3 डिजिट का CVV नंबर- बदल देता है पेमेंट का पूरा 'खेल'- जानिए कितना कुछ छुपा है इसमें...
CVV number: डिजिटल फ्रॉड से बचना है तो सबसे पहले समझिए सीवीवी का महत्व और जानिए कि कैसे ये तीन अंकों का डिजिट पेमेंट का पूरा खेल बदल सकता है.
आज के दौर में डिजिटल पेमेंट करना बेहद आसान है, चुटकी में एक क्लिक पर शॉपिंग से लेकर डिनर या फिर ट्रेवल टिकट... सब हो जाता है. लेकिन इसी आसान तरीके में कई तरह के जोखिम भी शामिल हैं. जोखिम ये है कि अगर आपके डेबिट और क्रेडिट कार्ड के पीछे छपा मात्र तीन अंकों का नंबर कहीं लीक हो जाता है तो ये आपके पूरे अकाउंट को खाली कर सकता है. यही वजह है कि ये डिजिटल पेमेंट को लेकर समय-समय पर ग्राहकों को फ्रॉड्स के प्रति जागरुक किया जाता है.
आपने अक्सर टेलीविजन पर देखा होगा कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (Reserve Bank Of India) की ओर से कई तरह के एड्स (Ads) चलाए जाते हैं, जिसमें लोगों को अपना सीवीवी (CVV) या ओटीपी (OTP) शेयर ना करने की सलाह दी जाती है लेकिन, कई बार देखा गया है कि लोग इसे हल्के में लेते हैं और अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ सबसे जरूरी और गोपनीय नंबर शेयर कर देते हैं. आइए जानते हैं कि कैसे तीन डिजिट वाला एक मात्र नंबर यानी आपका सीवीवी (CVV) आपके पूरे पेमेंट खेल को बदल सकता है...
क्या होता है सीवीवी (CVV)?
सीवीवी (CVV) की फुल फॉर्म होती है कार्ड वेरिफिकेशन वैल्यू. ये एक ऐसा नंबर है जो डिजिटल ट्रांजैक्शन के समय इस बात की पुष्टि करता है कार्डधारक ही इस पेमेंट के लिए जिम्मेदार है. आरबीआई (RBI) की ओर से हमेशा सीवीवी ना शेयर करने की सलाह दी जाती है. ये नंबर आपके डेबिट या क्रेडिट कार्ड के पीछे एक मैग्नेटिक स्ट्रिप पर लिखा होता है, जिसे बाद में मिटाने की भी सलाह दी जाती है.
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अगर आप कोई ऑनलाइन पेमेंट कर रहे हैं तो आपको सीवीवी (CVV) की जरूरत पड़ती है. सीवीवी (CVV), ओटीपी की तरह ही (OTP) एक सिक्योरिटी लेयर है, जो आपकी पेमेंट को सुरक्षित रखता है. हर वित्तीय संस्थान अपने की तरफ से ग्राहकों को सीवीवी (CVV) कोड दिया जाता है.
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सीवीवी (CVV) की खासियत
जब भी आप अपने कार्ड से कोई ऑनलाइन ट्रांजैक्शन करते हैं तो उस पेमेंट प्लेटफॉर्म पर आपके कार्ड की डिटेल सेव हो जाती है लेकिन यहां खास बात यह है कि किसी भी प्लेटफॉर्म पर आपके सीवीवी (CVV) की डिटेल सेव नहीं होती. इसका मतलब यह हुआ कि वेंडर के पास भले ही आपके कार्ड की पूरी जानकारी हो लेकिन आपके सीवीवी (CVV) का एक्सेस नहीं होगा. यही वजह से आरबीआई (RBI) हमेशा सीवीवी (CVV) और ओटीपी (OTP) को शेयर ना करने की सलाह देता है.
एक चूक से खाली हो सकता है अकाउंट
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) और तमाम वित्तीय संस्थाओं की तरफ से यही सलाह दी जाती है कि किसी भी परिचित शख्स को इस गोपनीय नंबर के बारे में ना बताया जाए. अगर गलती से फ्रॉड करने वाले को आपके सीवीवी (CVV) की जानकारी मिल जाती है तो आपका अकाउंट खाली होने में ज्यादा समय नहीं लगेगा.
याद करने के बाद मिटा दें सीवीवी (CVV)
आरबीआई (RBI) कहता है कि डेबिट या क्रेडिट कार्ड मिलते ही सबसे पहले अपने सीवीवी (CVV) नंबर को याद कर लें. अगर हो सके तो याद करके सीवीवी नंबर को कार्ड से मिटा दें. ऐसा करने से फ्रॉड करने की संभावनाएं कम हो जाती हैं.
04:25 PM IST