जानिए क्या होता है ड्रिप इरिगेशन, कैसे कुछ पैसे खर्च कर के आप बचा सकते हैं हजारों रुपये और ढेर सारा वक्त
ड्रिप इरिगेशन (Drip Irrigation) तकनीक की मदद से बहुत सारे किसान अपना ढेर सारा खर्चा, वक्त और सबसे ज्यादा पानी की बचत (Benefits of Drip Irrigation) कर रहे हैं. आइए जानते हैं क्या होता है ड्रिप इरिगेशन और कैसे काम करती है ये तकनीक.
खेती में तकनीक काफी तेजी से बढ़ रही है. बहुत सारे किसान हैं जो टेक्नोलॉजी (Technology) का खूब इस्तेमाल कर रहे हैं और अपनी इनकम बढ़ा रहे हैं. हालांकि, ऐसे भी कई किसान हैं तो अभी भी नई तकनीक को अपनाने में घबरा रहे हैं. यहां एक बड़ा सवाल ये उठता है कि जो किसान पहले ही फायदा कमाने में संघर्ष कर रहा है, वह नई तकनीक को कैसे अपनाए. आज हम ड्रिप इरिगेशन (Drip Irrigation) तकनीक की बात करेंगे, जिसकी मदद से बहुत सारे किसान अपना ढेर सारा खर्चा, वक्त और सबसे ज्यादा पानी की बचत (Benefits of Drip Irrigation) कर रहे हैं. आइए जानते हैं क्या होता है ड्रिप इरिगेशन और कैसे काम करती है ये तकनीक.
क्या होता है ड्रिप इरिगेशन?
जैसा कि नाम से ही साथ हो रहा है, ड्रिप इरिगेशन वह तकनीक है, जिसके जरिए बूंद-बूंद पानी से फसल की सिंचाई की जाती है. इसके तहत प्लास्टिक की पाइप खेत में बिछाई जाती है और उसकी मदद से सीधे फसल की जड़ में बूंद-बूंद पानी पहुंचाया जाता है.
ड्रिप इरिगेशन से होते हैं बहुत सारे फायदे
ड्रिप इरिगेशन से पानी की तो बचत होती ही है, किसान का मुनाफा भी बढ़ता है. आइए जानते हैं कितने फायदे हैं ड्रिप इरिगेशन के.
- पहला और सबसे बड़ा फायदा तो यही है कि ड्रिप इरिगेशन का इस्तेमाल करने से आराम से 70-80 फीसदी तक पानी की बचत की जा सकती है. जिन जगहों पर पानी की कमी होती है, वहां के लिए ड्रिप इरिगेशन बड़े ही काम की चीज है.
- ड्रिप इरिगेशन होने की वजह से आपको सिंचाई के लिए खेत में रहने की जरूरत नहीं होती है. आपको बस समय-समय पर पानी स्टार्ट करना होता है और पानी अपने आप फसल की जड़ों तक पहुंचता रहता है. अगर आपका खेत बहुत बड़ा है, तो आपको कोई लेबर रखने की जरूरत नहीं होती है, यानी लेबर पर खर्च होने वाला पैसा भी बचता है.
- अगर आपने अपनी फसल के लिए ड्रिप इरिगेशन का इस्तेमाल किया है तो इसकी मदद से आप खेत में उर्वरक भी डाल सकते हैं. हालांकि, इसके लिए आपको लिक्विड न्यूट्रिएंट्स का इस्तेमाल करना होगा, जिन्हें आप पानी में मिलाकर खेत में सप्लाई कर सकते हैं. यानी उर्वरक के छिड़काव में लेबर का खर्च भी बचेगा.
किन-किन फसलों में हो सकता है ड्रिप इरिगेशन का इस्तेमाल
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हर वो फसल जिन्हें कुछ दूरी पर लगाया जाता है, उसमें ड्रिप इरिगेशन की मदद से सिंचाई की जा सकती है. गेहूं जैसी फसल में ड्रिप इरिगेशन का बड़ा फायदा नहीं होता है, लेकिन गन्ना, मक्का जैसी फसलों में इसका इस्तेमाल किया जा सकता है. साथ ही तमाम तरह की सब्जियों और फलों की खेती में इसका इस्तेमाल कर सकते हैं. अगर आप गेहूं लाइनों में बोते हैं तो उसमें भी ड्रिप इरिगेशन लगा सकते हैं, लेकिन उसमें खर्चा बहुत होगा.
ड्रिप इरिगेशन में आता है कितना खर्चा?
अगर सब्जियों और फलों में ड्रिप इरिगेशन का इस्तेमाल किया जाए तो किसान को करीब 12-15 हजार रुपये प्रति एकड़ तक खर्च करना पड़ सकता है. हालांकि, इतना खर्च करने के बाद आपको कम से कम एक पूरे सीजन में कोई लेबर सिंचाई के लिए नहीं लगानी होगी, कोई लेबर उर्वरक के छिड़काव के लिए नहीं लगाना होगा. इससे एक बड़ा फायदा होगा कि समय से खेत में उर्वरक और पानी पहुंच जाएगा और इससे उत्पादन बेहतर होगा. वहीं ड्रिप इरिगेशन के साथ अक्सर मल्चिंग पेपर का भी इस्तेमाल होता है, जिससे नमी को रोके रखने में मदद मिलती है.
11:28 AM IST