Razorpay, Amazon Pay जैसे पेमेंट एग्रीगेटर्स के लिए RBI लाया लंबी चौड़ी गाइडलाइन, यूजर्स को भी जरूर पढ़ना चाहिए
ड्राफ्ट गाइडलाइंस के अनुसार Non-banks जो पेमेंट एग्रीगेटर या point of sale की सर्विस देते हैं- ऐसे Non-Banks (Razoray, Amazon Pay, Cash Fee जैसे एग्रीगेटर्स) की न्यूनतम नेटवर्थ 15 करोड़ से कम नहीं होनी चाहिए जब वो रिजर्व बैंक में ऑथराइजेशन का एप्लिकेशन सबमिट करते हैं.
केंद्रीय रिजर्व बैंक (RBI) ने देश में पेमेंट एग्रीगेटर प्लेटफॉर्म्स के लिए नई ड्राफ्ट गाइडलाइन जारी किया है. आरबीआई ने बढ़ते पेमेंट इकोसिस्टम को और मज़बूत करने के लिए ये गाइडलाइन जारी की है. ड्राफ्ट गाइडलाइन्स के अनुसार पेमेंट एग्रीगेटर मर्चेंट्स की Customer Due Diligence (CDD) की पूरी ज़िम्मेदारी लेंगे.
क्या कहती हैं RBI की गाइडलाइंस?
1. अगर पेमेंट एग्रीगेटर ने किसी मार्केटप्लेस को प्लेटफॉर्म पर जगह दी है तो वो इस बात की पूरी जिम्मेदारी लेनी होगी कि मार्केटप्लेस किसी ऐसी सर्विस के लिये फंड इकट्ठा या सेटल नहीं कर रहा है, जोकि वो उपलब्ध नहीं कराता.
2. पेमेंट एग्रीगेट या पॉइंट ऑफ सेल (PoS) कार्ड ट्रांजैक्शंस के वक्त कोई भी कस्टमर डाटा सेव नहीं किया जायेगा. अगर ऐसा डाटा मेंटेन किया गया है तो उसे नष्ट किया जाए. कस्टमर डाटा रखने का अधिकार सिर्फ कार्ड जारी करने वाले बैंक या कार्ड नेटवर्क के पास है कि वो card on file data मेंटेन करें.
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3. ड्राफ्ट गाइडलाइंस के अनुसार Non-banks जो पेमेंट एग्रीगेटर या point of sale की सर्विस देते हैं- ऐसे Non-Banks (Razoray, Amazon Pay, Cash Fee जैसे एग्रीगेटर्स) की न्यूनतम नेटवर्थ 15 करोड़ से कम नहीं होनी चाहिए जब वो रिजर्व बैंक में ऑथराइजेशन का एप्लिकेशन सबमिट करते हैं.
4. यह न्यूनतम नेट वर्थ मार्च 31, 2028 तक 25 करोड़ होनी चाहिए, ऐप्लीकेशन डालने के वक्त जोकि Non bank Payment aggregator को हर समय बरकरार रखना होगी.
5. Payment aggregator/Point of sale सर्विस देने वाले Non bank को अपने ऑडिटर से सर्टिफिकेट और फाइनेंशियल स्टेटमेंट जमा करनी पड़ेगी नेट वर्थ का सबूत देने के लिये.
6. नये Non bank को RBI से Payment aggregator/point of sale का सर्टिफिकेट लेने के लिये provisional balance sheet और ऑडिटर का सर्टिफिकेट बतौर सबूत जमा करना होगा.
7. मौजूदा Non bank जो payment aggregator/ point of sale की सर्विस दे रहे हैं अगर वो नेट वर्थ साबित नहीं कर पाये तो उन्हे 31 जुलाई 2025 तक अपना बिजनेस बंद करना होगा और जिन बैंकों के पास ऐसे PA/ PS Non banks के खाते होंगे- वो खाते बैंकों को 31 अक्टूबर 2025 तक बंद करने होंगे.
रिज़र्व बैंक के अनुसार यह ड्राफ़्ट गाइडलाइन्स KYC, Merchant due diligence, Escrow account इत्यादि को ठोस बनाएंगी. RBI ने 31 मई, 2024 तक ड्राफ़्ट रेगुलेशन पर सुझाव आमंत्रित किये हैं.