौतिक संचालन व पूरी तरह से सूचना प्रौद्योगिकी द्वारा परिचालित प्रणाली के माध्यम से अनुपालन को सरल बनाने में सफल रहा.
- मासिक भुगतान योजना के साथ तिमाही रिटर्न (क्यूआरएमपी) तथा अनुपालन की बहुत कम प्रक्रियाओं के कारण, 44 लाख से अधिक छोटे करदाताओं और एमएसएमई को लाभ हुआ है. एक डेलॉइट सर्वेक्षण (2023) के अनुसार, अधिकतम आपूर्ति श्रृंखलाओं के साथ लागत में कमी के लिए 88% एमएसएमई GST का भुगतान करते हैं. GST ने ई-इनवॉइस, ट्रेड्स और अकाउंट एग्रीगेटर फ्रेमवर्क जैसे उपकरणों के माध्यम से एमएसएमई वित्तपोषण में वृद्धि की है. GST के तहत पंजीकृत करदाताओं की संख्या 2017 के 65 लाख से बढ़कर 1.4 करोड़ से अधिक हो गई है.
- ई-वे बिल प्रणाली ने लॉजिस्टिक लागत को कम करके अंतर-राज्य जांच-चौकियों को ख़त्म कर दिया. ट्रकों की दैनिक यात्रा में 44% की वृद्धि हुई और टैक्स 'नाका' पर भ्रष्टाचार कम हुआ. परिणामस्वरूप, घरेलू सामानों का अंतर-राज्य व्यापार, वित्त वर्ष 18 के 23.5% से बढ़कर वित्त वर्ष 22 में जीडीपी का 35% हो गया.
भाग-2
- प्रभावी भारित औसत GST दर 2017 के बाद से लगातार कम हो रही है, जिससे GST के गरीब-समर्थक दृष्टिकोण की झलक मिलती है. राजस्व तटस्थ दर 15.3% होने का सुझाव दिया गया था, लेकिन 2017 में यह केवल 14.4% था और यह 2019 में घटकर 11.6% रह गया है.
- GST ने पूर्व-GST दरों की तुलना में कई आवश्यक वस्तुओं के टैक्स को कम किया है. बालों के तेल और साबुन जैसी सामान्य वस्तुओं में 28% से 18% तक कर-कटौती हुई है. विद्युत उपकरणों पर पहले 31.5% टैक्स लगाया जाता था, जो अब कम होकर 12% रह गया है. सिनेमा के टिकटों में भी टैक्स की कमी की गई है. 2017 से कर की दरों को युक्तिसंगत बनाया गया है. राष्ट्रीय मुनाफाखोरी-रोधी प्राधिकरण ने यह सुनिश्चित किया कि कंपनियां उपभोक्ताओं को लाभ प्रदान करें.
- GST ने कई आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं को छूट दी है, जैसे बिना ब्रांड वाली खाद्य वस्तुएं, कुछ जीवन रक्षक दवाएं, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, सार्वजनिक परिवहन, सैनिटरी नैपकिन, श्रवण सहायता उपकरण के हिस्सों, कृषि सेवाओं, आदि.
भाग-3
- GST, भारत में राज्यों को सशक्त बनाकर सहकारी संघवाद का उदाहरण पेश करता है. GST काउंसिल , 75% बहुमत वोट की आवश्यकता के साथ, केंद्र को एक तिहाई मतदान शक्ति और राज्यों को दो-तिहाई मतदान शक्ति प्रदान करता है. 52 बैठकों में से, एक को छोड़कर सभी निर्णय आम सहमति से हुए हैं. GST काउंसिल के अध्यक्ष के रूप में, मैंने सुनिश्चित किया है कि बिना किसी पूर्वाग्रह के सभी राज्यों की बातों को समान रूप से सुना जाए.
- यह एक मिथक है कि सभी GST संग्रह केंद्र के होते हैं. GST राज्यों के राजस्व में महत्वपूर्ण योगदान देता है - राज्यों को उस राज्य में एकत्र किए गए एसGST का लगभग 100% प्राप्त होता है, जो आईGST (यानि अंतर-राज्य व्यापार) का 50% होता है. वित्त आयोग की सिफारिशों के आधार पर, सीGST का एक महत्वपूर्ण हिस्सा, यानि 42% राज्यों को दिया जाता है.
- GST ने टैक्स में 0.72 (GST-पूर्व) से 1.22 (2018-23) तक का सुधार किया है. क्षतिपूर्ति के समाप्त होने के बावजूद, राज्यों का राजस्व मजबूती के साथ 1.15 है.
- GST के बिना, वित्त वर्ष 2018-19 से 2023-24 तक राज्यों की उपकरों से राजस्व प्राप्ति 37.5 लाख करोड़ रुपये होती. GST के साथ, राज्यों का वास्तविक राजस्व 46.56 लाख करोड़ रुपए हो गया है.
- GST दर, प्रस्तावित राजस्व तटस्थ दर से कम होने और राजस्व को प्रभावित करने वाले कोविड -19 के बावजूद, GST संग्रह (जीडीपी के प्रतिशत के रूप में) अब GST (कुल और सकल दोनों) के पहले के स्तरों तक पहुंच गए हैं. यह दर्शाता है कि केंद्र और राज्य, सामूहिक तौर पर बेहतर कर प्रशासन के माध्यम से, हमारे करदाताओं पर कम बोझ डालते हुए समान राजस्व संग्रह करने में सक्षम हैं.
- GST, ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वस, सबका प्रयास' के प्रति मोदी सरकार की प्रतिबद्धता की अभिव्यक्ति है. हम निरंतर यह सुनिश्चित करने की दिशा में प्रयासरत हैं कि करों को बढ़ाने के बजाय, बेहतर करदाता सेवाओं और कार्यकुशलता में वृद्धि के माध्यम से नई ऊंचाइयों को छूआ जाए.
- GST काउंसिल के माध्यम से, केंद्र तथा राज्य, दोनों सरकारों को सामूहिक रूप से प्रणाली को और अधिक करदाता-अनुकूल बनाने के लिए काम करना चाहिए, ताकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'विकसित भारत' के विज़न को साकार किया जा सके.
09:20 PM IST