RBI गवर्नर के इस्तीफे पर अरुण जेटली ने कहा- बेवजह किसी को छूट नहीं दी जा सकती
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल के इस्तीफा के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि नियामक को कामकाजी स्वायत्ता होती है लेकिन वह ‘अलग-थलग’ रहकर काम नहीं कर सकता और उसे हर पक्ष के साथ चर्चा करनी होती है.
सरकार ने आरबीआई के साथ बातचीत करने के लिए हर उपलब्ध साधन का उपयोग किया. (फाइल फोटो)
सरकार ने आरबीआई के साथ बातचीत करने के लिए हर उपलब्ध साधन का उपयोग किया. (फाइल फोटो)
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल के इस्तीफा के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि नियामक को कामकाजी स्वायत्ता होती है लेकिन वह ‘अलग-थलग’ रहकर काम नहीं कर सकता और उसे हर पक्ष के साथ चर्चा करनी होती है. आरबीआई अधिनियम की कभी इस्तेमाल नहीं की गई धारा-7 का जिक्र किये बिना जेटली ने कहा कि तरलता और ऋण के मुद्दे पर ‘‘सरकार ने आरबीआई के साथ बातचीत करने के लिए हर उपलब्ध साधन का उपयोग किया.’’ क्योंकि यह अर्थव्यवस्था के लिए बहुत महत्वपूर्ण है.
उन्होंने दावा किया कि सरकार और आरबीआई के बीच संबंध कभी नहीं टूटे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत सभी स्तरों पर मतभेदों को लेकर बैठकें नियमित तौर पर होती रही हैं. एक कार्यक्रम में जेटली ने कहा, ‘‘संस्थानों को स्वतंत्र होने की जरूरत है. उनके पास कामकाज करने की स्वायत्तता होनी चाहिए लेकिन संस्थान अलग-थलग रहकर काम नहीं कर सकते.’’
आरबीआई का नाम लिए बगैर जेटली ने कहा कि नियामकों को सभी हितधारकों के साथ चर्चा करने की जरूरत है. उन्होंने कहा, कोई यह नहीं कह सकता कि धारणा बनाने से पहले उसने किताबों, आंकड़ों और शोध पत्रों का अध्ययन किया है. बाजार का माहौल पूरी तरह से अलग है और इस स्थिति को आप तब तक नहीं समझ सकते जब तक आप सभी हितधारकों से बातचीत नहीं करते.
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जेटली ने कहा, इस बात की पूरी संभावना है कि यदि कोई नियामक अकेले चलता है तो उससे गलती हो जाए. उल्लेखनीय है कि पटेल के आरबीआई गवर्नर का पद अचानक छोड़ने के बाद कुछ रपटों में दावा किया गया था कि उन्होंने प्रमुख हितधारकों से मिलने से मना कर दिया था. विशेषकर संकट की घड़ी में गैर-बैंकिंग ऋण दाताओं से.
पटेल के उत्तराधिकारी शक्तिकांत दास ने पद संभालने के पहले दिन ही स्पष्ट कर दिया कि वह सभी हितधारकों के साथ बातचीत करेंगे. जेटली ने ब्याज दरों के मुद्दे पर आरबीआई के ‘अक्खड़’ रवैये के आगे पूर्ववर्ती संप्रग सरकार के ‘हार मान लेने’ वाले तरीके पर भी सवाल खड़े किए.
आरबीआई के पूर्व गवर्नर डी. सुब्बाराव के असहयोगी रवैये पर अपने पूर्ववर्ती पी. चिंदबरम के ‘एकला चलो’ के बयान को थोड़ा सुधारते हुए जेटली ने कहा, ‘‘जब आप चलते हैं तो आपको अन्य नीति निर्माताओं के साथ भी बात करनी होगी.’’ उन्होंने उम्मीद जतायी कि अगली मौद्रिक नीति समीक्षा में रिजर्व बैंक ब्याज दरों को लेकर नरम रुख दिखाएगा.
एजेंसी इनपुट के साथ
08:35 AM IST