मोदी सरकार का बड़ा प्लान: इंश्योरेंस बॉन्ड लाने की तैयारी, बैंक गारंटी का होगा ऑप्शन
बैंक गारंटी आमतौर पर लोन देते समय मांगी जाती है. गिरवी संपत्ति के तौर पर इसकी जरूरत होती है.
(File Image: Reuters)
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मोदी सरकार (Modi Government) बैंकिंग सेक्टर (Banking Sector) में एक बड़े बदलाव की तैयारी कर रही है. इससे बैंकों से लोन लेना आसान होगा. फाइनेंस सेक्रेटरी टी वी सोमनाथन ने कहा कि सरकार बैंक गारंटी (Bank Guarantees) के ऑप्शन के तौर पर इंश्योरेंस बॉन्ड (Insurance bond) पेश करने पर विचार कर रही है. सोमनाथन ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) और इंडस्ट्री प्रमुखों की बैठक के दौरान यह जानकारी की. सीतारमण दो दिन के मुंबई दौरे पर हैं. 25 अगस्त वित्त मंत्री के दौरे का दूसरा दिन है.
ऑफिशियल बयान के मुताबिक, ''सरकार बैंक गारंटी के ऑप्शन के रूप में इंश्योरेंस बॉन्ड लाने पर विचार कर रही है.'' बैंक गारंटी आमतौर पर लोन देते समय मांगी जाती है. सामान्य रूप से गिरवी संपत्ति के तौर पर इसकी जरूरत होती है. एक इंश्योरेंस बॉन्ड भी गारंटी की तरह है लेकिन इसके लिए किसी तरह के कोलेटरल की जरूरत नहीं होती है. पिछले साल की रिपोर्ट के मुताबिक, इंश्योरेंस रेग्युलेटर इरडा भी रोड प्रोजेक्ट्स के लिए इंश्योरेंस कंपनियों की ओर से स्योरिटी बॉन्ड लाने के ऑप्शन पर विचार कर रहा था.
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भरोसेमंद पॉलिसी पर कमिटेड
इंडस्ट्री प्रमुखों के साथ बैठक में सीतारमण ने कहा कि सरकार नीतियों के मामले में निश्चितता और भरोसे को लेकर कमिटेड है. रेग्युलेटर्स का भी इसमें अहम रोल है. बयान के मुताबिक, उन्होंने कहा कि सरकार इस अहम मसलों पर रेग्युलेटर्स के साथ काम कर रही है. रेवेन्यू सेक्रेटरी तरूण बजाज ने कहा कि डिपार्टमेंट स्टार्टअप के टैक्स से जुड़े मसलों पर काम कर रहा है. उन्होंने इस बारे में इंडस्ट्री से सुझाव मंगाए हैं.
वित्त मंत्री का कहना है कि इकोनॉमी बैंक आधारित लेंडिंग मॉडल से मार्केट आधारित फाइनेंस मॉडल की ओर धीरे-धीरे शिफ्ट हो रही है. डेवलपमेंट फाइनेंस इंस्टीट्यूशंस (DFI) के जरिए प्रोजेक्ट्स की लॉन्ग टर्म लेंडिंग सुनिश्चित होगी. DFI आने वाले समय में बैंकों के लिए कॉम्पिटिशन बढ़ाएंगे.
12:08 PM IST