केबल टीवी ग्राहकों के लिए बड़ी खुशखबरी, अब अपनी मर्जी से खरीद सकेंगे सेट टॉप बॉक्स
TRAI ने ग्राहकों के पक्ष में एक और फैसला लिया है, वह यह कि वे अपनी पसंद और जरूरत के आधार पर सेट टॉप बॉक्स सीधे बाजार से खरीद सकते हैं.
DTH सर्विस कंपनियां उन पर सेट टॉप बॉक्स खरीदने का दबाव नहीं बना पाएंगी. (फाइल फोटो)
DTH सर्विस कंपनियां उन पर सेट टॉप बॉक्स खरीदने का दबाव नहीं बना पाएंगी. (फाइल फोटो)
केबल टीवी (Cable TV) की नई शुल्क व्यवस्था 1 फरवरी 2019 से लागू हो रही है. भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) के चेयरमैन आरएस शर्मा के मुताबिक व्यवस्था बदलाव में ग्राहकों के पक्ष में एक और फैसला लिया गया है. अब उपभोक्ता अपनी पसंद और जरूरत के आधार पर सेट टॉप बॉक्स सीधे बाजार से खरीद सकते हैं. इसके लिए कोई भी DTH सर्विस कंपनी सेट टॉप बॉक्स खरीदने के लिए ग्राहक पर दबाव नहीं बना पाएंगी.
नई व्यवस्था में आएंगे 100 फीसदी ग्राहक
इंडिया टुडे की खबर के मुताबिक, DTH सेवा प्रदाता या लोकल केबल ऑपरेटर ग्राहक पर उनका सेट टॉप बॉक्स खरीदने का दबाव नहीं बना सकते. ग्राहक इसे बाजार से खरीद सकता है. ट्राई चेयरमैन शर्मा ने कहा कि पिछले कुछ दिनों में देखने में आया है कि सेवाप्रदाता तेजी से उपभोक्ताओं की पसंद को दर्ज कर रहे हैं. इससे संकेत मिलता है कि 100 प्रतिशत उपभोक्ताओं को नई व्यवस्था में लाने का लक्ष्य जल्दी ही प्राप्त कर लिया जाएगा.
शर्मा ने कहा, ‘‘यह सच है कि शुरुआत में इसकी गति ठीक नहीं थी लेकिन पिछले कुछ दिन में इसमें सुधार हुआ है. इसे देखते हुए हमें लगता है कि हम 90 प्रतिशत उपभोक्ताओं को नई व्यवस्था के दायरे में 31 जनवरी तक लाने में सफल रहेंगे. शेष 10 प्रतिशत मामलों में हो सकता है कि लोग घूमने गए हों और घर पर न हों.’’
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इससे पहले ट्राई ने 24 जनवरी को कहा था कि करीब 40 प्रतिशत मौजूदा उपभोक्ता नई व्यवस्था अपना चुके हैं. केबल टीवी के लिए ट्राई ने नई शुल्क व्यवस्था अपनाने का आदेश दिया है. इसके तहत ग्राहकों के सामने अपनी पसंद के चैनल चुनने और केवल उन्हीं के लिए भुगतान करने का विकल्प मौजूद होगा.
ओटीटी पर फरवरी अंत तक आ सकती हैं ट्राई की सिफारिशें
इंटरनेट पर वॉट्सऐप और स्काइप जैसे ओवर-द-टॉप (ओटीटी) सेवा प्रदाताओं को नियामकीय शिकंजे के दायरे में लाया जाए या नहीं, यह ऊहापोह फरवरी के अंत तक खत्म होने की संभावना है. उम्मीद है कि ट्राई इस संबंध में अपने नियम को तब तक तय कर लेगा. शर्मा ने कहा कि हम जल्द ही इस पर खुली बहस कराएंगे. हमें उम्मीद है कि फरवरी अंत तक हम अपनी सिफारिशें जारी कर देंगे.’’
गूगल डुओ, फेसबुक, वॉट्सऐप और स्काइप जैसी इंटरनेट से चलने वाली सेवाएं मोबाइल सेवाप्रदाता कंपनियों की तरह ही कॉलिंग और मेसेजिंग की सुविधा दे रही हैं. ऐसे में पिछले साल नवंबर में ट्राई ने इन सेवाओं को नियामकीय ढांचे के तहत लाने पर विचार-विमर्श किया था.
दूरसंचार कंपनियां लंबे समय से इन एप और ओटीटी सेवाओं को नियामकीय ढांचे के तहत लाने की बातचीत कर रही हैं. ट्राई ने इस संबंध में आम लोगों से भी राय मांगी है कि क्या इन पर भी वैसे ही नियम लागू किए जाने चाहिए जो दूरसंचार कंपनियों पर लागू किए गए हैं.
04:55 PM IST