Budget 2023: एक बजट ऐसा भी, जब शादीशुदा और अविवाहितों के लिए बनाया गया था अलग-अलग टैक्स स्लैब
आजादी के बाद जब से बजट पेश होना शुरू हुआ, समय-समय पर तमाम सरकारें बदलीं और इनकम टैक्स को लेकर कई तरह के ऐलान हुए. यहां जानिए बजट से जुड़ा वो दिलचस्प किस्सा, जब शादीशुदा और अविवाहितों के लिए अलग-अलग टैक्स स्लैब घोषित किया गया था.
एक बजट ऐसा भी, जब शादीशुदा और अविवाहितों के लिए बनाया गया था अलग-अलग टैक्स स्लैब
एक बजट ऐसा भी, जब शादीशुदा और अविवाहितों के लिए बनाया गया था अलग-अलग टैक्स स्लैब
Budget 2023-24: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) 1 फरवरी को देश का बजट (Union Budget 2023) पेश करने जा रही हैं. निर्मला सीतारमण का ये पांचवां बजट है और मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का ये आखिरी पूर्ण बजट है. इस कारण इस बजट से लोगों को काफी उम्मीदें हैं. खासतौर से इस बार मिडिल क्लास इनकम टैक्स (Income Tax) को लेकर तमाम आशाएं लिए बैठा है. आजादी के बाद जब से बजट पेश होना शुरू हुआ, समय-समय पर तमाम सरकारें बदलीं और इनकम टैक्स को लेकर कई तरह के ऐलान हुए.
कई बार लोगों को अच्छी खासी रियायत मिली, तो कई बार मुश्किलें भी झेलनी पड़ीं. इसके कारण सरकार को समय-समय पर प्रशंसा और आलोचना भी झेलनी पड़ी है. इसी कड़ी में आज हम आपको बताएंगे बजट से जुड़ा वो दिलचस्प किस्सा, जब शादीशुदा और अविवाहितों के लिए अलग-अलग टैक्स स्लैब घोषित किया गया था जिसके चलते कुंवारे लोगों पर टैक्स का बोझ काफी बढ़ गया था.
जानिए कब हुई थी ये अनोखी घोषणा
बात 1955-56 के बजट की है. उस समय चिंतामन द्वारकानाथ देशमुख जिन्हें सी डी देशमुख (C. D. Deshmukh) वित्त मंत्री थे. तत्कालीन वित्त मंत्री ने उस समय अनोखा बजट पेश किया था और फैमिली अलाउंस की स्कीम शुरू की थी. जिसमें शादीशुदा लोगों और कुंवारे लोगों के लिए अलग-अलग टैक्स स्लैब घोषित किए गए थे. उस समय शादीशुदा लोगों के लिए 1,500 रुपए का मौजूदा टैक्स एक्जेम्प्ट स्लैब बढ़ाकर 2,000 रुपए कर दिया गया था और अविवाहितों के लिए इसे घटाकर 1,000 रुपए किया गया था.
योजना आयोग की सिफारिश पर फैसला
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शादीशुदा लोगों और कुंवारे लोगों के लिए बजट की अलग-अलग स्लैब का ये फैसला योजना आयोग की सिफारिश के आधार पर लिया गया था. इसके साथ ही इनकम टैक्स पर अधिकतम दरों को 5 आना से घटाकर 4 आना कर दिया गया था. यही वो मौका था जब बजट स्कीम का पहली बार हिंदी वर्जन भी लाया गया था.
इसके बाद से ही एनुअल फाइनेंशियल स्टेटमेंट का का हिंदी वर्जन और एक्सप्लेनेटरी मेमोरेंडम सर्कुलेट किया जाता है.
ये था उस समय का टैक्स स्लैब
1955-56 में आए बजट के टैक्स स्लैब की बात करें तो शादीशुदा लोगों पर 0 से 2,000 रुपए की कमाई पर कोई टैक्स नहीं था. 2,001 रुपए से 5,000 रुपए की कमाई पर रुपए में 9 पाई और 5,001 रुपए से 7,500 रुपए तक की आमदनी पर रुपए में एक आना और 9 पाई टैक्स के रूप में चुकानी पड़ती थी. वहीं अगर कुंवारे लोगों की बात करें तो 0 से 1,000 रुपए की कमाई पर कोई टैक्स नहीं था. 1001 रुपए से 5,000 रुपए की कमाई पर रुपए में 9 पाई और 5,001 रुपए से 7,500 रुपए तक की आमदनी पर रुपए में एक आना और 9 पाई टैक्स के रूप में देने पड़ते थे.
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10:35 AM IST