Loan Settlement : कब आती है लोन सेटलमेंट की नौबत, इस ऑप्शन को चुनने पर कितना फायदा और कितना नुकसान ?
लोन सेटलमेंट करने से आपको रिकवरी एजेंसियों से तो छुटकारा मिल जाता है, लेकिन इसके तमाम नुकसान भी होते हैं, जिनकी भरपाई आपको बाद में करनी पड़ती है. यहां जानिए लोन सेटलमेंट का ऑप्शन चुनना कितना सही है?
कब आती है लोन सेटलमेंट की नौबत, इस ऑप्शन को चुनने पर कितना फायदा और कितना नुकसान (Zee Biz)
कब आती है लोन सेटलमेंट की नौबत, इस ऑप्शन को चुनने पर कितना फायदा और कितना नुकसान (Zee Biz)
कई बार हम लोन ले तो लेते हैं, लेकिन कुछ कारणों के चलते इसे समय पर इसका भुगतान नहीं कर पाते. अगर आप लगातार 91 दिनों तक अपने लोन का पेमेंट नहीं करते हैं, तो बैंक इसे नॉन परफॉर्मिंग एसेट (NPA) की कैटेगरी में डाल देती है. आपके अनुरोध के बाद बैंक आपको वन टाइम सेटलमेंट का प्रस्ताव देती है. इसे OTS कहा जाता है. OTS में डिफॉल्टर को अपने बकाया प्रिंसिपल अमाउंट तो पूरा देना पड़ता है, लेकिन इंटरेस्ट अमाउंट के साथ-साथ पेनल्टी और अन्य चार्ज को आंशिक या पूर्ण रूप से माफ किया जा सकता है. कुछ मामलों में प्रिंसिपल अमाउंट में भी थोड़ी राहत मिल जाती है. लेकिन क्या आपको ये विकल्प चुनना चाहिए ? यहां जानिए इसके बारे में.
लोन सेटलमेंट का मतलब लोन क्लोजर नहीं होता
आर्थिक मामलों की सलाहकार शिखा चतुर्वेदी कहती हैं कि लोन सेटलमेंट करने से आपको रिकवरी एजेंसियों से छुटकारा मिल जाता है और उधारकर्ता अपने और बैंक के साथ सहमत शर्तों को मानकर ड्यू को क्लीयर कर सकता है. लेकिन लोन सेटलमेंट को कभी लोन क्लोजर समझने की गलती न करें. लोन क्लोजर तब होता है जब लोन लेने वाला सभी ईएमआई को चुकाता है.
लोन सेटलमेंट से होता ये नुकसान
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लोन सेटलमेंट की स्थिति में माना जाता है कि उधार लेने वाले के पास लोन को चुकाने के पैसे नहीं थे. ऐसे में उधारकर्ता का क्रेडिट स्कोर कम हो जाता है. ये 50 से 100 पॉइंट या उससे भी ज्यादा कम हो सकता है. अगर लोन लेने वाला एक से ज्यादा क्रेडिट अकाउंट का सेटलमेंट करता है, तो क्रेडिट स्कोर इससे भी ज्यादा कम हो सकता है. क्रेडिट रिपोर्ट में अकाउंट स्टेटस सेक्शन में इस बात का जिक्र अगले सात सालों तक रह सकता है कि उधारकर्ता का लोन सेटल किया गया. ऐसे में अगले सात सालों तक दोबारा लोन लेना लगभग असंभव हो जाता है. आप बैंक द्वारा ब्लैक लिस्टेड भी किए जा सकते हैं.
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क्या करना चाहिए
शिखा कहती हैं कि अगर आपके पास लोन सेटलमेंट के अलावा कोई ऑप्शन नहीं है, तो उस वक्त आप बेशक इसे चुन सकते हैं, लेकिन सेटल्ड अकाउंट को क्लोज्ड अकाउंट में बदलने का भी विकल्प होता है. जब आप आर्थिक रूप से सक्षम हो जाएं तो आप बैंक के पास जाकर कहें कि आप ड्यू यानी प्रिंसिपल, इंटरेस्ट, पेनाल्टी और अन्य चार्ज में जो भी आपको छूट मिली थी, उसे देना चाहते हैं. इस पेमेंट को देने के बाद आपको बैंक से नो ड्यू पेमेंट का सर्टिफिकेट मिलता है. इसे जरूर ले लें. इसके बाद बैंक क्रेडिट ब्यूरो को ये सूचित करता है कि आपका अकाउंट क्लोज कर दिया गया है. इससे आपका बिगड़ा क्रेडिट स्कोर भी सुधर जाता है.
09:21 PM IST